रिफाइनरी के काम में तेजी लाएंगे गहलोत

गहलोत ने अपने पिछले शासन काल में ही प्रदेश के इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को लेकर ठोस कदम उठा लिये थे।

रिफाइनरी के काम में तेजी लाएंगे गहलोत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ड्रीम प्रोजेक्ट बाडमेर में रिफाइनरी के काम में अब तेजी आने लगी है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ड्रीम प्रोजेक्ट बाडमेर में रिफाइनरी के काम में अब तेजी आने लगी है। गहलोत ने अपने पिछले शासन काल में ही प्रदेश के इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को लेकर ठोस कदम उठा लिये थे। प्रेदश के पश्चिमी इलाके की आर्थिक तकदीर बदलने वाले इस प्रोजेक्ट के काम ने अब रफतार पकड़नी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री गहलोत अपने स्तर पर रिफाइनरी के काम की लगातार निगरानी रख रहे हैं। उनकी कोशिश है कि तय समय पर ही इस प्रोजेक्ट को पूरा कर राजस्थान के लोगों को लाभ मिले। मुख्यमंत्री गहलोत रिफाइनरी के इस प्रोजेक्ट को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं और उनकी मंशा है कि यह तय समय पर स्थापित हो।


कोरोना के हालातों से उबरने के बाद बाडमेर जिले के पचपदरा इलाके में स्थापित होने वाली रिफाइनरी अब आकार लेने लगी है। मुख्यमंत्री गहलोत मौके पर ही जाकर इसका निरीक्षण करते हैं और काम में तेजी लाने पर जोर देते हैं। रिफाइनरी के लिए गहलोत ने लंबा संघर्ष किया है। उनका मानना है कि इस अहम प्रोजेक्ट से राजस्थान को आर्थिक प्रगति की राह पर दौड़ने में मदद मिलेगी। इसके जरिये बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया होंगे। इस अकेले प्रोजेक्ट से ही पश्चिमी राजस्थान में बड़ा बदलाव दिखेगा। गहलोत के निर्देश पर सरकार के विभिन्न विभागों में समन्वय बना कर रिफाइनरी के काम में तेजी लाई जा रही है। इसके अलावा रिफाइनरी के आसपास के क्षेत्रों में रीको अन्य उद्योगों की स्थापना आसानी से हो इसके लिए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की योजना पर लगातार काम कर रहा है। जिला प्रशासन भी हर महीने रिफाइनरी के कामकाज की समीक्षा करता है ताकि किसी भी तरह की स्थानीय मंजूरी देने में कोई देरी नहीं हो।


एचपीसीएल की देखरेख में 4500 एकड़ भूमि में इस रिफाइनरी की स्थापना होगी।  इसके साथ ही पेट्रोकेमिकल कांप्लेक्स के साथ ही कई प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना होगी और प्रदेश के लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे। इस इलाके में देश का सबसे बड़ा जमीनी तेल और गैस भंडार मौजूद है। रिफाइनरी का प्रोजेक्ट करीब 45 हजार करोड़ रुपए का आंका गया है। इसमें से करीब 38 हजार करोड़ रुपए के कार्यादेश जारी भी हो चुके हैं। इसके अलग-अलग तरीके के काम प्रगति पर है।


रिफाइनरी के साथ-साथ सरकार ने इसके चारों तरफ पेट्रो केमिकल रीजन इंडस्ट्रीज बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। इसके लिए सरकार ने बड़ी संख्या में निवेशकों को आमंत्रित कर उन्हें अपने उद्योग स्थापित करने का न्योता भी दिया है। इन उद्योगों की स्थापना के लिए रीको ने बड़े पैमाने पर जमीन भी चिंहित कर ली है। इस क्षेत्र में निवेशकों को रियायती दरों पर जमीन, उचित माहौल और जरूरी सुविधाएं देने की तैयारी भी सरकार ने कर ली है।

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केंद्र सरकार की ढुलमुल नीतियों के चलते रिफाइनरी के काम में देरी होने से इसकी लागत में करीब 14000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हो गई है। गहलोत के प्रयासों से ही वर्ष 2013 में रिफाइनरी का शिलान्यास हो गया था। उसके बाद आई सरकार ने इसे अटकाने का काम किया और राजनीतिक कारणों के चलते प्रधानमंत्री से 2018 में इसका शुभारंभ करवाया गया। इस तरह से रिफाइनरी के काम में देरी हुई और नुकसान प्रदेश की जनता को उठाना पड़ा। मुख्यमंत्री गहलोत ने इस बार शासन संभालते ही इस अहम प्रोजेक्ट पर पूरा ध्यान केंद्रित किया और नतीजे में अब रिफाइनरी के आकार लेने से आम जनता में सरकार के काम के प्रति भरोसा पनप गया। प्रदेश की जनता भी चाहती है कि रिफाइनरी जल्द से जल्द बने और राजस्थान एक नए युग में कदम रखें।
-  राजीव जैन
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

विश्लेषण
कोरोना के हालातों से उबरने के बाद बाडमेर जिले के पचपदरा इलाके में स्थापित होने वाली रिफाइनरी अब आकार लेने लगी है। मुख्यमंत्री गहलोत मौके पर ही जाकर इसका निरीक्षण करते है और काम में तेजी लाने पर जोर देते हैं। रिफाइनरी के लिए गहलोत ने लंबा संघर्ष किया है। उनका मानना है कि इस अहम प्रोजेक्ट से राजस्थान को आर्थिक प्रगति की राह पर दौड़ने में मदद मिलेगी।

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