सार-संभाल के अभाव में खतरे में प्राचीन बावड़ी का अस्तित्व, मलबा और पत्थर से जमींदोज करने की तैयारी
पूरा मौहल्ला इस बावडी से भरता था पानी
बावड़ी के पानी से प्राचीन समय में आसपास की बाड़ियों की सब्जियों में सिंचाई की जाती थी ।
अटरू। क्षेत्र की खारी बावड़ी का अस्तित्व खतरे में है। जहां एक और राजस्थान सरकार के मुखिया गांव और शहरों में पारंपरिक जल स्रोतों कुएं, नदी, बावड़ियां, तालाब आदि के संरक्षण के लिए सहभागिता की अपील करते हैं। वहीं दूसरी और अटरू नगर पालिका क्षेत्र में इसके विपरीत असर दिखाई दे रहा है। यहां का प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोते हुए राजस्थान सरकार के मुखिया के आदेशों को ठेंगा दिखा रहा है। ऐसा ही एक नजारा है अटरू नगर के माली मौहल्ले की प्राचीन खारी बावड़ी का है। जहां प्राचीन खारी बावड़ी जमींदोज कर अतिक्रमण की भेंट चढ़ने को मजबूर है। इस बावड़ी के पानी से प्राचीन समय में आसपास की बाड़ियों की सब्जियों में सिंचाई की जाती थी तथा यहां लोग स्नान भी करते थे। कई प्रकार के धार्मिक आयोजनों में इसके जल का उपयोग किया जाता रहा है।
पास में है लोक गाथा को बताती गणेशजी की छतरी
यह प्राचीन बावड़ी उस पुरा सम्पदा का हिस्सा है। जिसके बारे में कहा जाता है कि फूलदेवरा व खारी बावड़ी का निर्माण एक रात में एलियन्स द्वारा किया गया। बावड़ी के पश्चिम में मंशा पूर्ण गणेशजी की छतरी है, जो उस समय की लोक गाथा को बताती है। जो स्वयं पुरा अवशेष है। गांव के माली मौहल्ले के समीप ही स्थित इस बावड़ी से पूरा मौहल्ला पानी पीता था। लगभग पचास साल पूर्व बावड़ी देखी थी। वहां उस समय पनघट पर जमघट लगा रहता था। यहां सिंचाई के लिए चड़स चला करते थे। जिसके घूंण आज भी पनघट पर उस समय की गवाही दे रहे हैं। बावड़ी के नजदीक सुंदर गणेशजी की छतरी बनी हुई है। जहां से शिल्प कला के दर्शन प्रारम्भ होते हैं।
मलबा और पत्थर से बावड़ी को जमींदोज करने की तैयारी
वहीं सार संभाल के अभाव में आज यह प्राचीन विरासत लुप्त होने के कगार पर है क्योंकि यह बावड़ी अब अतिक्रमण की भेंट चढ़ रही हैं। मलवा पत्थर आदि डालकर इसे जमींदोज करने की तैयारी है।
प्राचीन विरासत को सुरक्षित करने की मांग
पूर्व में इस बावड़ी का आकार प्रकार किसी से छुपा नहीं है। यह सब कौन कर रहा है। किसके इशारे पर हो रहा है, जनता सोचने पर मजबूर है तथा शासन प्रशासन से आशा कर रही है कि इस मामले पर संबंधित विभाग प्रसंज्ञान ले हुए इस प्राचीन विरासत को सुरक्षित करें तथा ऐसे कृत्य करने वालों पर उचित कार्यवाही करने की मांग की है।
मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी भेजी है शिकायत
यह बावड़ी वह परम्परागत जलस्रोत है। जिससे वर्षों तक गांव वाले अपनी बाड़ियों की प्यास बुझाते आ रहे है। शायद अब तो जमाना बदल गया। टंकी, ट्यूबवेल द्वारा पानी घर में पहुंच रहा है। जिससे नगरपालिका ने इस जलस्रोत को बंद करने की ठान ली। जिसके बाबत् मुख्यमंत्री पोर्टल पर गणमान्य लोगों और ग्रामीणों ने शिकायत भेजी है।
पहले पूरा मौहल्ला इस बावडी से पीने और अन्य कार्यो के लिए पानी भरता था, लेकिन अब बावडी का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है।
- रामकिशन, मौहल्लेवासी।
बावडी को जमींदोज नहीं करके फिर से जीर्ण शीर्ण बावडी की मरम्मत करवाई जानी चाहिए। जिससे बावडी के पानी का उपयोग हो सके और प्राचीन विरासत को भी सुरक्षित किया जा सकें।
- अनिल, समाजसेवी।
खारी बावडी का मौका देखकर जानकारी ली जाएगी। अगर यह भर दी गई है तो उसकी सफाई कराएगें।
- मंजूरअली दीवान, कार्यवाहक व तहसीलदार, अटरू नगरपालिका।
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