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Read More... संवेदक की लापरवाही से अंडरपास की हो रही दुर्दशा
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By kota
पैदल वालों की तुलना में दो पहिला वाहन चालकों को उसमें अधिक परेशानी हो रही है। बाढ़ ने बिगाड़ी रिवर फ्रंट के निचले हिस्से की दशा : अधिकतर पत्थर व छतरियां उखड़े और चंबल में बहे
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By kota
नगर विकास न्यास द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से बनाए जा रहे चम्बल रिवर फ्रंट के निचले हिस्से के उखड़े पत्थर उसकी दांस्तां बयां कर रहे हैं। घाटों से नीचे जाने के लिए बनाई गई सीढ़ियों के अधिकतर पत्थर उखड़ चुके हैं। साथ ही कई छतरियां पानी में बह गई। जिन्हें बनाने में फिर से मशक्कत करनी पड़ेगी। यूआईटी अधिकारियों की अनदेखी से करणी माता मंदिर पार्क की हो रही दुर्दशा
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By kota
नगर विकास न्यास द्वारा एक तरफ तो नए कोटा में करोड़ों रुपए खर्च कर आॅक्सोजोन पार्क का निर्माण कराया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ पुराने कोटा शहर में बने करणीे माता मंदिर पार्क की अनदेखी की जा रही है। जिससे वह दुर्दशा का शिकार हो रहा है। शहर के बीच से निकल रही बाईं मुख्य नहर दुर्दशा का शिकार
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By kota
शहर में इस समय करोड़ों रुपए के विकास कार्य चल रहे हैं। सौंदर्यीकरण के तहत शहर के प्रमुख चौराहों को चमकाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर शहर के बीच से गुजरने वाली बाईं मुख्य नहर बेकद्री का शिकार हो रही है। स्मार्ट दशहरा मैदान हुआ दुर्दशा का शिकार
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By kota
दशहरा मैदान में वाहनों का इतना अधिक अम्बार है कि वह दो साल से नगर निगम का गैराज बना हुआ है। कोरोना काल के दौरान दशहरा मेला नहीं भरने से मैदान की देखभाल भी नहीं हुई। जिससे यह स्मार्ट मैदान दुर्दशा का शिकार हो रहा है। टूटे झूलों पर झूलता बचपन
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By kota
नए कोटा में कहीं अगर सबसे ज्यादा पार्क हैं तो वह विज्ञान नगर इलाके में हैं। जितनी तेजी से यहां पार्कों का निर्माण हुआ उतनी तेजी से दुर्दशा का शिकार भी हुए। हालात यह है, कहीं, झूले पूरी तरह से टूट गए तो कहीं आधे-अधूरे टूटे हुए हैं। NH11 B हाईवे बना दुर्दशा का शिकार अब तक सैकड़ों लोगोँ ने गवाई जानेँ
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By Jaipur
जिला प्रशासन व एनएचएआई की अनदेखी के चलते नेशनल हाईवे 11 B क्षतिग्रस्त सड़कों व वन विभाग द्वारा की गई तारबंदी के चलते दुर्दशा का शिकार हो रहा है, जिसके कारण आवागमन करने वाले वाहन रोजमर्रा दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। इस तरफ नजरें इनायत, उस तरफ हो रही बेकद्री
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By kota
संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर के नाम पर शहर में दो जगह बनी हुई हैं। इन दोनों जगहों के रूप अलग-अलग देखने को मिल रहे हैं। उनमें से एक की तो दुर्दशा हो रही है जबकि दूसरी जगह चमक रही है। खेल मैदान दुर्दशा के शिकार फिर कैसे निखरेगी प्रतिभाएं ?
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By kota
खेल मैदानों में किसी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसके चलते यह खेल मैदान कागजी रिकॉर्ड में मात्र सिमट कर रह गए हैं। पापियों ने नवरात्र में भी नहीं छोड़ी हैवानियत : जिंदा रावणों की दरिंदगी देख जलता दशानन भी शर्मसार
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By Administrator
प्रदेश पुलिस की क्राइम रिपोर्ट से हुआ खुलासा 