टूटे झूलों पर झूलता बचपन
दुर्दशा का शिकार पार्क
नए कोटा में कहीं अगर सबसे ज्यादा पार्क हैं तो वह विज्ञान नगर इलाके में हैं। जितनी तेजी से यहां पार्कों का निर्माण हुआ उतनी तेजी से दुर्दशा का शिकार भी हुए। हालात यह है, कहीं, झूले पूरी तरह से टूट गए तो कहीं आधे-अधूरे टूटे हुए हैं।
कोटा। नए कोटा में कहीं अगर सबसे ज्यादा पार्क हैं तो वह विज्ञान नगर इलाके में हैं। जितनी तेजी से यहां पार्कों का निर्माण हुआ उतनी तेजी से दुर्दशा का शिकार भी हुए। हालात यह है, कहीं, झूले पूरी तरह से टूट गए तो कहीं आधे-अधूरे टूटे हुए हैं। इनमें सबसे ज्यादा रिपसनी झूले बच्चों के लिए खतरा बने हुए हैं। लोहे की चददर वाली रिपसनी जगह-जगह से कटी हुई है। झूलने के दौरान बच्चे जख्मी हो जाते हैं। स्थानीय निवासियों ने कई बार पार्षदों से लेकर नगर निगम के अफसरों तक चक्कर काटे लेकिन झूलों को दुरूस्त करवाने में किसी ने भी दिलचस्पी नहीं दिखाई। नतीजन, बच्चे टूटे झूलों पर झूलने को मजबूर हैं।
10 साल से टूटे हैं झूले
माहात्मा गांधी पार्क विकास समिति के सचिव हरीश सोनी ने बताया कि छत्रपुरा तालाब से गांधीगृह तक तीन पार्कों की देखरेख समिति करती है। इन पार्कों में करीब 10 साल से झूले टूटे हैं। वहीं लोहे की रिपसनी कई जगहों से कटी पड़ी है। झूलने के दौरान बच्चे जख्मी हो जाते हैं। पार्षद से संबंधित अधिकारियों से शिकायत की लेकिन समाधान नहीं हुआ।
टूटे झूलों की मरम्मत और दीवारों पर लगेगी रेलिंग
वार्ड 57 के पार्षद कपिल शर्मा ने बताया कि नगर निगम से वार्ड में जरूरी कार्यों के लिए 1 करोड़ का बजट मिला है। इससे पार्कों की दीवारों पर लोहे की रेंलिग लगवाई जाएगी। साथ ही टूटे झूलों की मरम्मत करवाने के साथ बंद पड़ी बोरिंग व खुले में पड़े बिजली के तारों को सही करवाएंगे। इसके अलावा पार्कों का जीर्णोंद्धार भी करवाया जाएगा।

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