quality education
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Read More... विश्व शिक्षक दिवस विशेष : ज्ञान से ही प्राप्त होती है जीवन जीने की राह गुरु, कच्ची बस्ती के बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रहे
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ऐसे शिक्षक जो बच्चों को सिर्फ पढ़ाई नहीं कराते, बल्कि उनको जिंदगी जीने का सही तरीका भी सिखाते है। परिवार समाज शिक्षक सरकार सब दोषी
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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व आत्म निर्भर बनाने वाली शिक्षा तभी मिलेगी जब बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान दिया जाएगा। असर खबर का - स्कूली शिक्षा में कोटा प्रदेश में दूसरे नम्बर पर आया
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सरकारी स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन मिलने को लेकर दैनिक नवज्योति ने लगातार अभियान चलाया। सपने पूरे कर रहा महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल
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शिक्षा विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार अंगे्रजी माध्यम से सरकारी स्कूलों में 30 से ज्यादा स्कूल जिले के ग्रामीण इलाकों में खोले गए हैं। 2 करोड़ रुपए मिले तो बदले स्कूलों की दशा
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योजना के तहत प्रत्येक स्कूल को दो-दो करोड़ रूपए का बजट मिलना है। जिससे वे अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने के साथ कॉन्वेंट स्कूलों की तरह सुविधाएं विकसित कर सकें। इसके तहत प्रत्येक जिले के हर ब्लॉक से दो विद्यालयों का चयन कर उन्हें आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित किया जाना है। 300 करोड़ से होगा जर्जर स्कूलों का कायाकल्प
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सरकारी स्कूलों में बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी व कोचिंग करवाना शामिल हैं। इसके अलावा नि:पाठयपुस्तक, साइकिल, स्कूटी, यूनिफॉर्म, मिड-डे मील, मींस स्कोलर शिप, गार्गी पुरस्कार व काली बाई योजना के तहत छात्राओं को नि:शुल्क स्कूटियां वितरित की जाती है। हाड़ौती के 10 कॉलेज में हालात भयावह: मैं ही प्रिंसिपल, मैं ही चपरासी
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हाड़ौती के बारां, बूंदी, कोटा और झालावाड़ में कई ऐसे राजकीय महाविद्यालय हैं, जहां प्रिंसिपल से लेकर चपरासी तक का सारा काम एक ही शिक्षक के कंधों पर है। संभाग के करीब 10 कॉलेजों में इक्का- दुक्के प्रोफेसर ही लगे हैं। सबसे खराब स्थिति उन महाविद्यालयों की है, जहां एक ही शिक्षक मौजूद हैं। जर्जर भवन में हर पल मौत का खतरा, जोखिम में कर रहे पढ़ाई
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शहर का पाटनपोल राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय 87 साल से जर्जर रियासतकालीन भवन में चल रहा है। भवन इतना जर्जर हो चुका कि पीडब्ल्यूडी ने इसे असुरक्षित घोषित कर दिया। 