डेढ़ दशक बाद भी बदहाली में देईखेड़ा पशु चिकित्सालय, न भवन, न चिकित्सक, एक कंपाउंडर के भरोसे चल रहा अस्पताल
र्तमान में केवल कंपाउंडर के सहारे ही हो रहा है अस्पताल संचालित
स्थानीय पंचायत द्वारा भूमि पट्टा जारी करने में टालमटोल की जा रही है।
देईखेड़ा। क्षेत्र के देईखेड़ा कस्बे में स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय इन दिनों बदहाली की स्थिति में है। स्थापना के डेढ़ दशक बीत जाने के बावजूद न तो अस्पताल को स्थाई भवन मिल पाया है, न ही पर्याप्त स्टाफ और संसाधन उपलब्ध हैं। हालात यह हैं कि पूरा चिकित्सालय इन दिनों केवल एक पशुधन निरीक्षक (कंपाउंडर) के भरोसे संचालित हो रहा है, जबकि इस अस्पताल से करीब दर्जनभर गांवों के पशुपालक जुड़े हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में यह अस्पताल पूर्व में बंद हो चुके राजकीय प्राथमिक विद्यालय भवन में अस्थायी रूप से चल रहा है। अब पंचायत प्रशासन इसे खाली पड़े पुराने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवन में स्थानांतरित करने की तैयारी में है, जो करीब तीन दशक पुराना और जर्जर अवस्था में है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक नए भवन निर्माण के लिए कम से कम 100़100 फीट भूमि का पट्टा आवश्यक है, लेकिन स्थानीय पंचायत द्वारा भूमि पट्टा जारी करने में टालमटोल की जा रही है।
गौरतलब है कि चिकित्सालय में एक पशु चिकित्सक, एक कंपाउंडर और एक पशु परिचर के पद स्वीकृत हैं, किंतु वर्तमान में केवल कंपाउंडर के सहारे ही अस्पताल संचालित हो रहा है। पशुपालकों ने बताया कि स्थाई भवन और संसाधनों के अभाव में मवेशियों के इलाज के लिए समुचित सुविधा नहीं मिल पाती। ग्रामीणों ने मांग की है कि शीघ्र ही स्थाई भवन हेतु भूमि पट्टा जारी कर निर्माण बजट स्वीकृत किया जाए तथा रिक्त पदों पर नियुक्ति की जाए।
अस्पताल में उपलब्ध संसाधनों के साथ बीमार मवेशियों का हर सम्भव उपचार किया जा रहा है भूमि आवंटन के लिये पँचायत को लिखा जा चुका है पँचायत द्वारा भवन के स्थानांतरित करने के लिये मौखिक तोर बोला गया है समस्त स्थिति से उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया है
- ओमप्रकाश नागर, पशुधन निरीक्षक, देईखेड़ा।
पशु चिकित्सालय के अहाते में ही संचालित राजकीय महात्मा गांधी विद्यालय में कमरों की कमी के कारण उसकी कुछ कक्षाओं को वँहा संचालित करने के लिये व्य्वस्था की निर्देश दिए गए है राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के नए भवन में शिफ्ट होने से पुराना भवन खाली है पशु चिकित्सालय को वँहा संचालित करने के लिये लिखा है जल्द ही भूमि आवंटन कर दिया जाएगा।
- राहुल पारीक, ग्राम विकास अधिकारी, देईखेड़ा।
ग्रामीण में पशुपालकों को सुविधाये मुहाये करना मात्र चुनावी वादा ही रहा है देईखेड़ा पशु चिकित्सालय को स्थापना के डेढ़ दशक बाद भी क्रमोन्नत होना दूर स्थायी भवन संसाधन व पर्याप्त क्रमिक तक उपलब्ध नही करवाये जा रहे यह क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की संवेदन हीनता को दर्शता है।
- दिनेश व्यास, देईखेड़ा व्यापार मंडल,अध्यक्ष।

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