veterinary hospital
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Read More... डेढ़ दशक बाद भी बदहाली में देईखेड़ा पशु चिकित्सालय, न भवन, न चिकित्सक, एक कंपाउंडर के भरोसे चल रहा अस्पताल
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स्थानीय पंचायत द्वारा भूमि पट्टा जारी करने में टालमटोल की जा रही है। विभिन्न बीमारियों से तड़प रहे मवेशी, पंचायत समिति प्रधान को दिया ज्ञापन
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छीपाबड़ौद क्षेत्र में पशुपालन हजारों परिवारों की आजीविका का प्रमुख साधन है, लेकिन पशुओं के इलाज की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण पशुपालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है पशु चिकित्सालय: नि:शुल्क दवा, अभी तक हो रही हवा
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बीमार मवेशियों के लिए बाजार से खरीदनी पड़ रही महंगी दवा। 4.5 लाख की मशीन, मरम्मत का खर्चा 6.50 लाख
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जिला चिकित्सालय की एकमात्र सोनोग्राफी मशीन खराब होने से पशुओं की नहीं हो पा रही सोनोग्राफी, पशुपालक परेशान। सोरसन के पशु चिकित्सालय का एक साल बाद भी निर्माण अटका पड़ा
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बिल्डिंग के अभाव में पशुपालकों को समस्या से जूझना पड़ता है। हाल-ए-पशु चिकित्सालय: नि:शुल्क दवा हो रही हवा
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पशुपालकों ने बताया कि सर्दी के सीजन में पशुओं में मौसमी बीमारियां बढ़ रही है, लेकिन पशु अस्पतालों में जरूरी दवाएं तक नहीं है। जहां पशु अधिक वहीं पशु चिकित्सालय नहीं
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गौशाला में पशु चिकित्सालय खोला जाए तो वहां पशु चिकित्सक रहेंगे जिससे पशुओं की देखभाल व उपचार सही ढंग से हो सकेगा। लाखों की लागत से बना पशु चिकित्सालय हो रहा जर्जर
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बरसात के दिनों में छतों से पानी टपकने लग जाता है। डॉक्यूमेंट, मेडिसिन व उपकरण भीगते हैं जिसके कारण पशु चिकित्सा कार्य प्रभावित होता है तथा पशुपालक को आए दिन परेशानी का सामना करना पड़ता है। पशु चिकित्सालय में पशुओं की दवाओं का टोटा, 8 किमी दूर जाने की मजबूरी
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गामछ में संचालित पशु चिकित्सालय के पास अपना भवन भी होने से पंचायत के एक कमरे में ही अस्थाई रूप से पशु चिकित्सालय चल रहा है। लगभग डेढ़ माह से पशुओं के लिए भी दवाइयां नहीं मिल रही थी जिससे पशु पालकों को 8 किलोमीटर दूर से केशवरायपाटन जाकर जरूरी दवाइयां लाने को मजबूर होना पड़ रहा है। 