विभिन्न बीमारियों से तड़प रहे मवेशी, पंचायत समिति प्रधान को दिया ज्ञापन

बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय की मांग

विभिन्न बीमारियों से तड़प रहे मवेशी, पंचायत समिति प्रधान को दिया ज्ञापन

छीपाबड़ौद क्षेत्र में पशुपालन हजारों परिवारों की आजीविका का प्रमुख साधन है, लेकिन पशुओं के इलाज की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण पशुपालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है

छीपाबड़ौद। छीपाबड़ौद क्षेत्र में पशुपालन हजारों परिवारों की आजीविका का प्रमुख साधन है, लेकिन पशुओं के इलाज की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण पशुपालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कस्बे में प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय तो है लेकिन यह अत्याधुनिक सुविधाओं से वंचित है। पशुपालकों को किसी भी गंभीर स्थिति में अपने पशुओं को जिला मुख्यालय (बारां) या फिर कोटा ले जाना पड़ता है, जो कि 70 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर स्थित है। इस समस्या को देखते हुए स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों ने इस चिकित्सालय को बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय (पॉलिक्लिनिक) में क्रमोन्नत करने की मांग उठाई है।

बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय... क्यों जरूरी?
पशु चिकित्सा क्षेत्र में आधुनिक सुविधाओं की जरूरत लगातार बढ़ रही है। एक बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय  में निम्न सुविधाएं होती हैं। जैसे एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड सुविधा, आपातकालीन सर्जरी और आॅपरेशन थियेटर,  पशुओं के लिए आईसीयू सुविधा, डेयरी उद्योग से जुड़े परीक्षण केंद्र, नियमित टीकाकरण और उपचार सेवाएं आदि है। 
 
पंचायत समिति प्रधान को दिया ज्ञापन
छीपाबड़ौद पंचायत समिति के प्रधान नरेश कुमार मीणा भी इस मांग को लेकर आगे आए और जयपुर पहुंचकर विधायक प्रताप सिंह सिंघवी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। रामबिलास मीणा, टीकमचंद, दिलीप मीणा और ललित मालव भी उनके साथ मौजूद रहे।  पशु चिकित्सालय को बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय में क्रमोन्नत करने की मांग रखी गई, ताकि पशुपालकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें और उन्हें अपने पशुओं को इलाज के लिए दूर-दराज के अस्पतालों में न ले जाना पड़े।
   
कब होगी मांग पूरी?
छीपाबड़ौद और आसपास के गांवों के सैकड़ों पशुपालकों ने प्रशासन से इस मुद्दे पर संज्ञान लेने की अपील की है। क्षेत्र में पशुपालन को बढ़ावा देने और पशुपालकों को राहत देने के लिए इस चिकित्सालय को बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय में क्रमोन्नत करना अत्यंत आवश्यक है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब इस गंभीर समस्या का समाधान करता है। क्या सरकार पशुपालकों की आवाज सुनेगी, या फिर यह मांग भी अन्य सरकारी फाइलों की तरह धूल खाती रह जाएगी? जब तक इस मांग को पूरा नहीं किया जाता, तब तक क्षेत्र के पशुपालक चुप नहीं बैठेंगे।

इलाज के अभाव में दम तोड़ते मवेशी
छीपाबड़ौद के आसपास के गांवों में हजारों की संख्या में दुधारू पशु, बैल, भेड़-बकरियां आदि हैं। लेकिन जब ये पशु बीमार पड़ते हैं, तो उनका इलाज समय पर नहीं हो पाता। कई मामलों में पशुपालकों को इलाज के लिए बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती है, लेकिन फिर भी सुविधाओं के अभाव में उनके पशु असमय दम तोड़ देते हैं।

छीपाबड़ौद क्षेत्र में पशुपालन करने वाले हजारों किसानों की आजीविका पशुओं पर निर्भर है, लेकिन यहां पशु चिकित्सा सुविधाओं का अभाव चिंता का विषय है। कई बार बीमार या घायल गायों और अन्य पशुओं को समय पर उचित इलाज नहीं मिल पाता, जिससे उनकी असमय मृत्यु हो जाती है।  सरकार को जल्द से जल्द इस मांग पर ध्यान देना चाहिए ताकि बेसहारा और जरूरतमंद पशुओं को उचित इलाज मिल सके और गो सेवा का कार्य और प्रभावी रूप से किया जा सके।"
- हेमराज नामदेव, सदस्य, राधव  माधव निराक्षित गौसेवा समिति।

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पशुपालकों को अपने बीमार या घायल पशुओं के इलाज के लिए 70 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय तक जाना पड़ता है, जो आर्थिक और समय दोनों दृष्टि से मुश्किल भरा है। हमारी मांग है कि छीपाबड़ौद के प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय को बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय (पॉलिक्लिनिक) में क्रमोन्नत किया जाए। हमें पूरी उम्मीद है कि सरकार इस विषय को गंभीरता से लेगी और जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठाएगी।
- नरेश कुमार मीणा,  प्रधान, पंचायत समिति छीपाबड़ौद।

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छीपाबड़ौद क्षेत्र में पशुपालन करने वाले हजारों परिवारों के लिए मवेशी सिर्फ आजीविका का साधन नहीं, बल्कि उनके परिवार का हिस्सा होते हैं। लेकिन जब ये पशु बीमार या घायल हो जाते हैं, तो यहां उचित चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में उनका इलाज नहीं हो पाता। कई बार पशुपालकों को मजबूरी में अपने मवेशियों को दूर जिला मुख्यालय तक ले जाना पड़ता है। जिससे समय और पैसे दोनों की बबार्दी होती है। 
- सचिन नामदेव, समाजसेवी। 

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छीपाबड़ौद में पशुपालकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन उपलब्ध संसाधन और चिकित्सा सुविधाएं उनकी जरूरतों को पूरा करने में अपर्याप्त हैं। बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय की स्थापना होती है, तो न सिर्फ पशुओं को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिलेगी, बल्कि क्षेत्र में पशुपालन को भी बढ़ावा मिलेगा। हम लंबे समय से इस मांग को लेकर प्रयासरत हैं और उम्मीद है कि जल्द ही यह मांग पूरी होगी। 
- डॉ. रामप्रसाद नागर, चिकित्सा अधिकारी, पशु चिकित्सालय छीपाबड़ौद। 

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