बाल विवाह अपराध और सामाजिक अभिशाप
ऐसा विवाह एक अपराध
तालुका विधिक सेवा समिति लालसोट के तत्वावधान में गुरुवार को तहसील कार्यालय परिसर में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। अधिवक्ता विजय कुमार ठाकुरिया ने बाल विवाह को अपराध एवं सामाजिक अभिशाप बताते कहा कि भारत में और विशेषकर राजस्थान में बच्चों की छोटी उम्र में शादी की कुरीति को रोकने के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 से लागू किया गया है, जिसमें लड़के की आयु 21 से कम है और लड़की की आयु 18 वर्ष से कम है तो वे विवाह योग्य नहीं है।
लालसोट। तालुका विधिक सेवा समिति लालसोट के तत्वावधान में गुरुवार को तहसील कार्यालय परिसर में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। अधिवक्ता विजय कुमार ठाकुरिया ने बाल विवाह को अपराध एवं सामाजिक अभिशाप बताते कहा कि भारत में और विशेषकर राजस्थान में बच्चों की छोटी उम्र में शादी की कुरीति को रोकने के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 से लागू किया गया है, जिसमें लड़के की आयु 21 से कम है और लड़की की आयु 18 वर्ष से कम है तो वे विवाह योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि विवाह के समय लड़का या लड़की दोनों में से कोई भी विवाह योग्य उम्र का नहीं है तो ऐसा विवाह बाल विवाह होने से एक अपराध माना गया है।
शिविर में अधिवक्ता तेजराम मीणा ने नालसा द्वारा संचालित बच्चों के लिए विधिक सेवाएं एवं उनके संरक्षण के लिए विधिक सेवाएं योजना की जानकारी प्रदान की। उन्होंने नालसा की तस्करी और वाणिज्यक यौन शोषण पीड़ितों के लिए विधिक सेवाएं, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए विधिक सेवा योजना, आदिवासियों के अधिकारों के संरक्षण और प्रवर्तन के लिए विधिक सेवा योजना की जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, बाल श्रम विरोधी अधिनियम, राष्ट्रीय लोक अदालत दिनांक 13 अगस्त 22 व श्रमिकों के अधिकारों के बारे में उपस्थित लोगों को बताया एवं श्रमिक कल्याण के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी।
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