52 दिन से धरने पर बैठे बिजली कर्मी, नहीं सुन रही सरकार
विद्युत महासंघ के बैनर तले आंदोलनरत हैं प्रदेश भर के बिजलकर्मी
जयपुर। राजस्थान विद्युत श्रमिक महासंघ के बैनर तले प्रदेश भर के बिजलकर्मी पिछले 52 दिनों से लगातार विद्युत भवन पर धरना दे रहे हैं। यहां तक कि बिजलीकर्मियों की काली दिवाली भी धरने में ही मन गयी लेकिन बावजूद इसके विद्युत प्रशासन और सरकार बिजलीकर्मियों की मांगों पर कोई सुनवाई नहीं कर रही है। विभाग में निजीकरण, ठेकाप्रथा, वेतन विसंगति सहित कई मांगों को लेकर ये आंदोलन किया जा रहा है।
महासंघ के महामंत्री विजय सिंह बघेल और प्रवक्ता यतींद्र कुमार ने बताया कि पांचों निगमों में विभिन्न नामों से किये जा रहें निजीकरण एवं राजनैतिक द्वेषता से संघठन कार्यकर्ताओ के तबादलों को लेकर श्रमिक (भामसँ ) महासंघ द्वारा विद्युत भवन पर 28 सूत्रीय मांगों को लेकर पांच निगमों के कर्मचारियों द्वारा विद्युत भवन जयपुर पर चल रहे क्रमिक अनिश्चितकालीन धरना में आज 52 हो चुके हैं लेकिन प्रशासन हमारी मांगो पर सुनवाई नही कर रहा है अपनी मांगों को लेकर कोई भी वार्तालाप एवं निर्णय नहीं होने से कर्मचारियों में रोष व्याप्त है। बहुत खेद का विषय है कि सर्दी की रातों में 52 दिन से मजदूर धरने पर बैठा है, मगर प्रशासन बेखबर होकर सो रहा है। प्रजातंत्रिक सँघर्ष के प्रति प्रशासन व सरकार की बेरुख़ी लोकतंत्र के लिये अच्छे संकेत नही है। कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार एवं प्रशासन द्वारा गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाया जा रहा है जिसके कारण विद्युत कंपनियों का घाटा बढ़ रहा है और जनता महंगी बिजली की शिकार हो रही है। महासंघ द्वारा अपनी मांगों को लेकर समय-समय पर प्रदर्शन करके ज्ञापन देकर सरकार एवं प्रशासन को अवगत कराया है मगर कोई भी सकारात्मक हल नहीं निकाला गया। इसलिए संगठन ने तय किया है कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती तब तक विद्युत भवन पर क्रमिक धरना जारी रहेगा। हमारी प्रमुख मांगें विद्युत निगमों में निजीकरण पर रोक लगाकर नई भर्ती की जाये, पांचों विद्युत कंपनियों को आपस में विलय करके एक विधुत मंडल बनाया जाए, आईटीआई स्किल्ड तकनीकी कर्मचारियों का पदनाम परिवर्तन हो एवं प्रमोशन का वित्तीय लाभ नियुक्ति तिथि से दिया जाए, सिनियर इंजीनियर सुपरवाइजर का पद स्वीकृत किया जाए, लिंगभेद नीति तहत वंचित कर्मचारियों को बाबू बनाया जाए, विधुत कर्मचारियों को प्रतिमाह 200 यूनिट फ्री विधुत दी जाए, कर्मचारियों को हार्ड ड्यूटी भत्ता दिया जाए जैसी मांगे प्रमुख हैं।
Comment List