भाजपा ने प्रोजेक्ट्स को अघोषित तरीके से रोका : दिव्यांग विश्वविद्यालय के काम को आगे बढ़ाएं, गहलोत ने सरकार से की मांग
दिव्यांग चाहकर भी उच्च शिक्षा में दाखिल नहीं हो पाते
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भजनलाल सरकार से दिव्यांग विश्वविद्यालय के काम को आगे बढ़ाने की मांग की है।
जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भजनलाल सरकार से दिव्यांग विश्वविद्यालय के काम को आगे बढ़ाने की मांग की है। गहलोत ने कहा है कि सिर्फ दिव्यांग नाम देने से नहीं, सरकार उन्हें शिक्षा के अवसर देने के काम आगे बढ़ाए। एक तरफ तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विकलांग शब्द को दिव्यांग करवाते हैं और उन्हें सम्मान देने की बात करते हैं और दूसरी तरफ उन्हीं की पार्टी की सरकार राजस्थान में दिव्यांगों के हित में घोषित की गई दो यूनिवर्सिटी का काम रोककर बैठी है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को संज्ञान लेकर इन दोनों विश्वविद्यालयों का काम जल्द से जल्द आगे बढ़ाना चाहिए। भारत में उच्च शिक्षा में दिव्यांगों की सहभागिता 5 प्रतिशत से भी कम है।
तमाम चुनौतियों के कारण दिव्यांग चाहकर भी उच्च शिक्षा में दाखिल नहीं हो पाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने बजट 2022-23 में जयपुर में बाबा आम्टे दिव्यांग यूनिवर्सिटी एवं बजट 2023-24 में जोधपुर में महात्मा गांधी दिव्यांग विश्वविद्यालय की घोषणा की थी। यह नए तरह के विश्वविद्यालय थे। इसलिए इनके कोर्स डिजाइन करने एवं अन्य औपचारिकताओं में समय लगना लाजिमी था। इसके लिए जयपुर में यूजीसी में लम्बा अनुभव रखने वाले डॉ. देवस्वरूप को एवं जोधपुर में दिव्यांग सेवा में पूरा जीवन लगाने वाली कुसुमलता भंडारी को वाइस चांसलर नियुक्त किया गया था।
इसके बाद हमारी सरकार बदल गई। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा सरकार ने इन दोनों प्रोजेक्ट्स को अघोषित तरीके से रोक दिया है। कुसुमलता भंडारी लगातार सरकार से उन्हें स्टाफ एवं वित्तीय सहायता देने की मांग करती रहीं पर उन्हें सरकार ने कोई सहायता नहीं दी। दो महीने पूर्व उनका देहांत हो जाने के बाद अब तक किसी नए व्यक्ति को यह जिम्मेदारी नहीं दी गई है। जयपुर में भी दिव्यांग विश्वविद्यालय के काम को आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है।
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