गैंगस्टरों-साइबर ठगों की हैंचमेन के जरिए कॉलिंग से करतूत : लॉरेंस गैंग समेत अन्य बदमाश कॉलिंग से खड़ा कर रहे अपराध का साम्राज्य, आमजन से लेकर बड़े लोगों को दे रहे धमकी और वसूल रहे रंगदारी
असली अपराधियों तक पुलिस की पहुंच मुश्किल है
संगठित अपराधी गिरोह इनका इस्तेमाल करते हैं। ये गिरोह तकनीक का उपयोग करके अपने अवैध कामों को अंजाम देते हैं और ट्रेस होने से बचने की कोशिश करते हैं।
जयपुर। सुविधाओं के लिए आ रही इंटरनेट तकनीकों का इस्तेमाल गैंगस्टर और साइबर ठग समेत अन्य बदमाश हैंचमेन के जरिए बेखौफ होकर कर रहे हैं। अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल कर कॉलिंग कर लोगों से रुपए ऐंठकर अपराध का साम्राज्य खड़ा कर रहे हैं। लॉरेंस गैंग के दो बदमाशों को अब तक डब्बा कॉल कराने के मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है। जानकारी के अनुसार ये हैंचमेन हैं, जो कॉलिंग करवाने से लेकर आखिरी डील तक इस खेल के मैन ऑव दॅ मैच हैं। डब्बा कॉल कराने वाले अमरजीत को एजीटीएफ इटली और आदित्य जैन को दुबई से गिरफ्तार कर चुकी है। अपराध में कॉलिंग कई तरह से होती है। खासकर संगठित अपराधी गिरोह इनका इस्तेमाल करते हैं। ये गिरोह तकनीक का उपयोग करके अपने अवैध कामों को अंजाम देते हैं और ट्रेस होने से बचने की कोशिश करते हैं। खास बात ये है कि इस तकनीक में हैंचमेन को तो धरदबोचा जा सकता है, लेकिन असली अपराधियों तक पुलिस की पहुंच मुश्किल है।
तकनीक डब्बा कॉलिंग
यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें कॉल करने वाला अपनी पहचान और लोकेशन को छिपाने के लिए अवैध टेलीफोन एक्सचेंज (जिसे डब्बा कहते हैं) का इस्तेमाल करता है। इसमें डब्बा कॉल कराने वाले दो व्यक्तियों के बीच में कॉल करवाता है। कॉल लगने के बाद खुद हट जाता है। डब्बा कॉल करने वाला कॉल लगाने के दो व्यक्तियों के बीच की बात नहीं सुन सकता है। यह एक तरह का अनआॅफिशियल स्विचबोर्ड होता है जो कॉल को रूट करता है, जिससे ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है।
कैसे ऑपरेट करते हैं
अपराधी निचले स्तर पर छोटे-छोटे डिवाइस या सेटअप लगाते हैं, जो कॉल को कई नंबरों के जरिए री-डायरेक्ट करते हैं। ये कॉल्स ज्यादातर धमकी देने, फिरौंती मांगने या ठगी के लिए की जाती हैं। लॉरेंस गैंग इसका ही इस्तेमाल करता है।
उपयोग
बदमाश इसका उपयोग पुलिस से बचने के लिए करते हैं। पुलिस को डब्बा कॉल कराने वाले व्यक्ति को पकड़ने में काफी मुश्किल होती है।
तकनीक 2 इंटरनेट कॉलिंग
इसमें वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) का उपयोग होता है। बदमाश वाट्सअप, स्काइप या सिग्नल ऐप जैसे एन्क्रिप्टेड ऐप्स के जरिए कॉल की जाती हैं।
बदमाश गिरोह इस कॉल के लिए इंटरनेट कनेक्शन और सस्ते स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। वे फर्जी सिम या वाईफाई नेटवर्क का उपयोग कर धमकी देते हैं। जिससे कॉल की लोकेशन ट्रैक न हो सके। जेल में भी तस्करी से लाए गए फोन के जरिए यह संभव होता है।
उपयोग
बदमाश इसे यह सस्ता और सुरक्षित मानते हैं। एन्क्रिप्टेड ऐप्स की वजह से कॉल की बातों, फोटो और वीडियो को डिकोड करना मुश्किल होता है, जिससे अपराधी अपने प्लान को आसानी से अंजाम दे पाते हैं।
तकनीक 3 स्पूफिंग
स्पूफिंग से कॉल करने के लिए व्यक्ति खुद की पहचान छिपा लेता है। वह किसी और के नंबर (जैसे बैंक, पुलिस, या सरकारी अधिकारी) के रूप में कॉल करता है। इससे सामने वाला व्यक्ति भ्रमित हो जाता है और झांसे में आ जाता है। राजस्थान में शातिर बदमाश ने एसीबी अधिकारी शंकर दत्त शर्मा बनकर कई लोगों को ठगी के लिए फोन किए।
कैसे ऑपरेट करते हैं
इसके लिए अलग से सॉफ्टवेयर और ऑनलाइन टूल्स का उपयोग होता है, जो आसानी से इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। अपराधी किसी जानी-पहचानी संस्था का नंबर दिखाकर लोगों से रुपए ठगते हैं और निजी जानकारी चोरी कर लेते हैं।
उपयोग
रुपयों की ठगी करने, डिजिटल अरेस्ट जैसे स्कैम में इसका खूब इस्तेमाल होता है, जहां पीड़ित को लगता है कि पुलिस या कोई अधिकारी कॉल कर रहा है।
तकनीक 4 आयर
यह एक अवैध कॉल रिले सिस्टम है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय कॉल्स को लोकल कॉल्स में बदला जाता है, ताकि कॉल सस्ती हो और ट्रेस ना हो सके।
कैसे ऑपरेट करते हैं
गिरोह हाई-स्पीड इंटरनेट और विशेष उपकरणों का उपयोग करते हैं। वे कॉल को कई देशों के सर्वर से रूट करते हैं, जिससे उसका मूल स्त्रोत तलाशना मुश्किल हो जाता है। यह ज्यादातर बड़े स्तर पर ठगी या साइबर क्राइम के लिए होता है।
उपयोग
अंतरराष्ट्रीय अपराधी नेटवर्क इसका इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि म्यांमार या कम्बोडिया से भारत में ठगी करने वाले गिरोह।
गिरोह कैसे ऑपरेट करते हैं
संगठन
ये गिरोह प्रोफेशनल तरीके से काम करते हैं। उनके पास अलग-अलग टीमें होती हैं। एक कॉल करने के लिए, दूसरी तकनीकी सेटअप के लिए और तीसरी टीम रुपए वसूलने के लिए काम करती है।
उपकरण
तस्करी से लाए गए मोबाइल, ड्रोन से या फेंककर जेल में पहुंचाए गए फोन, और सस्ते इंटरनेट डिवाइस इनके मुख्य हथियार हैं। कुछ मामलों में भ्रष्ट कर्मचारी भी इनकी मदद करते हैं।
रणनीति
वे डर और लालच का इस्तेमाल करते हैं। फिरौंती के लिए धमकी भरे कॉल्स या लॉटरी जीतने का झांसा देकर ठगी।
लोकेशन
ये गिरोह छोटे शहरों, जेलों या विदेशी ठिकानों से आॅपरेट करते हैं ताकि पकड़ में न आएं।
केस नम्बर-1
लॉरेंस बिश्नोई गैंग में पहले अमरजीत बिश्नोई और अब आदित्य जैन को डब्बा कॉल करवाने के आरोप में पकड़ा गया। ये सभी फर्जी मोबाइल और सिम का उपयोग करते हैं।
सतर्र्क रहें, तुरंत पुलिस को सूचना दें
अपराधी वारदात करने के लिए इन तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यदि ऐसा कोई भी फोन कॉल्स आता है तो पहले उसे रिसीव नहीं करें और यदि बात होती है तो तुरंत पुलिस को सूचना दें। साइबर क्राइम से संबंधित होने पर 1930 पर कॉल कर शिकायत दर्ज कराएं।
कोई भी अनजान व्यक्ति कॉल करता है तो रिसीव करने के दौरान सतर्क रहें और यदि कोई विदेश से कॉल आता है और आपका कोई परिचित विदेश में नहीं है तो उस कॉल को अवॉइड करें। किसी भी बदमाश के कही बातों पर भरोसा नहीं करें, चैक करें और गलत पाए जाने पर तुंरत पुलिस को सूचना दें।
- हेमंत प्रियदर्शी, डीजी साइबर राजस्थान
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