प्रदेश में छात्रवृत्ति घोटाले का मामला फिर हुआ तेज, सरकार के पास पहुंच रही शिकायतें
निजी विश्वविद्यालयों की जांच कमेटी की आई रिपोर्ट, अब मिला सुनवाई का मौका
शिकायती पत्र में सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री के नाम पर वसूली की बात कही गई है।
जयपुर। राज्य सरकार में छात्रवृत्ति घोटाले में ब्लैकलिस्ट हुए निजी विश्वविद्यालयों का मामला फिर से तेज होने लगा है, क्योंकि एक बार फिर से सरकार के पास शिकायते पहुंचनी शुरू हो गई है, जिससे मामला फिर से सुर्खियां बंटोरने में लगा हुआ है। पिछले साल जांच के बाद सरकार के सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग ने 27 दिसंबर, 2023 को 7 निजी विश्वविद्यालयों और 33 आईटीआई संस्थानों को ब्लैकलिस्ट किया। इससे पहले 1 दिसंबर को 2023 को दो निजी विश्वविद्यालयों को छात्रवृत्ति घोटाले में ब्लैकलिस्ट किया था। इन सभी 9 निजी विश्वविद्यालयों को लेकर एक जांच कमेटी बनी, जिसकी प्रारंभिक रिपोर्ट भी सामने आ गई है। जिसमें इन प्राइवेट यूनिवर्सिटीज को फिर से सुनवाई का एक मौका दिया गया है।
चल रही वसूली, होगी पूरी रिकवरी
सरकार अभी छात्रवृत्ति घोटाले में वसूली की कार्रवाई भी चल रही है। अभी तक 80 फीसदी वसूली हो चुकी है, जबकि कमेटी की भी जांच चल रही है, जांच के बाद आगे सख्त कार्रवाई की जाएगी। जांच कमेटी की प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक ओपीजेएस यूनिवर्सिटी चूरू और सनराईज यूनिवर्सिटी अलवर के खिलाफ एसओजी में मामला दर्ज है और इन दोनों यूनिवर्सिटी के संचालकों को एसओजी ने गिरफ्तार भी कर लिया है। जबकि निर्वाण यूनिवर्सिटी, जयपुर, सिंघानिया यूनिवर्सिटी, झुंझुनूं सहित अन्य यूनिवर्सिटीज उच्च शिक्षा विभाग के जांच के दायरे में है। इन सभी यूनिवर्सिटी के खिलाफ फर्जी तरीके से डिग्री बांटने, बिना मान्यता के कोर्स चलाने और अन्य अनियमितताओं के संबंध में जांच के लिए उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से जांच कमेटियां बनाई गई है।
25 से 30 लाख रुपएमांगने की शिकायत
सीएमओ में गए एक शिकायती पत्र से खुलासा हुआ है कि जांच कमेटी के नाम पर अरविंद ओला नाम का एक अधिकारी अपने निजी व्यक्तियों के जरिए विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से सम्पर्क करके 25 से 30 लाख रुपए की मांग कर रहा है तथा रुपए नहीं देने पर रिपोर्ट नेगेटिव बनाने की भी धमकी दी जाती है। इस शिकायती पत्र से खुलासा अजमेर के भगवंत विश्ववविद्यालय की छात्रवृत्ति से हुआ है, पहले इसकी छात्रवृत्ति होल्ड पर लगाया गया था, लेकिन मांग पूरी होने पर इसे होल्ड से हटाया जा रहा है और मंत्री से फाइल भी अप्रूल करवा ली गई है। शिकायती पत्र में सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री के नाम पर वसूली की बात कही गई है।
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