अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस - नारी है शक्ति, नारी है ज्योति, नारी बिना ये दुनिया है खोती ....

शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है, इसे कभी मत छोड़ो

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस - नारी है शक्ति, नारी है ज्योति, नारी बिना ये दुनिया है खोती ....

महिला अगर हम ठान लें तो हर चुनौती को पार कर सफ लता की नई कहानी लिख सकती हैं।

कोटा।  नारी शक्ति अगर ठान ले तो हर मुकाम पर अपना परचम लहरा देती है। आज के युग में महिलाएं पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। वे अपनी आत्मनिर्भरता, जोश और जज्बे से अपने सपने साकार कर रही है। शिक्षा, व्यवसाय, उच्च सरकारी पद, खेल, बिजनेस, राजनीति जैसे हर क्षेत्र में कामयाबी के शिखर पर पहुंच रही है। अंतरराष्टÑीय महिला दिवस पर हम ऐसे ही हाड़ौती की महिलाओं से आपको मुखातिब करवा रहे है। इन महिलाओं का कहना है कि बेटियों को सपने देखने दीजिए। उन्हें उड़ने दीजिए। अगर सही दिशा और अवसर मिले, तो वे हर मंजिÞल को हासिल कर सकती हैं। हर महिला में असीम शक्ति है। अगर हम ठान लें तो हर चुनौती को पार कर सफ लता की नई कहानी लिख सकते हैं। 

मेहनत से सफलता तक अपनी कड़ी मेहनत, लगन और ईमानदारी से प्रशासनिक सेवा में अपनी पहचान बनाई। माता-पिता एवं परिवार की प्रेरणा से मैंने अपनी क्षमताओं को निखारा। शिक्षा, आत्मनिर्भरता और संकल्प ही सफलता की कुंजी हैं। जब एक महिला ठान लेती है, तो हर चुनौती छोटी हो जाती है। एक सुरक्षित समाज ही महिला सशक्तिकरण की नींव है। जागरूकता, सशक्त कानून और समाज की सकारात्मक सोच से महिलाएं निर्भय होकर आगे बढ़ सकती हैं। कड़ी मेहनत, सही मार्गदर्शन और आत्मविश्वास से हर महिला अपने लक्ष्य को हासिल कर सकती है। महिला शक्ति, समाज की असली ताकत है। 
-भावना सिंह,एसडीएम  लाखेरी 

निरंतर मेहनत पर ही अपनी मंजिल मिल सकती है
 शुरू से ही परिवार का सहयोग रहा तो संघर्ष तो नही करना पड़ा लेकिन मेहनत बहुत करनी पड़ी है। जो भी  महिला जीवन मे कुछ करना चाहती है वो लक्ष्य निर्धारित कर के निरंतर मेहनत कर अपनी मंजिल को हासिल कर सकती है। महिला मजूबत और सफल हो सके इसके लिए जरूरी हो कि महिला अंदर से मजबूत हो अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हो, क्योंकि जीवन में कैसी भी परिस्थितियां आ जाए हमे हमारी नाकामी के पीछे परिस्थियों का हवाला नही देना चाहिए।  सकारात्मक ऊर्जा के साथ परिस्थितियों का सामने करते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए। समाज में महिला अपने आप को सुरक्षित महसूस करे इसके लिए जरूरी है कि लोग अपने लड़के और लड़कियों की परवरिश समानता के साथ करे। उनमें किसी प्रकार का भेदभाव नही करें। क्योंकि अगर माता पिता अपनी लड़कियों के साथ ही लड़कों को भी सही संस्कार देंगे तो समाज मे निश्चित ही महिलाएं सुरक्षित माहौल को महसूस करेंगी।
-सपना कुमारी, उपखण्ड अधिकारी सांगोद

बदलाव लाने के लिए सिर्फ  इच्छा ही नहीं , निरंतर प्रयास भी जरूरी हैं
आशा शर्मा जो कभी एक साधारण गृहिणी थीं। उन्होंने अपने संघर्ष और संकल्प के बल पर लाखेरी नगर परिषद की चेयरमैन बनने का गौरव हासिल किया। पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए भी उन्होंने समाज सेवा को प्राथमिकता दी और यह साबित किया कि इच्छाशक्ति से हर सपना साकार किया जा सकता है। चेयरमैन बनने के बाद आशा शर्मा ने शहर को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का दृढ़ निश्चय किया। उन्होंने स्वच्छता, विकास और नागरिक सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनका मानना है कि बदलाव लाने के लिए सिर्फ  इच्छा ही नहीं बल्कि निरंतर प्रयास भी जरूरी हैं। अंतरराष्टीय महिला दिवस के अवसर पर उन्होंने युवा छात्राओं और महिलाओं को संदेश दिया कि महिला शक्ति आज किसी से कम नहीं है। आशा शर्मा ने कहा हर महिला में असीम शक्ति है। अगर हम ठान लें तो हर चुनौती को पार कर सफ लता की नई कहानी लिख सकते हैं। आशा शर्मा हर उस महिला के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करना चाहती है। उनका संघर्ष और सफ लता यह साबित करता है कि अगर हौसला बुलंद हो तो कोई भी मुकाम दूर नहीं। 
-आशा शर्मा, चेयरमैन, नगर पालिका लाखेरी

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उन्हें देखकर जनसेवा का जज्बा जगा। पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया का विधानसभा क्षेत्र हैं । वो भी एक महिला है तो उनसे प्रेरित होकर राजनीति के जरिए जनसेवा का मौका मिला। अपने पालिकाध्यक्ष के कार्यकाल में लोगों के लिए जी जान से विकास कार्य किए। जिस मुकाम पर मैं हू वह परिवार के सहयोग से ही सम्भव हो पाता है। समय का बेहतर प्रबंधन दोनों कार्य मे सफलता दिलाता है और परिवार के सहयोग से ऊर्जा मिलती है। समाजसेवा हो या राजनीति, संघर्ष तो कदम कदम पर हर होते है, विरोध भी होते है खासकर जब आप महिला है तो हौसला तोड़ने वाले भी मिलते है लेकिन जनता के प्यार से हौसला और ताकत मिलती रहती है।
-वर्षा मनीष चांदवाड़, नगरपालिका अध्यक्ष, झालरापाटन
 
 डर को छोडो, हौसले को पकडो
बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देखती थी। परंतु समाज में बेटियों की पढाई लिखाई पर खर्चा व्यर्थ समझा जाता था फि र भी मेरे माता पिता के बेटे बेटी को समान शिक्षा प्रदान करने के विचार व मेरे अथक परिश्रम व लगन के चलते मैंने एसएमएस मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया।  इन्द्रगढ कस्बे से पहली महिला डॉक्टर बनी।  नीट परीक्षा की तैयारी के लिए दिन में 14 से 15 घंटे तक अध्ययन किया। शारिरीक विकलांगता होने के बावजूद मैंने कभी इसे अपनी कमजोरी नही माना और निरंतर मेहनत की। अपने अथक प्रयासों के दम पर ये मुकाम हासिल किया। पिता बैंक मैनेजर और माता गृहिणी है। जिनका मेरी इस सफ लता में अहम योगदान है। मेरे तीन छोटे भाई बहिन भी डॉक्टरी की तैयारी कर रहे है तथा एक बहिन आईएएस की तैयारी कर रही है। बाद में मेरे पति डॉ0 चन्दन मीना के प्रोत्साहन से पीजी की पढाई पूरी कर स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ के रूप में अपने कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में अपनी सेवाएं दे रही हूं। महिला सुरक्षा समान कानून और व्यक्तिगत जागरूकता से जुडा मुद्दा है। सख्त कानून आत्मरक्षा शिक्षा व जागरुकता से इसे मजबूत किया जा सकता है। महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करने में समाज की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। महिला सशक्तिकरण का मतलब सिर्फ अधिकार हासिल करना नही बल्कि अपने आत्मविश्वास स्वाभिमान और काबिलियत को पहचानना भी है। महिला दिवस पर सभी महिलाओं व बालिकाओं को मेरा संदेश है कि  डर को छोडा, हौसले को पकड़ो। शिक्षा तुम्हारा सबसे बडा हथियार है, इसे कभी मत छोड़ो। आर्थिक स्वतंत्रता तुम्हे आत्मनिर्भर बनाएगी इसे अपनाओ। गलत के खिलाफ आवाज उठाओ, क्योंकि चुप्पी भी अन्याय को बढ़ावा देती है।
 -डॉ. प्रियंका मीना महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र इन्द्रगढ़।

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सही दिशा और अवसर मिले तो बेटियां हर मंजिÞल को हासिल कर सकती हैं
छीपाबड़ौद कस्बे के ही राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की लेकिन  सपना इससे कहीं आगे था।  एमबीबीएस की तैयारी के लिए कोटा जाने की इच्छा जताई तो समाज ने सवाल उठाए। लड़की को इतना पढ़ाने की क्या जरूरत। इतनी दूर भेजकर क्या करेंगे? लेकिन  माता-पिता ने समाज की परवाह किए बिना उन्हें पूरा समर्थन दिया। कोटा में  दिन-रात मेहनत की। 16-16 घंटे पढ़ाई की। न मनोरंजन देखा, न पारिवारिक कार्यक्रमों में भाग लिया। एक ही लक्ष्य था डॉक्टर बनकर अपने क्षेत्र की महिलाओं के लिए कुछ करना। लगातार पांच वर्षों की मेहनत के बाद विजय लक्ष्मी का चयन अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में हुआ। जहां से उन्होंने स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उनका सरकारी नौकरी में चयन हुआ और 2021 में छीपाबड़ौद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपनी सेवाएं शुरू कीं। लड़कियों को सिर्फ  स्कूल भेजना काफ ी नहीं है, उन्हें उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करना और सही संसाधन उपलब्ध कराना भी जरूरी है। महिला सुरक्षा को लेकर वे कहती हैं। सरकार को सख्त कानून लागू करने चाहिए और पुलिस को महिलाओं की शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए ताकि वे खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें। आज भी कई महिलाओं के साथ हिंसा होती है। हर लड़की के माता-पिता से यह कहना है कि बेटियों को सपने देखने दीजिए। उन्हें उड़ने दीजिए। अगर सही दिशा और अवसर मिले, तो वे हर मंजिÞल को हासिल कर सकती हैं।
-डॉ विजय लक्ष्मी चौरसिया, स्त्री एवं प्रसूति विशेषज्ञ, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छीपाबडौद

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मैं पेशे से एक ब्यूटीशियन है। पिछले 4 सालों में लगभग 500 से ज्यादा युवतियों व महिलाओं को ब्यूटीपार्लर का कोर्स करवा कर हुनरमंद बनाया है। ब्यूटी कोर्स का कोई चार्ज नही लिया, यह बिल्कुल निशुल्क है। जो आज भी अनवरत जारी है। स्कूल व कॉलेज की युवतियों के लिए यह फ्री ब्यूटी कोर्स समर वेकेशन के समय करवाया जाता है। यह सब नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक अच्छा कदम है। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के कौशल विकास व आत्मनिर्भर भारत, नारी सशक्तिकरण जैसे ध्येय को भी बढ़ावा दे रही है। हर महिला को अपनी जिद और जुनून से अपने जीवन की कहानी खुद लिखनी चाहिए। मैं  इंदौर जैसे बड़े शहर की रहने वाली थी, शादी भवानीमंडी में हुई। एक बेटी का अपने पापा के प्रति अटूट विश्वास ने ही उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। सब में उनके माता-पिता व पति का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। 
-सविता घुता -ब्यूटीशियन, भवानीमंडी

 

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