शिक्षा ही वंचितों के उत्थान की बुनियाद : विश्वविद्यालय छात्रों को सार्वजनिक जीवन और राजनीति को गहराई से समझने के लिए करेंगे प्रोत्साहित, गोयल ने कहा- अगले 25 साल विकसित भारत के लिए होंगे निर्णायक युग

एमिटी यूनिवर्सिटी के सालाना दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे

शिक्षा ही वंचितों के उत्थान की बुनियाद : विश्वविद्यालय छात्रों को सार्वजनिक जीवन और राजनीति को गहराई से समझने के लिए करेंगे प्रोत्साहित, गोयल ने कहा- अगले 25 साल विकसित भारत के लिए होंगे निर्णायक युग

शासन और सार्वजनिक सेवा को सीधे समझ सकें, और यह भी कि वे एक दिन इसे और भी बेहतर कैसे कर सकते हैं।

नई दिल्ली। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को शिक्षा को वंचित वर्गों के उत्थान का आधार बताते हुए इसमें शिक्षण संस्थानों , विशेष रूप से विश्वविद्यालयों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। गोयल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर ) के नोएडा में निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालय एमिटी यूनिवर्सिटी के सालाना दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की विरासत को याद करते हुए कहा कि उनके द्वारा तैयार देश के संविधान में समानता, सामाजिक सछ्वाव और सभी के लिए अवसरों को बुनियादी सिद्धांत बनाया गया। गोयल ने इसी संदर्भ में कहा कि शिक्षा वंचित वर्गों के उत्थान की नींव है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ज्यादा से ज्यादा विश्वविद्यालय छात्रों को सार्वजनिक जीवन और राजनीति को और गहराई से समझने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। उन्होंने सुझाव दिया कि संस्थान छात्रों को जन प्रतिनिधियों के साथ इंटर्नशिप के लिए भेजने पर भी विचार कर सकते हैं, ताकि वे शासन और सार्वजनिक सेवा को सीधे समझ सकें, और यह भी कि वे एक दिन इसे और भी बेहतर कैसे कर सकते हैं।

उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित विद्यार्थियों को समाज और राष्ट्र के प्रति उनके कर्तव्यों की याद दिलाई। वाणिज्य मंत्री ने विश्वविद्यालय से शिक्षा लेकर निकल रहे विद्यार्थियों को  2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की भारत की यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया और कहा कि अगले 25 साल विकसित भारत के लिए निर्णायक युग होंगे। उन्होंने छात्रों से अपने चुने हुए क्षेत्रों को अगले स्तर पर ले जाने, सीमाओं को आगे बढ़ाने और राष्ट्रीय प्रगति में सार्थक योगदान देने का आग्रह किया। गोयल ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले की प्राचीर से  उस संबोधन की भी याद दिलायी जिसमें  उन्होंने युवा पुरुष और महिलाओं से सार्वजनिक जीवन और राजनीति को एक पेशे के रूप में अपनाने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि राजनीति को ऐसे समर्पित व्यक्तियों की जरूरत है जो राष्ट्र के लिए काम करने को तैयार हों, सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी बनाए रखें, और देश के 140 करोड़ नागरिकों को अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों को पहचानने के लिए प्रेरित करें - पहले अपने परिवारों के प्रति, फिर समाज के प्रति, और अंत में राष्ट्र के प्रति।

गोयल ने कहा कि जैसे ही स्नातक असली दुनिया में कदम रखते हैं, तो उनको जीवन की नयी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। चुनौतियों और संघर्ष को जीवन यात्रा का हिस्सा बताते हुए उन्होंने विश्वास जताया कि यूनिवर्सिटी द्वारा दी गई शिक्षा और मूल्यों से स्नातकों को  इन चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूती देगी तथा उन्हें परिस्थितियों का सामना करने के लिए आत्मविश्वास पैदा करने और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता देगी। 

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