उदयपुर मास्टर प्लान पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, फतेहसागर झील के पास होटल निर्माण का रास्ता आसान
किसी भी प्रकार का निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित
राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस सुनील बेनीवाल की बेंच ने उदयपुर मास्टर प्लान.2031 से जुड़े एक अहम मामले में बड़ा आदेश पारित किया है। कोर्ट ने मास्टर प्लान के लैंड यूज मैप में हुई ड्राफ्टिंग एरर को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि फ तेहसागर झील के पास स्थित याचिकाकर्ताओं की भूमि को ग्रीन जोन-1 से हटाकर ग्रीन जोन-2 में दर्शाया जाए।
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस सुनील बेनीवाल की बेंच ने उदयपुर मास्टर प्लान.2031 से जुड़े एक अहम मामले में बड़ा आदेश पारित किया है। कोर्ट ने मास्टर प्लान के लैंड यूज मैप में हुई ड्राफ्टिंग एरर को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि फ तेहसागर झील के पास स्थित याचिकाकर्ताओं की भूमि को ग्रीन जोन-1 से हटाकर ग्रीन जोन-2 में दर्शाया जाए। इस फैसले के बाद संबंधित भूमि पर होटल या रिसॉर्ट निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट ने मामले में आदेश दिया कि मास्टर प्लान की परिभाषा के विपरीत जाकर भूमि को गलत तरीके से जी-1 जोन में दिखाया गया था, जो कि तकनीकी त्रुटि है। कोर्ट ने राज्य सरकार को एक महीने के भीतर मास्टर प्लान.2031 और जोनल डेवलपमेंट प्लान में आवश्यक संशोधन करने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता पीयूष मारूए चिराग मारूए मोनिका और सोनाली के पास उदयपुर जिले की गिरवा तहसील के सिसारमा गांव में खसरा नंबर 1697 में कुल 0.8600 हेक्टेयर कृषि भूमि है।
याचिकाकर्ता इस भूमि पर होटल अथवा रिसॉर्ट का निर्माण करना चाहते थे, लेकिन उदयपुर मास्टर प्लान.2031 के लैंड यूज मैप में उनकी जमीन को ग्रीन जोन-1 में दर्शा दिया गया, जहां किसी भी प्रकार का निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसी कारण भूमि रूपांतरण और निर्माण की प्रक्रिया बाधित हो रही थी।याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ताओं का तर्क था कि उनकी जमीन फ तेहसागर झील के फुल टैंक लेवल से 100 मीटर से अधिक दूरी पर स्थित है। मास्टर प्लान के क्लॉज अनुसार केवल झील के एफ टीएल से 100 मीटर तक का क्षेत्र ही ग्रीन जोन.1 में आता है, जबकि 100 मीटर से बाहर की भूमि ग्रीन जोन.2 में शामिल होती है, जहां सीमित शतोंर् के साथ निर्माण की अनुमति है।

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