भूखे भेडिये की तरह झपट रहे हैं श्वान,आमजन परेशान
शहर में रोजाना आधा दर्जन से अधिक मामले हो रहे श्वानों के काटने के
शहर के हर गली मौहल्ले व एरिया में आए दिन इस तरह के मामले हो रहे हैं। वहीं केवल कोटा शहर में ही नहीं अन्य शहरों में भी श्वानों के हमले हो रहे हैं।
कोटा । शहर में इन दिनों श्वान काफी खूंखार हो रहे हैं। गली मौहल्ले ही नहीं मुख्य मार्गों तक पर आवारा श्वानों के झुंड राह चलते लोगों पर हमले कर रहे हैं। जिससे आमजन इतना अधिक परेशान हो चुके हैं कि अब तो श्वानों के झुंड देखते ही उनमें दहशत होने लगी है। हालत यह है कि शहर में रोजाना आधा दर्जन से अधिक मामले अस्पतालों में श्वानों के काटने के पहुंच रहे हैं। स्वामी विवेकानंद नगर में एक दिन पहले श्वानों के झुंड ने डेढ़ साल के मासूम बालक को घेरकर उस पर हमला कर दिया था। श्वानों ने उस बच्चे के शरीर पर न केवल काटा वरन् उसे काफी दूर तक घसीटकर भी ले गए। जिससे बच्चे की हालत खराब हो गई। वह चीखने चिल्लाने लगा तो लोगों ने श्वानों को भगाकर बालक को बचाया। ऐसा केवल इस बालक के साथ ही नहीं हुआ है। शहर के हर गली मौहल्ले व एरिया में आए दिन इस तरह के मामले हो रहे हैं। वहीं केवल कोटा शहर में ही नहीं अन्य शहरों में भी श्वानों के हमले हो रहे हैं। बुधवार को भी राज्य में कई जगह पर श्वानों के हमले के वीडियो वायरल हुए जिनमें श्वान लोगों पर झपटकर उन्हें काटते हुए दिख रहे हैं। घर से बाहर निकलते ही चाहे महिलाएं हो या बुजुर्ग या फिर छोटे बच्चे श्वान उन्हें देखते ही उन पर भूखे भेडिये की तरह झपट रहे हैं और उन्हें शिकार बना रहे हैं। श्वानों के हमले व काटने के कई मामले तो उजागर हो रहे हैं लेकिन ऐसे भी कई मामले हैं जिनकी तो जानकारी तक नहीं मिल पाती। अस्पतालों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर में सरकारी व निजी अस्पतालों में रोजाना 6 से 7 मामले श्वानों के काटने के आ रहे हैं।
श्वानशाला बनाई, कारगर नहीं हो पाई: शहर में श्वानों के बढ़ते आतंक व हमलों को देखते हुए नगर निगम की ओर से श्वानशाला तो बना दी गई। नगर निगम के वर्तमान बोर्ड का गठन होने के बाद वर्ष 2021 में पहले कोटा दक्षिण निगम में और फिर कोटा उत्तर निगम में श्वानशाला का निर्माण किया गया। यहां श्वानों को लाकर रखा जाता है। उनका बधियाकरण व टीकाकरण किया जाता है। उसके बाद निर्धारित अवधि दो से तीन दिन में उन श्वानों को फिर से उसी स्थान पर छोड़ा जा रहा है जहां से उन्हें पकड़कर लाया जाता है। ऐसे में न तो शहर में श्वानों की संख्या कम हो रही है और न ही निगम की कार्रवाई का असर नजर आ रहा है। श्वान शाला निर्माण और श्वानों के बधियाकरण व टीकाकरण पर हर साल लाखों रुपए खर्च होने के बावजूद यह उतनी कारगर नहीं हो पाई जितनी होनी चाहिए थी। वरन् हालत यह है कि बधियाकरण व टीकाकरण के बाद श्वान अधिक खूंखार हो रहे हैं।
महापौर पुत्र व महिला पार्षद को बना चुके शिकार
श्वानों द्वारा राह चलते लोगों पर हमले किए जा रहे हैं फिर चाहे वह कोई भी हो। नगर निगम कोटा दक्षिण के महापौर राजीव अग्रवाल के पुत्र पर साइकिल से जाते समय ही साबरमती कॉलोनी में श्वान हमला कर चुके हैं। जिससे उनके पैर में काट लिया था। इतना ही नहीं स्कूटी पर घर जाते समय नगर निगम कोटा दक्षिण की भाजपा पार्षद रीता सलूजा तक को श्वान शिकार बना चुके हैं। उनके भी पैर में श्वानों ने काट लिया था। बजरंग नगर, केसर बाग और बोरखेड़ा समेत कई क्षेत्रों में भी पूर्व में कई लोगों को श्वानों द्वारा काटने के मामले होे चुके हैं।
निगम कार्यालय तक में श्वानों का जमघट
शहर के मुख्य मार्ग और गलियों में ही नहीं, श्वानों को पकड़कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने वाले नगर निगम कार्यालय तक में श्वानों का जमघट लगा हुआ है। यहां करीब 3 से 4 श्वान ऐसे हैं जो पूरे कार्यालय में ऊपर से नीचे तक घूमते रहते हैं। सबसे अधिक श्वान तो कार्यालय के प्रशासनिक भवन स्थित सभागार में घूमते रहते हैं। जहां आमजन की आवाजाही सबसे अधिक रहती है। ऐसे में यहां आने वाले लोगों के लिए भी ये श्वान खतरा बने हुए हैं।
तीन साल में 24 हजार से अधिक का बधियाकरण
नगर निगम से प्राप्त जानकारी के अनुसार श्वानशाला बनने के बाद से नगर निगम तीन साल में 24 हजार से अधिक श्वानों का बधियाकरण व टीकाकरण करवा चुका है। उसके बाद भी अभी तक बड़ी संख्या में ऐसे श्वान हैं जिनका बधियाकरण नहीं हुआ है। नगर निगम की ओर से श्वानशाला का निर्माण तो वर्ष 2021 में करवा दिया था। लेकिन बधियाकरण का काम एनिवल सोसायटी के माध्यम से अप्रैल 2022 को शुरु किया था। अप्रैल 2022 सेमार्च 2024 तक 15 हजार से अधिक, अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक 8700 और अप्रैल 25 से अभी तक जून में 550 श्वान यानि करीब 24 हजार 300 से अधिक श्वानों का बधियाकरण किया जा चुका है।
कोर्ट का आदेश हो तो बाड़े में रखने को तैयार निगम
शहर में श्वानों की समस्या काफी गम्भीर है। उसे देखते हुए ही बोर्ड बनने के बाद श्वानशाला बनवाई गई। जहां सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन की पालना करते हुए शवानों का बधियाकरण व टीकाकरण किया जा रहा है। कोर्ट का आदेश श्वानों को पकड़ने में आड़े आ रहा है। यदि कोर्ट निगम को आदेश दे या पूर्व के आदेश में संशोधन होता है तो नगर निगम आवारा श्वानों को शहर से दूर अलग बाड़े में रखने को तैयार है। श्वानों के खाने व उनकी देखभाल की जिम्मेदारी व व्यवस्था भी निगम के स्तर पर करने को तैयार है। जिससे श्वानों को भी कोई नुकसान नहीं होगा और लोगों को भी राहत मिलेगी।
-राजीव अग्रवाल, महापौर नगर निगम कोटा दक्षिण

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