इनसाइड स्टोरी : पूरी रात रेलवे ट्रैक के पास पर बैठी रही बाघिन कनकटी, टला ब्रोकन टेल जैसा हादसा

बाघिन की सुरक्षा में तैनात वनकर्मियों ने भी आंखों में काटी रात

इनसाइड स्टोरी : पूरी रात रेलवे ट्रैक के पास पर बैठी रही बाघिन  कनकटी, टला ब्रोकन टेल जैसा हादसा

हाइवे एनएच-52 व रेलवे ट्रैक पास होने से टाइग्रेस की जान को था खतरा।

कोटा। मुकुंदरा टाइगर रिजर्व से बाहर निकली बाघिन एमटी-8 बुधवार को पूरी रात नेशनल हाइवे और रेलवे ट्रैक के पास झाड़ियों में बैठी रही। ऐसे में दोनों तरफ से उसकी जान जोखिम में थी। लेकिन, कनकटी की सुरक्षा में लगे एक दर्जन वनकर्मियों की सतर्कता से संभावित खतरा टल गया। जबकि, एनएच-52 से झालावाड़ की ओर से बड़े वाहन स्पीड से गुजरते हैं। वहीं, रेलवे ट्रैक पर लंबी दूरी की ट्रेनों का लगातार आवागमन रहता है। ऐसे में ब्रोकन टेल जैसा हादसे की आशंका बनी हुई थी। इस पर मुकुंदरा प्रशासन व वनकर्मियों ने वाहनों की गति पर नियंत्रण रखा और रेलवे प्रशासन को मामले से अवगत कराकर ट्रेन की रफ्तार घटाई। जिससे संभावित खतरे को टाला जा सका।

ग्रामीण बोले-तीन दिन खेत तक नहीं देखे
बटवाड़ा व दरा गांव के प्रहलाद, सुरेंद्र, महेंद्र कुमार का कहना था कि गांव और जंगल के बीच सिर्फ एक रोड का फासला है। जब बाघिन एनक्लोजर से बाहर निकली तो वनकर्मियों ने उन्हें रात और दिन में अकेले घर से बाहर नहीं निकलने की हिदायत दी। ऐसे में स्थिति कशमशभरी थी। एक ओर बाघिन के हमले का खतरा तो दूसरी ओर खेतों में फसलों को वन्यजीवों द्वारा नुकसान पहुंचाए जाने का डर सता रहा था। हालात यह है कि तीन दिन खेतों तक नहीं जा पाए।

बाघिन और इंसान दोनों की जान को था खतरा
बाघिन को जहां रेलेव ट्रेक व वाहनों से खतरा था, वहीं पास ही के दरा गांव के लोगों को बाघिन के हमले का डर सता रहा था। क्योंकि, दरा गांव में करीब एक दर्जन घर है। ऐसे में बाघिन का गांव की ओर मूवमेंट की आशंका से लोग भयभीत थे। वहीं, ट्रैकमेन व होम गार्ड की जान को भी खतरा था। क्योंकि, वाहनों व ट्रेन के शोर से बाघिन स्ट्रेस में थी। इधर,बटवाड़ा के ग्रामीणों का कहना है कि मंगलवार को बाघिन की दहाड़ सुनाई देने से गांव में हड़कम्प मच गया था। लोग डरे हुए थे। वनकर्मियों की टीमें लोगों को सतर्क रहने को कह रहे थे। यह बाघिन रणथम्भौर में एक बच्चे सहित दो जनों को मार चुकी है। ऐसे में उसके हमले का डर सता रहा था। इधर, वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि बाघिन रेलवे व हाइवे से सटे नाले के पास झाड़ियों में बैठी थी। यदि, वह सड़क या ट्रेक पर आ जाती तो बड़ा हादसा होने का खतरा बना रहता।

अप-डाउन रेलवे लाइन पर आई नजर आई थी कनकटी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बुधवार देर रात कोटा-रामगंजमंडी रेल खंड स्थित दरा घाटी में दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर दो ट्रैकमैनों और साथ रहे होमगार्ड को कनकटी बाघिन दिखाई दी। गश्त कर रहे ट्रैकमैन बलजीत सिंह और हेमंत नागर, होमगार्ड को यह बाघिन रात करीब 12:40 बजे अबली मीणी महल के पास अप और डाउन लाइन पर मूवमेंट करती दिखाई दी थी। करीब 2 मिनट तक यह नजारा देखने के बाद ट्रैकमेन बलजीत और हेमंत ने मामले की सूचना तुरंत दरा स्टेशन सुपरवाइजर और कोटा कंट्रोल रूम को दी। सूचना पर बाघिन की तलाश कर रही वन विभाग की टीमें कुछ ही देर में मौके पर पहुंच गई थी। लेकिन तब तक बाघिन गायब हो चुकी थी।

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ट्रेन की टक्कर से ब्रोकन टेल की हो चुकी मौत
दरा घाटी से गुजर रही रेलवे लाइन पर वर्ष 2003 में रणथम्भौर से आए बाघ ब्रोकन टेल की तेज रफ्तार ट्रेन की टक्कर से मौत हो चुकी है। इसकी पूंछ कटी हुई थी। इसलिए इसे ब्रोकन टेल नाम दिया गया था। यह बाघ रणथंभौर टाइगर रिजर्व से निकलकर लगभग 160 किलोमीटर की यात्रा कर मुकुंदरा दरा के जंगलों में पहुंचा था। बाघ के अलावा भालू, लैपर्ड सहित कई वन्यजीव ट्रेन की चपेट में आने से अकाल मौत के शिकार हो चुके हैं। इसके बावजूद वन विभाग द्वारा रेलवे लाइन व हाइवे पर वन्यजीवों को आने से रोकने व उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं कर सका।

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बाघिन का मूवमेंट कई बार रेलवे लाइन तथा कोटा-झालावाड़ राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-52 ) के नजदीक रहा, जो बाघिन और आमजन दोनों के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता था। हालांकि, फील्ड टीमें 24 घंटे अलर्ट पर रहीं जो बाघिन के मूवमेंट की निगरानी रेडियो टेलीमेट्री से निरंतर कर रहे थे।
-सुगनाराम जाट, सीसीएफ मुकुंदरा टाइगर रिजर्व

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