दहेज हत्या के दोषी पति को 7 साल की कैद, विवाहिता ने की थी आत्महत्या
धारा 304 बी आईपीसी तथा दहेज प्रतिषेध अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया
हारून के साथ दहेज की मांग को लेकर दिलशाद मारपीट करता था। इससे वह मानसिक तनाव में रहती थी।
कोटा । दहेज हत्या व देहेज प्रतिषेध अधिनियम के पांच साल पुराने मामले में एडीजे, महिला उत्पीड़न क्रम दो के न्यायाधीश ने शुक्रवार को आरोपी को दोषी करार देते हुए सात साल की सजा सुनाई है। पीपल्दा निवासी आरोपी दिलशाद उर्फ गोलू पुत्र अशफाक को तीन हजार रुपए के अर्थ दंड से दंडित किया है। कोर्ट ने आरोपी को दहेज प्रतिषेध अधिनियम में एक साल की सजा भी दी है। आरोपी के खिलाफ पीड़ित ने पुलिस थाना इटावा में उसकी पुत्री को दहेज के लिए प्रताड़ित करने तथा आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 304 बी आईपीसी तथा दहेज प्रतिषेध अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया था।
अपरलोक अभियोजक रामेत कुमार सैनी ने बताया कि सुल्तानपुर निवासी फरियादी गुड्डू पुत्र कल्लू खां ने 21 मई 2020 को सीएचसी इटावा पर एक रिपोर्ट दी थी। उसमें बताया था कि वह सुल्तानपुर का रहने वाला है, उसकी पुत्री हारून की शादी करीब एक वर्ष पहले ग्राम गैता में पीपल्दा निवासी दिलशाद उर्फ गोलू पुत्र अशफाक के साथ हुई थी। दामाद दिलशाद उससे व उसकी पुत्री से दहेज की मांग करता था । उसने दिलशाद को पचास हजार रुपए भी दिये थे। दिलशाद ने गैंता निवासी उसके साले शहजाद से भी रुपयों की मांग की थी। थोड़े दिन पहले उसने पुत्री को अपने पास भी रखा था, लेकिन समाज के लोगों द्वारा समझाने पर पुत्री को वापस ससुराल भेज दिया था।दिलशाद उसकी पुत्री हारून के साथ दहेज की मांग को लेकर मारपीट करता था, इसके कारण लगातार पुत्री मानसिक तनाव में रहती थी। 21 मई 2020 को करीब साढ़े पांच बजे उसकी पुत्री ने ससुराल में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। सूचना मिलने पर पीपल्दा पहुंचे, जहां से उसकी पुत्री हारून की लाश को लेकर सरकारी अस्पताल इटावा आए। इससे पहले उसकी पुत्री के ससुराल वाले शाम को उसको लेकर सरकारी अस्पताल इटावा में आये थे, फिर वापस पीपल्दा लेकर चले गए। उसकी पुत्री ने दिलशाद से परेशान होकर आत्महत्या की है।
रिपोर्ट के आधार पुलिस थाना इटावा में धारा 304 बी आईपीसी व 3, 4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया था। अनुसंधान के दौरान पुलिस ने आरोपी दिलशाद को गिरफ्तार किया और न्यायालय में चालान पेश किया। ट्रायल के दौरान न्यायालय में अभियोजन पक्ष की ओर से 17 गवाहों के बयान लेखबद्ध करवाए गए। न्यायाधीश धर्मराज मीणा ने आरोपी दिलशाद उर्फ गोलू को दोषी मानते हुए सात साल के कारावास की सजा सुनाई और तीन हजार रुपए के अर्थ दंड से दंडित किया ।

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