चोरी हो रहा मुकुंदरा का पहाड़

काला खेल- पत्थर व मिट्टी का हो रहा अवैध खनन, वन्यजीवों की सुरक्षा दांव पर

चोरी हो रहा मुकुंदरा का पहाड़

अवैध खनन करने वाले माफियाओं का नेटवर्क इतना मजबूत है कि अपने आसपास कोई संदिग्ध नजर आए तो तुरंत अलर्ट कर दिया जाता है।

कोटा। नीरो बांसुरी बजाता रहा और रोम जलता रहा....इतिहास की कड़वी कहावत मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के अधिकारियों पर सटीक बैठती है। इधर, खनन माफिया खुलेआम मुकुंदरा का आंचल नोंचते रहे और जंगल के रखवाले आंखें मूंदे पड़े रहे। नतीजन, वनसम्पदा चोरी हो गई और जंगल का चीरहरण हो गया। जब आंख खुली तो मुकुंदरा का पहाड़ गायब हो गया। अब गैर जिम्मेदारी का ठीकरा स्टाफ की कमी पर फोड़कर बला टाली जा रही है। दरअसल, मुकुंदरा की बोराबांस रैंज में दौलतगंज स्थित डायवर्जन चैनल से निकला मलबा खनन माफिया चुरा ले गए। वर्ष 2017 तक यहां मबले के टीलेनुमा करीब 40 से 50 फीट ऊंचे पहाड़ थे जो वर्तमान में करीब 8 से 10 फीट ही रह गए। 

वर्ष 2007 में बना था डायवर्जन चैनल
दौलतगंज के बाशिंदों ने बताया कि नए कोटा के जवाहर नगर, तलवंडी, विज्ञान नगर, संजय नगर सहित अन्य इलाकों को बाढ़ से बचाने के लिए सरकार ने वन भूमि पर वर्ष 2002 में डायवर्जन चैनल का निर्माण शुरू करवाया था, जो 2007 में बनकर पूरा हुआ। खुदाई के दौरान निकले पत्थर, मिट्टी व कंक्रीट  का ढेर बोराबांस के जंगल में रखवाया गया। यहां 40 से 50 फीट ऊंचे करीब टीलेनुमा पहाड़ खड़े हो गए, जो वन अधिकारियों की देखरेख व सुरक्षा के अभाव में खनन माफिया चोरी कर गए।

माफियाओं का नेटवर्क मजबूत
अवैध खनन करने वाले माफियाओं का नेटवर्क इतना मजबूत है कि अपने आसपास कोई संदिग्ध नजर आए तो तुरंत अलर्ट कर दिया जाता है। आरोपियों की धरपकड़ के लिए फलाइंग के पहुंचने से पहले ही सूचना पहुंच जाती है। इतना ही नहीं, किसी अधिकारी या संदिग्ध वाहन नजर आने पर अवैध खननकर्ता भाग जाते हैं या फिर उन पर हमला कर देते हैं। पूर्व में भी माफियाओं ने फोरेस्ट गार्डों पर हमला कर जख्मी कर दिया था। क्षेत्र में माफियाओं का दबदबा होने से अधिकारी भी कार्रवाई करने से हिचकते हैं।

नहीं होती गश्त, बेधकड़ चल रहा खनन
नयागांव निवासी ग्यारसी व कजोड़ लाल (परिवर्तित नाम) ने बताया कि नयागांव से बोराबांस गांव तक मुकुंदरा के जंगलों में अवैध खनन होता है। रातभर जेसीबी से खुदाई की जाती है और दिन में मजदूर लगाकर हथौड़ों से पत्थर तोड़े जाते हैं। वन रक्षक से लेकर रैंजर तक को इसकी जानकारी है, इसके बावजूद खननकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती।   

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दिनरात चोरी हो रहा मलबा और पत्थर 
दौलतगंज निवासी भोला (परिवर्तित नाम) ने बताया कि मुकुंदरा के बोराबांस रेंज से गुजर रहे डायवर्जन चैनल की चट्टाने व कंक्रीट का मलबा लगातार चोरी हो रहा है। पूर्व में यहां मलबे के बड़े-बड़े पहाड़ थे जो वर्तमान में आधे से भी कम रह गए हैं। प्रतिदिन 25 से 30 ट्रॉली मलबा चुराकर बेचा जा रहा है। वहीं, चट्टानों के बड़े पत्थरों को हथौड़ों से तोड़ ट्रॉलियां भरी जा रही है। जिन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। माफिया दीमक की तरह की जंगल की सम्पदा चट कर रहा है और स्थानीय अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। 

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अवैध गतिविधि रोकने की कर रहे कोशिश
हमारे पास जितना स्टाफ है, उसी से अवैध गतिविधियों को रोकने की पूरी कोशिश  कर रहे हैं। पहले भी स्टाफ के ऊपर हमला हो चुका है, उस समय भी पुलिस से शिकायत की थी। समय-समय पर पुलिस से सहयोग भी मांगते हैं। 
- बीजो रॉय, डीएफओ, मुकुंदरा टाइगर रिजर्व कोटा

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट
खत्म हो रहा हैबीटॉट
बोराबांस रैंज के जंगलों में लेपर्ड, हिरण, लोमड़ी, भालू, हायना, नीलगाय सहित कई वन्यजीवों का नेचुरल हैबीटॉट है। अवैध खनन, वाहनों का शौर, पत्थर तोड़ने की आवाज, घुसपैठ सहित अन्य संदिग्ध गतिविधियों से उनका प्राकृतिक आवास नष्ट होता है। साथ ही जैव विविधता भी खत्म होगी।
- सोहिल ताबिश, बायोलॉजिस्ट 

मिलीभगत का खेल
माइनिंग व तस्करी का काला खेल मिलीभगत से चल रहा है। माफियाओं का गिरोह लगातार मुकुंदरा में सक्रिय है। दिन-रात जंगलों में बेधड़क ट्रैक्टर-ट्रॉलियां दौड़ती हैं। आम आदमी बिना इजाजत जंगल में चला जाए तो वन कर्मचारी उनसे जुर्माना वसूलते हैं लेकिन खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती। 
- देवव्रत सिंह हाड़ा, अध्यक्ष, पगमार्क फाउंडेशन 

खत्म हो गए पहाड़
16 साल पहले डायवर्जन चैनल से निकले मलबे के करीब एक दर्जन ऊंचे-ऊंचे टीलेनुमा पहाड़ थे, जो अब खत्म हो गए। खननकर्ता पत्थर, मिट्टी, कंक्रीट चुराकर ले गए।  अधिकारियों ने न तो वन सम्पदा की सुरक्षा की और न ही खननकर्ताओ पर कार्रवाई की। नतीजन, माफियाओं का हौसला बढ़ा और अवैध गतिविधियां बढ़ने लगी। 
-एएच जैदी, नेचर प्रमोटर

सहमति के बिना चोरी नहीं
पहले यहां 40 से 50 फीट ऊंचे मलबे के टीलेनुमा पहाड़ थे, जो लगातार चोरी होने से आज करीब 10 से 11 फीट ही रह गए। अधिकारियों को तुरंत मलबे का निस्तारण करना चाहिए। इसे नीलाम कर सरकार की आय बढ़ाते या फिर इन पत्थरों को मुकुंदरा के दीवार व अन्य निर्माण में काम में ले सकते थे। डायवर्जन में फोरेस्ट की जमीन जाने पर रेस्टोरेशन के लिए विभाग को पैसा मिला होगा, वानिकी का विकास करवाना चाहिए था। वनरक्षक से रैंजर तक की सहमति के बिना अवैध गतिविधियां नहीं हो सकती। 
-तपेश्वर सिंह भाटी, अध्यक्ष मुकन्दरा वन्यजीव एवं पर्यावरण समिति

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