मानसूनी मौसम के चलते एसडीपी डोनेशन में आ रही समस्या
बारिश के बाद वातावरण में बढ़ जाता है मॉइश्चर
मशीन को एसडीपी सेपरेशन के लिए लगाया जाता है तो मशीन ऑटोमेटिक होने के कारण नमी को भांप लेती है और प्रोसेस रोक देती है।
कोटा। शहर के वातावरण में बारिश के दौरान नमी बढ़ जाती है। जिसका कारण कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। इसमें एक प्रकार समस्या ब्लड बैंक में भी होने लगी है। जहां वातावरण में नमी ज्यादा हो जाने के कारण मशीन ब्लड सेपरेशन यानि रक्त से प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, आरबीसी और डब्लूबीसी को अलग करने का कार्य रोक देती है। एमबीएस स्थित ब्लड बैंक में भी शुक्रवार को यही घटना सामने आई जहां एक डोनर को एसडीपी देने के लिए दो बार ब्लड बैंक के चक्कर लगाने पड़े।
यह हुई घटना: दरअसल बूंदी के खटकड़ निवासी हीरालाल जांगीड़ को ब्लड कैंसर है ऐसे में डॉक्टर ने उन्हें तुरंत एसडीपी चढ़ाने के लिए कहा जिसके लिए हीरालाल पहले मेडिकल कॉलेज अस्पताल गए तो उन्हें वहां न तो ओ नेगेटिव ब्लड मिला और न ही ओ नेगेटिव ब्लड डोनर ऐेसे में निराश होकर एमबीएस अस्पताल आए तो यहां किसी के परिचित ने नांता निवासी अर्जुन गुर्जर के बारे में बताया। जिसके बाद अर्जुन दोपहर करीब 2.30 बजे एसडीपी डोनेट करने आए तो मशीन खराब होने की जानकारी मिली। जहां 4.30 बजे तक इंतजार करने के बाद भी मशीन नहीं चलने पर अर्जुन वापस लौट गए। उसके बाद अर्जुन को शाम 8.30 बजे ब्लड बैंक से जानकारी मिली की मशीन ठीक हो गई है तो एसडीपी डोनेट करने आ जाइए जिसके बाद करीब 9 बजे तक एसडीपी डोनेट हो पाई।
ब्लड बैंक का कहना है
पूरी घटना पर ब्लड बैंक प्रभारी अधिकारी डॉ. शैलेंद्र वशिष्ट से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि ब्लड बैंक की सारी मशीनें ठीक प्रकार से कार्य कर रही हैं। केवल एक मशीन में किट लगाने वाला ड्रम टूटा हुआ है। जिसके लिए अधीक्षक को लिखा हुआ है। डॉ. शैलेंद्र ने बताया कि अभी मानसून का सीजन चल रहा है। इस दौरान हवा में नमी की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसे में जब भी मशीन को एसडीपी सेपरेशन के लिए लगाया जाता है तो मशीन ऑटोमेटिक होने के कारण नमी को भांप लेती है और किसी भी प्रकार की मेलफंकशनिंग यानी खराबी से बचने के लिए प्रोसेस रोक देती है। ऐसे में मशीन को सुखाना पड़ता है, ताकि उसमें मौजूद सारी नमी खत्म हो जाए। शुक्रवार को भी डोनर अर्जुन के साथ यही हुआ। हालांकि शाम को मशीन की नमी खत्म हो जाने के बाद अर्जुन को बुलाकर एसडीपी डोनेशन का कार्य पूरा कर लिया गया था। वहीं मशीन के कमरे और आसपास के वातावरण को बिल्कुल बंद करने के लिए अस्पताल प्रशासन को लिखा हुआ है जिससे ऐसी घटनाएं आगे ना हो।
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