निगम के सामुदायिक भवनों का उपयोग हो रहा न कमाई, सुविधाओं का अभाव
बस्तियों में बने हुए हैं सामुदायिक भवन
भवनों का बढ़ा किराया बोर्ड बैठक में किया कम, कागजों में नहीं।
कोटा। शहर में नगर निगम के सामुदायिक भवन तो बने हुए हैं लेकिन विभाग की अनदेखी के चलते अधिकतर भवन दुर्दशा का शिकार हो रहे हैं। साथ ही बोर्ड बैठक में भवनों का बढ़ा किराया कम करने का निर्णय तो कर दिया लेकिन कागजों में अभी भी बढ़ा हुआ किराया ही लिया जा रहा है। जिससे न तो इन भवनों का उपयोग हो रहा है और न ही निगम को कमाई। शहर में जहां प्राइवेट सेक्टर में बड़े-बड़े मैरिज गार्डन व सामुदायिक भवन बने हुए हैं। वहीं कोटा विकास प्राधिकरण के सामुदायिक भवन भी काफी बड़े व वैवाहिक आयोजनों के हिसाब से बने हुए हैं। वहां हॉल से लेकर गार्डन तक और जन सुविधा से लेकर बिजली- पानी तक की सभी सुविधाएं हैं। सुविधाएं पर्याप्त होने से इनका किराया भी उसी हिसाब से वसूल किया जा रहा है। वहीं शहर में नगर निगम के सामुदायिक भवन तो बने हुए हैं। ये अधिकतर क्षेत्रों में है। फिर चाहे भीमगंजमंडी क्षेत्र हो या खेड़ली फाटक, नयापुरा हो या विज्ञान नगर। किशोरपुरा हो या छावनी क्षेत्र। सभी जगह पर सामुदायिक भवन हैं लेकिन उनमें से अधिकतर में सुविधाओं का अभाव है।
बाहर से ही देखने पर पता चल रही स्थिति
शहर में नगर निगम के सामुदायिक भवनों की हालत बाहर से ही देखने पर पला चल रही है। बाहर की तरफ ही कचरे का इतना अधिक अम्बार लगा हुआ है कि उसे देखते हुए ही आयोजन के लिए लोग इनका उपयोग करने से कतराने लगे। वहीं अंदर जाने पर न तो उनमें लाइटें हैं और न ही पानी की सुविधा। इतना ही नहीं स्नानघर से लेकर जन सुविधाएं तक की इतनी दुर्दशा कि उन्हें देखकर ही लोग आयोजन करना तो दूर वहां कुछ देर तक टिक भी नहीं पाते। यह स्थिति किसी एक भवन की नहीं अधिकतर की है।
अधिकतर बस्तियों में भवन
निगम के अधिकतर सामुदायिक भवन बस्तियों में बने हुए हैं। जिनका निगम के स्तर पर संचालन तो किया जा रहा है लेकिन उनका उपयोग बिना निगम की जानकारी के ही स्थानीय लोगों द्वारा किया जा रहा है। पूर्व में ऐसा ही एक मामला छावनी सामुदायिक भवन का आया था। जिस पर निगम अधिकारियों ने उस भवन को खाली करवाकर उस पर अपना ताला लगाया था। वहीं किशोरपुरा मुख्य मार्ग पर स्थित सामुदायिक भवन की स्थिति यह है कि उसके बाहर कबाड़ का ढेर लगा हुआ है। हैंडपम्प लगा है लेकिन उसमें पानी ही नहीं आता। भवन के अंदर गंदगी हो रही है। धूल मिट्टी इतनी अधिक हो रही है जिसे देखकर लगता है कि इसका काफी समय से उपयोग ही नहीं हुआ होगा। जिस तरह से इस भवन के बाहर आयुक्त की आज्ञा से चेतावनी लिखी हुई है उसे देखते हुए लगता है कि इसका उपयोग भी बिना निगम की अनुमति के ही किया जा रहा होगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस सामुदायिक भवन का किराया पहले से सात गुना अधिक बढ़ा दिया है। पहले एक हजार रुपए किराया था लेकनि अब यह 7 हजार से अधिक कर दिया है। ऐसे में गरीब परिवार के लोग इनका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
बिजली का बिल चढ़ा तो कटवा दी लाइट
सूत्रों के अनुसार पूर्व में सभी सामुदायिक भवनों में बिजली कनेक् शन चालू थे। लेकिन उनका बिजली का बिल काफी बढ़ गया था। उसे चुकाने के लिए निगम के पास बजट नहीं था। ऐसे में कोटा दक्षिण के तत्कालीन आयुक्त कीर्ति राठौड़ के समय में सभी सामुदायिक भवनों का बिजली कनेक् शन कटवा दिया था। उसके बाद से जो भी इन भवनों को किराए पर लेता है। उसे निगमर की ओर से विशेष मोहर लगाकर दी जाती है। जिसमें लिखा हुआ है कि बिजली व पानी की व्यवस्था आयोजक को स्वयं के स्तर पर ही करनी होगी।सूत्रों के अनुसार कोटा दक्षिण क्षेत्र में भीतरिया कुंड समेत कुल १२ सामुदायिक भवन हैं। उनमें से भीतरिया कुंड के अलावा विज्ञान नगर व गोविंद नगर के ही भवनों की बुकिंग होती है। वह भी बढ़ी हुई दर से ही की जा रही है।
कोटा दक्षिण आयुक्त ने बढ़ाया था किराया
नगर निगम कोटा उत्तर के सामुदायिक भवनों का किराया तो अभी भी पुराना ही बना हुआ है। जबकि कोटा दक्षिण निगम क्षेत्र के भवनों का किताया निगम के तत्कालीन आयुुक्त द्वारा महापौर की जानकारी के बिना ही कई गुना बढ़ा दिया था। जिसका स्थानीय लोगों व पार्षदों ने विरोध किया था। उसके बाद निगम की बोर्ड बैठक में सामुदायिक भवनों का बढ़ा किराया विड्रो करते हुए फिर से पुराना किराया ही लागू कर दिया था। लेकिन हालत यह है कि अभी भी सिर्फ भीतरिया कुंड का ही किराया कम हुआ है। जबकि अन्य सामुदायिक भवनों का किराया अभी भी बढ़ी हुई दर से ही लिया जा रहा है।
इनका कहना है
कोटा उत्तर व दक्षिण निगम एक होने के बाद सामुदायिक भवनों की सूची संधारित करवाई जा रही है। साथ ही निर्माण अनुभाग से इनकी मरम्मत व अन्य आवश्यक कार्य करवाए जाएंगे। बढ़ा हुआ किराया कम करने के संबंध में अलग से आदेश जारी किया जाएगा। शीघ्र ही किराया तो कम कर दिया जाएगा। जिससे अधिकतर लोग इनका उपयोग कर सके। हालांकि पिछले कुछ समय से सामुदायिक भवनों की बकिंग ही नहीं हुई है।
-धीरज कुमार सोनी, उपायुक्त राजस्व, नगर निगम कोटा

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