लापरवाही की भेंट चढ़ा ट्यूरिज्म, अटके करोड़ों के प्रोजेक्ट

डेढ़ साल से अधरझूल में लटका 1.50 करोड़ का इंटरप्रिटेशन सेंटर, 20 लाख का बायो डायवर्सिटी पार्क का भी निर्माण कार्य अटका

लापरवाही की भेंट चढ़ा ट्यूरिज्म, अटके करोड़ों के प्रोजेक्ट

अफसरों की लापरवाही के कारण डेढ़ साल में इंटरपिटेशन सेंटर बनना तो दूर काम तक शुरू नहीं हो पाया।

कोटा। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क का इंटरप्रिटेक्शन सेंटर डेढ़ साल से अधरझूल में लटका हुआ है। बजट स्वीकृत होने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया। वहीं, बायडायवर्सिटी पार्क का भी काम अधूरा पड़ा है। जिसकी वजह से बायोलॉजिकल पार्क का विकास परवान चढ़ने से पहले ही थम गया। वहीं, वन्यजीव विभाग की लापरवाही से पर्यटकों को सुविधाओं लाभ नहीं मिल पा रहा। दरअसल, ईको ट्यूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने गत वर्ष जनवरी माह में अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में इंटरप्रिटेशन सेंटर बनाने के लिए वन्यजीव विभाग को 1.50 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया था। इसके बावजूद टैंडर प्रक्रिया नहीं की गई। नतीजन, डेढ़ साल बाद भी काम शुरू नहीं हो पाया। 

1.50 करोड़ का बजट हुआ था स्वीकृत 
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के पास करीब 1400 स्क्वायर मीटर में 1.50 करोड़ की लागत इंटरप्रिटेशन सेंटर बनाया जाना है। गत दो वर्ष पहले जिला कलक्टर ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग से प्रपोजल मांगे थे। इस पर वन्यजीव विभाग ने बायोलॉजिकल पार्क में इंटरप्रिटेशन सेंटर व बायोडायवर्सिटी पार्क बनाने के प्रस्ताव रखे थे। जिसकी नवम्बर 2022 में स्वीकृति मिली थी। पर्यटन विभाग ने वित्त विभाग से स्वीकृति लिए वन्यजीव विभाग से एस्टीमेट मांगे थे। जिसके देने के बाद 19 जनवरी 2023 को दोनों कार्यों के लिए कुल 1 करोड़ 70 लाख रुपए का बजट स्वीकृत किया था। इसके बावजूद वन्यजीव विभाग ने इंटरप्रिटेशन सेंटर का काम शुरू नहीं करवाया। 

आर्टिफिशल जंगल है इंटरपिटेशन सेंटर 
नेचर प्रमोटर एएच जैदी ने बताया कि इंटरप्रिटेशन हॉल एक ऐसा सेंटर होता है जहां पर्यटकों को वन्यजीवों की दुनिया से रुबरू करवाया जाता है। यहां विभिन्न एनीमल की डमी रखी होती है, जो उनके असल में होने का अहसास कराती है, साथ ही उनका सम्पूर्ण इतिहास से भी अवगत कराया जाता है। इसके अलावा लाइफ साइंस एक्जिबिट्स भी लगाए जाते हैं। वहीं, थियेटर की सुविधा भी होती है, जिस पर पर्यटकों को वन्यजीवों की फिल्म दिखाई जाती है, रात में वन्यजीव जंगल में कैसे विचरण करते हैं और कैसे शिकार करते हैं, यह फिल्म के माध्यम से पर्यटकों को रुबरू कराया जाता है। जंगल में बारिश और रात में दहाड़ते बाघ की आवाज स्पीकर के माध्यम से लोगों को रोमांचित करती है। यह सभी सुविधाएं इंटरप्रिटेशन सेंटर में पर्यटकों को मिलती। लेकिन, अफसरों की लापरवाही के कारण सेंटर बनना तो दूर काम तक शुरू नहीं हो पाया। 

मायूस लौट रहे स्टूडेंट्स व रिसर्चर
इंटरप्रिटेशन सेंटर वन्यजीव, पक्षी व जंगल की संपूर्ण जानकारी देने वाली गैलरी है, जो जंगल और वन्यजीवों के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक करने का सशक्त माध्यम है। यहां वन्यजीवों का वैज्ञानिक नाम, जीवनकाल, दिनचर्या, प्रजनन, खानपान आवास व जीवनचक्र की सम्पूर्ण जानकारी मिलती है। साथ ही उसके व्यवहार के साथ प्रदेश में पाए जाने वाले अन्य दुर्लभ पेड़-पौधे, जैव विविधता, पक्षियों, रेप्टाइल्स और अन्य वन्यजीवों की जानकारी भी मिलती है। सेंटर में बच्चों का ध्यान रखते हुए ज्ञानवर्धक एवं मनोरंजन युक्त जानकारियां उपलब्ध करवाई जाती है। लेकिन, डेढ़ साल से सुविधा नहीं मिलने से रिसर्चर व विद्यार्थियों को मायूस लौटना पड़ रहा है।

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टिकट पूरा, सुविधा नहीं
राजकीय महाविद्यालय के छात्र अनिल मीणा, राहुल कुमार, अक्ष्य ने बताया कि गुजरात में भी इंटरप्रिटेशन सेंटर हैं, जहां जंगल और वन्यजीवों से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी पर्यटकों को मिलती है, जिसका फायदा रिसर्च में होता है। वहीं, विद्यार्थियों को प्रकृति को समझने का मौका मिलता है। लेकिन, अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में इंटरप्रिटेशन सेंटर दस माह बाद भी नहीं बनाया गया। जिसकी वजह से हाड़ौती में कितनी दुलर्भ प्रजाति के औषधीय पेड़-पौधे हैं, इसकी जानकारी भी नहीं मिल पाती। वहीं, शिक्षक दुर्गेश तंवर, हरिसिंह का कहना है, इंटरप्रिटेशन सेंटर बच्चों के कौशल ज्ञान के लिए जरूरी है। राजस्थान में कितने प्रकार की जैव विविधता पाई जाती है, इसकी जानकारी मिलने के साथ वन्यजीवों की दुनिया से भी रुबरू हो पाते। 

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40 किमी दूर जाना पड़ता गरडिया  
निजी स्कूल संचालक प्रेम प्रकाश मीणा, शारीरिक शिक्षक फिरोज अंसारी कहते हैं, प्रकृति व वन्यजीवों के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए इंटरपिटेशन सेंटर मजबूत विकल्प है। डेढ़ साल से अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में सेंटर बनने की सुन रहे हैं लेकिन आज तक नहीं बनाया। ऐसे में विद्यार्थियों को 40 किमी दूर गरड़िया महादेव ले जाना पड़ता है। जबकि, शहर से अभेड़ा की दूरी कम है। यहां सेंटर बने तो 25 किमी की दूरी घट जाएगी और स्कूलों की पहुंच आसान हो जाएगी। विभाग को जल्द काम शुरू करवाना चाहिए।  

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आचार संहिता के बाद शुरू होगा काम
इंटरपिटेशन सेंटर का काम आचार संहिता हटने के अगले दिन से ही शुरू करवा दिया जाएगा। इसके लिए 1.50 करोड़ का बजट भी स्वीकृत हुआ है। वहीं, 20 लाख की लागत से बायडायवर्सिटी पार्क का भी निर्माण कार्य  शुरू होगा। 
- अनुराग भटनागर, डीएफओ, वन्यजीव विभाग

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