इतिहास का साक्षी नांता महल दुर्दशा का शिकार
इतिहासकारों ने कहा नहीं हो रही है सार-संभाल, जिम्मेदारों ने फेर रखा है मुंह
नांता महल से हाड़ौती के इतिहास के कई साक्ष्य नष्ट या गायब हो चुके है अगर अब भी इसकी सार-संभाल नहीं की गई तो धीरे-धीरे ये महल अपना अस्तित्व ही खो देगा।
कोटा । आंगन उजड़ गया है। तो गम इस का ता-ब-कै, मोहतात रह कि अब के वो ये छत भी ले न जाएं। अनदेखी के कारण हाड़ौती की कई घटनाक्रमों का साक्षी रहा नांता गांव का महल अपनी पहचान खोता जा रहा है और दुर्दशा का शिकार हो रहा है। स्थानीय इतिहासकार बताते हैं कि अपने जमाने का बहुत ही खूबसूरत महल है ये नांता का महल लेकिन बीते कुछ सालों में निगम की सीमा में आने वाले इस महल की ओर किसी का ध्यान नहीं है और इसी कारण ऐतिहासिक घटनाओं की गवाही देने वाला से शानदार महल अपना मूल स्वरूप खोता जा रहा है। नांता महल स्थापत्य कला का सुंदर नमूना है। परंतु सरकार की उपेक्षा के कारण नष्ट होने के कगार पर है। इस अमूल्य धरोहर को बचाना बहुत आवश्यक है। जानकार बताते हैं कि ऐतिहासिक धरोहरों को संभालने का जिम्मा जिन विभागों का है उन विभागों का बीते कई सालों से इस इमारत की ध्यान नहीं है। इस कारण कई लोगों ने इस महल के बाहर अतिक्रमण तक किया हुआ है अन्दर तो अव्यवस्थाएं बनी हुई है ही सही। जो विभाग या संस्थाएं इस महल में संचालित हो रही है उनके मुखियाओं को सिर्फ अपनी संस्थाओं से मतलब है ना कि इस ऐतिहासिक धरोहर से। इतिहासकार कहते हैं कि वैसे ही बीते कुछ सालों में इस महल से हाड़ौती के इतिहास के कई साक्ष्य नष्ट हो चुके हैं, मिट चुके है या गायब हो चुके है अगर अब भी इसकी सार-संभाल नहीं की गई तो धीरे-धीरे ये महल अपना अस्तित्व ही खो देगा।
यह है नांता के महल का इहितास
कोटा शहर के समीप चंबल के उस पार नांता गांव स्थित है। यह गांव काफी प्राचीन है। 12-13वीं शताब्दी में यह गांव खींची राजपूतों का एक ठिकाना हुआ करता था। यहां पर खीचियों का छोटा सा गढ़ भी था जिसके अवशेष अभी मौजूद हैं। यह खींची राजपूत नांता से सुकेत तक फैले हुए थे। रंगबाड़ी, अनंतपुरा, जगपुरा, राजपुर, मुकंदरा घाटी तथा सुकेत तक इनके छोटे-छोटे ठिकाने थे। 13वीं शताब्दी में जब बूंदी राजकुमार जैत सिंह हाड़ा ने अकेलगढ़ के कोटिया भील को युद्ध में मारकर चंबल के दाहिने तट पर कोटा नगर बसाया तब यह नांता गांव भी बूंदी राज्य के अंतर्गत शामिल हुआ।
ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी नांता महल
- जब जालिम सिंह कोटा राज्य का दीवान और फौजदार था तब उसने नांता गढ़ के परिसर में पुराने महलों के स्थान पर पांच मंजिला कलात्मक महल बनवाया जिसमें चित्रकारी करवाई। वर्तमान में यह महल मौजूद है।
- जालिम सिंह के पुत्र माधव सिंह और पौत्र मदन सिंह का जन्म इसी महल में हुआ।
- जालिम सिंह के पौत्र मदन सिंह की शादी नांता महल में बड़ी धूमधाम से हुई थी।
- कोटा में सन् 1857 की क्रांति के समय कोटा के क्रांतिकारियों को दबाने जो अंग्रेजी फौज नसीराबाद छावनी से आई थी वो दो-तीन दिन इस महल में ठहरी थी।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात कई वर्ष तक एस.टी.सी. प्रशिक्षण केंद्र इस महल में संचालित रहा।
- वर्तमान में नांता महल की इमारत में 3 शिक्षण संस्थाएं संचालित हैं।
इनका कहना हैं
जब पर्यटन के लिहाज से पूरे कोटा का विकास किया जा रहा है। तो ये समझ से परे है कि नांता महल की अनदेखी क्यों हो रही है। जिस तरह से अभेड़ा महल का जीर्णोद्धार हुआ है उसी तरह से इस महल का भी होना चाहिए। सबसे पहले तो इस एतिहासिक धरोहर के बाहर हो रहे अतिक्रमण को रोका जाना चाहिए। इसके बाद पुरानी शैली के अनुरूप ही अगर इसका जीर्णोद्धार करवाया जाए तो ये पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षिक करेगा। इसमें एक संग्रहालय भी स्थापित किया जा सकता है। जिससे लोगों को हाड़ौती के इतिहास की जानकारी मिले।
-फिरोज अहमद, इतिहासकार।

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