एमपीयूएटी बोम बैठक में एबीवीपी का ‘विरोध’ 2022 में निकाली भर्ती पर ‘बवाल’

प्राध्यापकों की 2022 से अटकी नियुक्तियों का होगा निस्तारण 

एमपीयूएटी बोम बैठक में एबीवीपी का ‘विरोध’ 2022 में निकाली भर्ती पर ‘बवाल’

विश्वविद्यालय में स्टाफ की कमी को पूरा करना विश्वविद्यालय प्रबंधन की नैतिक जिम्मेदारी है।

उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) की बुधवार को हुई बोम बैठक में एमबीवीपी ने 2022 में निकली प्राध्यापकों की भर्ती को लेकर बवाल मचा दिया। साथ ही भर्ती प्रक्रिया को लेकर कई तरह की त्रुटियां रखने के आरोप भी लगाए। उधर, बोम बैठक के बाद निर्णय लिया गया  कि प्राध्यापकों की अटकी हुई इस नियुक्ति का शीघ्र ही निस्तारण कर दिया जाएगा। साथ ही एमपीयूएटी के नए कुलगुरु की नियुक्ति के लिए डॉ. भगवती प्रकाश शर्मा को बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट द्वारा सर्च कमेटी में नामित किया गया है। 

 एबीवीपी ने ज्ञापन सौंपकर बताया कि पूर्व में शैक्षणिक पदों का विज्ञापन मई 2022 को निकाला था लेकिन उक्त भर्ती प्रक्रिया को तीन साल से अधिक समय हो गया आज तक भर्ती प्रक्रिया पूर्ण नहीं की गई है जबकि अन्य कृषि विश्वविद्यालय ने इसी समयावधि में दो बार भर्ती प्रक्रिया पूर्ण कर ली है। महानगर मंत्री पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि  इस भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर नए सिरे से वापस विज्ञापन निकाला जाए जिसमें इस भर्ती में व्याप्त त्रुटियों को सुधारते हुए इस भर्ती प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूर्ण करवाए जाए। 

पीएचडी के नंबरों को जोड़ने में भी सुधार की जरूरत 
उन्होंने कुलपति प्रो. अजीत कुमार कर्नाटक से लेकर बोम सदस्यों को बताया कि उक्त भर्ती प्रक्रिया में ध्यान में आया कि  स्कोर कार्ड में पीएचडी के नंबरों को जोड़ने में भी सुधार की जरूरत है, अन्य कृषि विश्वविद्यालयों के स्कोर कार्ड में पीएचडी 8 नंबर की रखी गई है जबकि यहां ऐसा नहीं है।  भर्ती प्रक्रिया के स्कोर कार्ड में ये भी देखने में आया है कि  कार्य अनुभव में रिसर्च एसोसिएट (आरए) और सीनियर रिसर्च फैलो (एसआरएफ) का कार्य अनुभव नहीं जोड़ा गया है, जबकि कृषि विश्वविद्यालयों में चलने वाली विभिन्न परियोजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका इनकी रहती है, जबकि अन्य कृषि विश्वविद्यालयों के स्कोर कार्ड में स्पष्ट रूप से इसे जोड़ा गया है। विवि की ओर से स्टाफ की कमी को देखते हुई कुछ विभागों में एमएससी एवं पीएचडी की सीट कम की गई जो की न्याय संगत नहीं है। विश्वविद्यालय में स्टाफ की कमी को पूरा करना विश्वविद्यालय प्रबंधन की नैतिक जिम्मेदारी है।

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