औचक निरीक्षण में खुलासा : कहीं सहायक नहीं तो कहीं फर्स्ट एड नहीं, अवधि पार वाहन भी ले जा रहे स्कूली बच्चों को

बाल वाहिनियों के लिए ये हैं प्रावधान

औचक निरीक्षण में खुलासा : कहीं सहायक नहीं तो कहीं फर्स्ट एड नहीं, अवधि पार वाहन भी ले जा रहे स्कूली बच्चों को

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रथम व द्वितीय के सचिवों ने सोमवार सुबह स्कूली वाहनों यानि बाल वाहिनियों को बीच सडक रुकवाकर औचक निरीक्षण किया। इस दौरान अधिकांश वाहनों में चालक के साथ सहायक नहीं मिला। वहीं एक स्कूल से जुडे वाहन की तो आरसी भी समाप्त हो चुकी थी।

जयपुर। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रथम व द्वितीय के सचिवों ने सोमवार सुबह स्कूली वाहनों यानि बाल वाहिनियों को बीच सडक रुकवाकर औचक निरीक्षण किया। इस दौरान अधिकांश वाहनों में चालक के साथ सहायक नहीं मिला। वहीं एक स्कूल से जुडे वाहन की तो आरसी भी समाप्त हो चुकी थी। ऐसे में प्राधिकरण टीम के साथ चल रहे मोबाइल मजिस्ट्रेट और आरटीओ की टीम ने वाहनों पर कार्रवाई की और चालान काटे। वहीं कुछ वाहनों को जब्त भी किया गया। स्कूली समय शुरू होने के साथ ही सुबह सात बजे दोनों जिला प्राधिकरणों की टीम दल-बल के साथ फील्ड में उतरी। इस दौरान बनीपार्क और मानसरोवर एरिया के कई स्कूली वाहनों का निरीक्षण किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वितीय की सदस्य सचिव पल्लवी शर्मा ने बताया कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर 21 सुरक्षा बिंदुओं को आधार बनाकर स्कूलों वाहनों का निरीक्षण किया गया, लेकिन एक भी ऐसा वाहन नहीं मिला, जिसने सभी नियमों की पालना की हो। वहीं अधिकांश वाहनों में प्राथमिक उपचार किट भी नहीं मिला।

इसके अलावा वाहनों में जीपीएस सिस्टम भी नहीं था, इसके चलते स्कूल प्रशासन और अभिभावक भी इन वाहनों की वास्तविक स्थिति की जानकारी नहीं कर पा रहे हैं। प्राधिकरण की टीम को कई वाहनों में आपातकालीन निकास की व्यवस्था भी नहीं मिली। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने प्रदेश के सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दे रखे हैं कि वे साल में कम से कम तीन बार स्कूली वाहनों का निरीक्षण करेंगे। वहीं निरीक्षण रिपोर्ट दस अप्रैल, दस अगस्त और दस दिसंबर तक राज्य प्राधिकरण में भेजनी होगी।

बाल वाहिनियों के लिए ये हैं प्रावधान
बाल वाहिनियों में स्कूली बच्चों को लाने ले जाने का काम किया जाता है। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए इन वाहनों के लिए कुछ सुरक्षा मापदंड तय किए गए हैं। इसके तहत हर वाहन में प्राथमिक उपचार किट जरूरी है, ताकि आपातकाल में प्राथमिक उपचार दिया जा सके। इसके अलावा वाहन में आपातकालीन निकास की व्यवस्था जरूरी है। बच्चों को बस में चढ़ाने और उतारने के लिए चालक के साथ सहायक का होना भी जरूरी है। वहीं बस पीले रंग की और स्कूल वैन और ऑटो में पीली स्ट्रिप भी जरूरी है। इसके अलावा चालाक के वर्दी में होने और वाहनों के सभी दस्तावेज पूर्ण होने जैसे सामान्य प्रावधान भी शामिल हैं।

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