राजनेताओं की कमजोर पैरवी से प्यासा रह जाएगा मेवाड़
कोटड़ा में प्रस्तावित बांधों से जोधपुर पहुंचेगा पानी
पाली जिले के जवाई बांध को भरकर जोधपुर की जनता की प्यास बुझाने के लिए उदयपुर जिले की कोटड़ा तहसील में दो बांध बनाने की योजना के लिए क्षेत्रीय राजनेताओं की राजधानी जयपुर में कमजोर पैरवी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
उदयपुर। पाली जिले के जवाई बांध को भरकर जोधपुर की जनता की प्यास बुझाने के लिए उदयपुर जिले की कोटड़ा तहसील में दो बांध बनाने की योजना के लिए क्षेत्रीय राजनेताओं की राजधानी जयपुर में कमजोर पैरवी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। जनप्रतिनिधियों की चुप्पी नहीं टूटते देखकर कोटड़ा की जनता ने आवाज बुलंद करने का फैसला किया है और वह मैदान में उतर चुकी है। तकनीकी जानकार भी प्रस्तावित बांधों के निर्माण को मेवाड़ के हित में नहीं मान रहे हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट घोषणा 2022-23 में उदयपुर जिले की कोटड़ा तहसील के चाकमरिया और भात में दो बड़े बांध के निर्माण की घोषणा की। इन बांधों से 1000 एमसीएफटी पानी पाली जिले में स्थित जवाई बांध में पहुंचेगा। यह बांध जोधपुर शहर में पेयजल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है। जल संरचनाओं के तकनीकी जानकारों का मानना है कि कोटड़ा तहसील में जहां दोनों बांधों का निर्माण प्रस्तावित है, वहां व आसपास गांवों में लोग आज भी पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। क्षेत्र के गांव-कस्बों में कई दिनों तक पेयजल नसीब नहीं होता। ऐसे में जोधपुर की जनता की प्यास बुझाने के लिए यहां से पानी ले जाने की योजना पर मेवाड़ के जननेताओं ने अब तक चुप्पी धारण कर रखी है जिसे क्षेत्रवासी जयपुर में मेवाड़ की कमजोर पैरवी के रूप में देख रहे हैं।
जानकारों का मानना है कि कोटड़ा में बांध बनाने की योजना के अंतर्गत अध्ययन एवं परीक्षण के प्रारंभिक चरण में ही मेवाड़ के नेताओं को इसका विरोध शुरू कर देना चाहिए था, जो उन्होंने नहीं किया। परिणामस्वरूप कोटड़ा में बरसने वाले पानी के मारवाड़ चले जाने और मेवाड़ के प्यासा रह जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार के उपक्रम वेबकोस संस्था द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के दौरान ही प्रस्तावित बांधों के डूब क्षेत्र के गांवों के आदिवासी ग्रामीणों ने इसका विरोध शुरू कर दिया था।
मेवाड़वासियों के हितों से खिलवाड़
मोहनलाल सुखाड़िया जल अपवर्तन परियोजना देवास से सेवानिवृत्त सहायक अभियंता पीयूष जोशी का कहना है कि देवास तृतीय व चतुर्थ चरण के बांधों के निर्माण की डीपीआर को प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को दो बार प्रेषित की गई, तब इसकी बीएसआर रेट के अनुसार तत्कालीन लागत 1187 करोड़ थी जो अब रिवाइज होने पर काफी बढ़ जाएगी। वसुंधरा सरकार की बजट घोषणा में भी इसके लिए 1064 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब गहलोत सरकार भी मेवाड़वासियों के हितों के साथ खिलवाड़ कर रही है। देवास तृतीय व चतुर्थ चरण को लेकर भी मेवाड़ के नेताओं की पैरवी कमजोर साबित हो रही है। इसका फायदा उठाते हुए मेवाड़ के पानी को मारवाड़ के जवाई बांध में पहुंचाने के लिए दो बड़े बांध का निर्माण प्रस्तावित किया गया है जिनसे करीब 1000 एमसीएफटी की जलापूर्ति जोधपुरवासियों को होगी जबकि कोटड़ा तहसील के ही सेई बांध, टनल के जरिए जवाई बांध से वर्ष 1975 से जोधपुर को जलापूर्ति हो रही है।
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