कोरोना को लेकर चीन पर शक: दुनिया के बड़े वैज्ञानिकों ने कहा- 'लैब से वायरस लीक' थ्योरी को गंभीरता से लें

कोरोना को लेकर चीन पर शक: दुनिया के बड़े वैज्ञानिकों ने कहा- 'लैब से वायरस लीक' थ्योरी को गंभीरता से लें

साल 2019 के आखिर में चीन से शुरू हुई कोरोना महामारी दुनियाभर में कहर बरपा रही है। यह वायरस आया कहां से, एक साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी यह रहस्य बना हुआ है। इस बारे में दुनिया के टॉप साइंटिस्ट के एक ग्रुप का कहना है कि कोरोनावायरस के किसी लैब से फैलने की थ्योरी को तब तक गंभीरता से लेना चाहिए, जब तक यह गलत साबित नहीं हो जाती।

लंदन। साल 2019 के आखिर में चीन से शुरू हुई कोरोना महामारी दुनियाभर में कहर बरपा रही है। यह वायरस आया कहां से, एक साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी यह रहस्य बना हुआ है। इस बारे में दुनिया के टॉप साइंटिस्ट के एक ग्रुप का कहना है कि कोरोनावायरस के किसी लैब से फैलने की थ्योरी को तब तक गंभीरता से लेना चाहिए, जब तक यह गलत साबित नहीं हो जाती। ब्रिटेन और अमेरिका के प्रमुख वैज्ञानिकों के एक समूह का कहना है कि कोविड-19 महामारी कहां से पैदा हुई, इसका पता लगाने के लिए और अधिक जांच की जरूरत है। समूह का कहना है कि इस जांच में चीन के वुहान की वायरॉलजी लैब से वायरस के 'ऐक्सिडेंटल लीक' से आने की धारणा भी शामिल हो। इन वैज्ञानिकों में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रतिरक्षाविज्ञान और संक्रामक रोग विशेषज्ञ भारतीय मूल के रवींद्र गुप्ता शामिल हैं।

दुनिया के टॉप साइंटिस्ट की टीम में कुल 18 लोग शामिल हैं, जिन्होंने वायरस के बारे में अहम जानकारियां साझा की हैं। इस टीम में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट रवींद्र गुप्ता, फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर में इवॉल्यूशन ऑफ वायरस की स्टडी करने वाली जेसी ब्लूम भी शामिल हैं। इनका कहना है कि महामारी की उत्पत्ति को लेकर अंतिम फैसले पर पहुंचने के लिए अभी और जांच की जरूरत है। इन विशेषज्ञों ने आगाह किया कि जब तक पर्याप्त आंकड़े न हों तब तक प्राकृतिक तरीके और लैब से वायरस के फैलने के बारे में थ्योरीज को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

स्टैनफोर्ड में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर डेविड रेलमैन सहित वैज्ञानिकों ने साइंस जर्नल में कहा कि वायरस के किसी लैब और जेनेटिक स्पिलओवर दोनों से अचानक बाहर निकलने की थ्योरी को खारिज नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की वायरस के उत्पत्ति के सिलसिले में की गई जांच में इस बात पर सही तरीके से गौर नहीं किया गया कि यह लैब से भी बाहर आ सकता है। महामारी के इतिहास का जिक्र करते हुए वैज्ञानिकों ने याद किया कि किस तरह 30 दिसंबर, 2019 को प्रोग्राम फॉर मॉनिटरिंग इमर्जिंग डिजीज ने दुनिया को चीन के वुहान में अज्ञात कारणों से होने वाले निमोनिया के बारे में सूचित किया था। इससे कारक प्रेरक एजेंट सीवीयर एक्यूट रेसपीरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस 2 (SARS-CoV-2) की पहचान हुई थी।

विशेषज्ञों ने डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रस अधानम घेब्रेयेसस की टिप्पणी की ओर इशारा किया कि रिपोर्ट में लैब दुर्घटना का समर्थन करने वाले साक्ष्य पर विचार अपर्याप्त था और संभावना का पूरी तरह से मूल्यांकन करने के लिए अतिरिक्त संसाधन प्रदान करने की पेशकश की। वैज्ञानिकों ने कहा कि एक उचित जांच पारदर्शी, उद्देश्यपूर्ण, आंकड़ा-संचालित, व्यापक विशेषज्ञता वाली, स्वतंत्र निरीक्षण के अधीन होनी चाहिए और हितों के टकराव के प्रभाव को कम करने के लिए जिम्मेदारी से प्रबंधन होना चाहिए। सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियों और अनुसंधान लैबओं को अपने रिकॉर्ड सार्वजनिक करने चाहिए। इससे पहले डब्ल्यूएचओ की टीम ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि वायरस शायद चमगादड़ से मनुष्यों में आया होगा, जबकि किसी लैब से यह फैलने को 'बेहद असंभव' करार दिया। उन्होंने आगाह किया। डब्ल्यूएचओ की टीम ने जनवरी और फरवरी में वुहान और उसके आसपास के इलाकों में 4 हफ्तों तक जांच की थी।

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