चीन के खिलाफ आपसी लड़ाई भूल कर एक साथ हैं लिज ट्रस और ऋषि सुनक

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चीन के खिलाफ आपसी लड़ाई भूल कर एक साथ हैं लिज ट्रस और ऋषि सुनक

हांगकांग, जासूसी, साइबर सिक्योरिटी और ह्यूमन राइट्स ऐसे मुद्दे हैं, जिनके कारण दोनों देशों में तनाव बढ़ा है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में आधुनिक चीन के इतिहास और राजनीति के प्रोफेसर राणा मित्तर ने कहा कि ट्रस और सुनक दोनों ही चीन के प्रति कट्टरपंथी दिखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

लंदन। ब्रिटेन में अगला प्रधानमंत्री बनने के लिए ऋषि सुनक और लिज ट्रस के बीच टक्कर है। ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री बनने के लिए दोनों अपनी अपनी नीतियों को बेहतर बता रहे हैं। आर्थिक मुद्दे पर दोनों एक दूसरे को घेरने में लगे हैं। एक ही पार्टी से ताल्लुक रखने के बावजूद भी उनकी नीतियों के विचार अलग-अलग हैं। लेकिन एक मुद्दा ऐसा है, जिसे लेकर दोनों नेता एकमत हैं। वह मुद्दा चीन है। लिज ट्रस और ऋषि सुनक दोनों चीन के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने का वादा कर रहे हैं। चीन के बढ़ते भू-राजनैतिक खतरे को देखते हुए दोनों नेता ऐसी बात कर रहे हैं। विश्लेषक मानते हैं कि दोनों का रुख इस बात का गवाह है कि ब्रिटेन के राजनेताओं द्वारा शुरू किया गया चीन-ब्रिटेन का स्वर्ण युग बढ़ते संघर्ष के बाद खत्म हो रहा है। हांगकांग, जासूसी, साइबर सिक्योरिटी और ह्यूमन राइट्स ऐसे मुद्दे हैं, जिनके कारण दोनों देशों में तनाव बढ़ा है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में आधुनिक चीन के इतिहास और राजनीति के प्रोफेसर राणा मित्तर ने कहा कि ट्रस और सुनक दोनों ही चीन के प्रति कट्टरपंथी दिखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। ये इस बात का संकेत है कि ढट कोई भी बने पर नीति चीन के खिलाफ होगी।

चीन के खिलाफ ऋषि सुनक
ऋषि सुनक ने हाल ही में चीन को ब्रिटेन और पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया था। ऋषि सुनक कह चुके हैं कि अगर वह पीएम बने तो चीन के सायबर हमलों से निपटने के लिए इंटरनेशनल लेवल पर एक संगठन बनाएंगे। इसके अलावा उन्होंने कहा है कि ब्रिटेन की सिक्योरिटी एजेंसी को मजबूत करेंगे, ताकि चीन की औद्योगिक जासूसी रोकी जा सके।

क्यों खराब हुए संबंध
दोनों देशों में व्यापर तो बढ़ा, लेकिन उनके संबंध अच्छे नहीं हो सके। लगातार कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार चीन के हांगकांग पर अपनी पकड़ बढ़ाने और अल्पसंख्यक उइगर मुस्लिमों के मानवाधिकारों के हनन का मुद्दा उठाती रही है। इसके साथ ही साइबर हमले को लेकर भी ब्रिटेन की चीन से नाराजगी है। हाल ही में, ब्रिटेन ने यूक्रेन पर हमला करने वाले रूस के प्रति सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण रखने का मुद्दा भी उठाया। प्रोफेसर राणा कहते हैं कि हम ऐसे समय में आ गए हैं जब चीन के यूके ही नहीं लगभग सभी पश्चिमी देशों से संबंध खराब हो रहे हैं।

कभी दोनों देशों में थे गहरे संबंध
चीन ब्रिटेन का तीसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। ब्रिटेन का सात फीसदी व्यापार अकेले चीन के साथ होता है। दोनों देशों में सालाना ट्रेड 114 बिलियन डॉलर है। ये आंकड़ा 2015 के बाद बहुत बढ़ा है, क्योंकि तब दोनों देशों में सिर्फ 70 बिलियन डॉलर का व्यापार होता था। तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और उनके वित्त मंत्री जॉर्ज ओसबोर्न ने चीन के साथ संबंधों को मजबूत किया। उन्होंने यहां तक कह दिया कि पश्चिम में यूके चीन का सबसे बेहतर पार्टनर बनेगा।

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