हिंद महासागर में मालदीव के पास पहुंचा चीन का पांचवां जासूसी जहाज
हिंद महासागर में चीन की बढ़ती निगरानी
भारतीय महासागर क्षेत्र में चीन की समुद्री गतिविधियों से भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं। चीन का पांचवां जासूसी जहाज दा यांग यी हाओ हिंद महासागर में दाखिल हुआ है। भारतीय नौसेना ने निगरानी तेज कर दी है।
माले। भारतीय महासागर क्षेत्र में चीन की समुद्री गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताएं एक बार फिर बढ़ गई हैं। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन का पांचवां जासूसी जहाज दा यांग यी हाओ हिंद महासागर में दाखिल हो चुका है। इससे पहले चीन चार जहाजों को पहले ही हिंद महासागर में भेज चुका है जो युआन वांग-क्लास के जहाज हैं। इनमें दो जहाजों के नाम युआन वांग-5 और युआन वांग-6 हैं, जो रिसर्च जहाज हैं। आधिकारिक तौर पर इन्हें वैज्ञानिक रिसर्च पोत बताया जाता है, लेकिन डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये जहाज मिसाइल ट्रैकिंग, सैटेलाइट निगरानी और समुद्र तल की रणनीतिक मैपिंग जैसे मिलिट्री जासूसी के लिए भेजा गया है।
पांचवां चीनी रिसर्च जहाज हिंद महासागर क्षेत्र में दाखिल होने वाला सबसे नया जहाज है, जो समुद्र तल और खनिज रिसर्च करने में सक्षम है। ये जहाज मालदीव की तरफ जा रहा है, जबकि दूसरे जहाज फिलहाल ये जासूसी जहाज समुद्र की मैपिंग करते हैं, जो संघर्ष के समय काफी महत्वपूर्ण होता है। रिसर्च से समुद्र में कहां पत्थर हैं, कहां पानी कम है, कहां ज्यादा है समेत कई तरह के दूसरे क्रिटिकल जानकारियां जुटाई जाती हैं।
पहले भी भारतीय क्षेत्रों के नजदीक भेजे गए है जासूसी जहाज
दा यांग यी हाओ नाम के इस जहाज को बिग ओशियन नंबर वन के नाम से भी जाना जाता है। यह अत्याधुनिक सेंसरों से लैस है और समुद्र की गहराई में खनिज संसाधनों की खोज और सी-बेड मैपिंग कर सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक यह जासूसी जहाज दिसंबर 2025 के मध्य में हिंद महासागर क्षेत्र में दाखिल हुआ है। वहीं, चीन के जासूसी जहाजों के पहुंचने के बाद भारतीय नौसेना ने भी निगरानी गतिविधियां तेज कर दी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की मैपिंग भविष्य में पनडुब्बी ऑपरेशन , समुद्री संचार मार्गों और सैन्य तैनाती के लिए बेहद अहम साबित हो सकती है।
यह पहली बार नहीं है जब चीनी रिसर्च जहाज हिंद महासागर भेजे गये हैं। इससे पहले युआन वांग-5 और युआन वांग-6 जैसे जहाज भारतीय मिसाइल परीक्षण क्षेत्रों के नजदीक भेजे गये हैं। डिफेंस एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये जहाज चीन के अंतरिक्ष और रक्षा कार्यक्रमों के लिए अहम डेटा जुटाते हैं। खासतौर पर बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षणों और सैटेलाइट ट्रैकिंग से जुड़ी जानकारी चीन की सैन्य क्षमता को मजबूत कर सकती है।
भारतीय नौसेना इन गतिविधियों पर लगातार नजर रखे हुए है। भारतीय नौसेना स्टाफ के वाइस चीफ वाइस-एडमिरल संजय वत्सयान ने 31 अक्टूबर को कहा था कि भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में आने वाले हर चीनी जहाज पर कड़ी और लगातार नजर रख रही है, जिसमें नौसैनिक और रिसर्च जहाज भी शामिल हैं। उन्होंने कहा था कि हमें पता है कि वे क्या कर रहे हैं, वे कब आते हैं और कब जाते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि नौसेना इस क्षेत्र में काम करने वाली बाहरी शक्तियों पर लगातार नजर रख रही है।

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