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ठगे से रह गए वर्कर : बदले-बदले से साहब : चर्चा में मल्टी मिलियनर : पद, प्रतिष्ठा और पैसा : रिप्लेसमेंट की राजनीति : एक जुमला यह भी

ठगे से रह गए वर्कर
सूबे में इन दिनों हाथ वाले वर्कर्स की दशा देखने लायक है। उन्होंने दूर तलक भी नहीं सोचा था कि आखिर में वे खुद को ठगा सा महसूस करेंगे। बड़ी कुर्सी के लिए 16 महीनों तक दो-दो हाथ करने वाले बड़े लोग तो हाथ मिलाते नजर आ रहे हैं, किन्तु अब वर्कर्स को कोई पूछने वाला भी नहीं है। इंदिरा गांधी भवन में बने पीसीसी के ठिकाने पर सालों से आने वाले गांधी टोपी वाले बुजुर्गवार की मानें तो, यह तो होना ही था। चूंकि कुछ हाथ नहीं लगा, तो जो खोया, उसे पाने के लिए भी जोर लगाए बिना पार नहीं पड़ती दिख रही थी। अब सोनिया मैडम की आड़ लेकर कम से कम आंख उठाकर देखने लायक तो रहेंगे, वरना राम जाने क्या होता।


बदले-बदले से साहब

सूबे की सबसे बड़ी पंचायत के एक पंच इन दिनों बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। उनके हाव-भाव के साथ चाल-ढ़ाल भी बदल गई है। गुजरे जमाने में कमल की सुगंध सूंघ चूके भाई साहब ने विधानसभा के चुनाव से पहले हाथ वालों से हाथ मिलाया था। हाथ वालों ने भी मासी और बनास के गांवों की पटेलाई सौंपने में जरा भी आगा-पीछा नहीं सोचा था। भाई साहब ने दिन में भी बहुत ख्वाब देखे थे और ऊंची उड़ान के लिए एक पायलट का सहारा भी लिया था। जब भाई साहब के सपने पूरे नहीं होते दिख रहे, तो उनका भोला मन भी इधर-उधर डोलने लगा है। राज का काज करने वालों में चर्चा है कि भाई साहब को कमल के फूल की सुगंध की यादें सताने लगी है।


चर्चा में मल्टी मिलियनर
इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के दफ्तर में इन दिनों मल्टी मिलियनर की चर्चा जोरों पर है। वहां आने वाला हर कोई अंगुलियों पर चार-पांच मल्टी मिलियनर्स के नाम भी गिनाते हैं। इस भवन में आने वालों की रग रग जानने वाले गांधी टोपी वाले बाबा भी चर्चा में पीछे नहीं है। बीस साल पहले जो भाई साहब 15 लाख के कर्जदार थे, वो आज मल्टी मिलियनर्स की लिस्ट है। वो तो भला हो शंकर भगवान का, जिन्होंने आशीर्वाद दे दिया, वरना विधायकी का चुनाव भी खटाई में पड़ता दिख रहा था। दो लालों का हाल भी कुछ ऐसा ही था।


पद, प्रतिष्ठा और पैसा

इन दिनों दोनों तरफ पद, प्रतिष्ठा ओर पैसा का जुमला जोरों पर है। इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के दफ्तर में चीफ के पास भीड़ का आना जारी है, लेकिन उनमें पब्लिक डीलिंग के बजाय पदों की डीलिंग करने वाले ज्यादा हैं। सरदार पटेल मार्ग पर स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वालों के ठिकाने पर संगठन, समाज और सेवा वालों का टोटा है। कार्यकर्ताओं के इस मोह भंग की राज का काज करने वालों में भी चर्चा है।


रिप्लेसमेंट की राजनीति
आजकल सभी दलों में रिप्लेसमेंट की राजनीति ऊंचाई पर है। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 और इंदिरा गांधी भवन के साथ ही राज का काज करने वालों के लंच क्लब में भी रिप्लेसमेंट राजनीति की चर्चा है। राज का काज करने वाले चटकारे ले रहे हैं कि भगवा में मैडम और हाथ में जादूगरजी के रिप्लेसमेंट के लिए पसीने तो बहाए जा रहे हैं, लेकिन तोड़ किसी के पास नहीं है। दोनों तरफ वफादारों का टोटा नहीं है। और तो और हाथ वाले दोनों छुटभैयों ने भी एक-दूसरे के रिप्लेसमेंट के लिए रात दिन एक किए हुए हैं। रिप्लेसमेंट तो संभव नहीं है, लेकिन धड़ाबंदी जरूर हो गई है।


एक जुमला यह भी

सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में कोई न कोई नया जुमला आ ही जाता है। अब देखो ना गत दिनों पहले युवाओं की भीड़ को देख भाई साहब में जोश पैदा हो गया और युवाओं को सड़क पर लाकर सिविल लाइन्स तक ले गया। इस घटना को लेकर वहां आने वालों में चर्चा है कि कई दिनों से मीडिया में जगह नहीं मिलने से दुखी भाई साहबों को भीड़ को देख अचानक यह ड्रामा कर दिखाया। मसखरों की भाषा में इसे कहते है छपास रोग का इलाज।
(यह लेखक के अपने विचार हैं)
 

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