75 Years Of Independence
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Read More... मुफ्त में देने की संस्कृति पर लगाम जरूरी
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भारत में प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था है, देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं। यह शासन व्यवस्था हमारी एक उपलब्धि है जिसके अंतर्गत चुनाव के आधार पर यह निर्णय लिया जाता है कि कौन सा दल या राजनीतिक दलों का गठबंधन सरकार चलाएगा। जयपुर: ई-मित्र के जरिए बेचे जाएंगे झंडे
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अतिरिक्त जिला कलक्टर (पूर्व) अमृता चौधरी ने बताया कि इसी तरह जयपुर शहर में स्थित राजकीय कार्यालयों, स्वयंसेवी संगठनो (एन.जी.ओ.) और अन्य संस्थाओं को बल्क में कार्यालय जिला परिषद जयपुर द्वारा झण्डे विक्रय किए जाएंगें राजस्थान: समाज सुधार से सोशलिस्ट रिपब्लिक क्रांति के सपनों तक
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गोपालसिंह खरवा ने 2000 सशस्त्र सैनिक तैयार कर रखे थे। इसके अलावा 30 हजार से अधिक बंदूकें भी गोलियों के साथ थीं। खरवा ने इन्हें छुपाया लेकिन वे गिरफ्तार कर लिए गए। आजादी का आंदोलन तेज करने जब पंडित नेहरू जोधपुर में महाराजा से मिले
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पंडित नेहरू को भारत छोड़ो आंदोलन के बाद भी जेल भेजा गया और एक जून 1945 को छोड़ा गया तो मारवाड़ लोक परिषद ने उन्हें जोधपुर बुलाकर सम्मानित करने का फैसला लिया। भारत छोड़ो आन्दोलन से हिल गए थे अंग्रेज
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देश के जड़ शरीर में जीव न्यास डालने की जिम्मेदारी गांधीजी ने अपने कंधों पर ली। देश को एक रखने के लिए गांधी ने घोषणा की, अगर ब्रिटिश राज कांग्रेस की संप्रभुता सत्ता प्रदान करने के लिए अनिच्छुक हैं तो वह मुस्लिम लीग को हाथों सत्ता सौंपकर चला जाए। बेमिसाल क्रांतिकारी केसरी सिंह बारहठ, जिन्होंने भाई, पुत्र और बहनोई तक को क्रांति की राह पर डाला, पुत्र प्रताप सिंह 22 की उम्र में शहीद
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क्रांति के मामले में राजस्थान में सबसे बड़ा योगदान ठाकुर केसरीसिंह बारहठ और उनके परिवार का था। 1872 में शाहपुरा भीलवाड़ा के निकट पैतृक जागीर के गांव देवपुरा में पैदा बारहठ कई भारतीय भाषाओं के ज्ञाता थे। राजपूताना के पुरुषों और महिलाओं की वीरता के बावजूद हमें विदेशियों का दास बनना पड़ा, हम अब वे भूलें न करें : सरदार वल्लभ भाई पटेल
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हर राज्य में, लोग जिम्मेदार सरकार की मांग करते हैं। शासकों को इस बात की जानकारी है और वे जानते हैं कि उन्हें समय के साथ चलना है। हमें स्पष्ट जानकारी हो कि हमारा कर्तव्य क्या है। राजद्रोह कानून पर 'सुप्रीम' सवाल, आजादी के 75 साल बाद भी देश में अंग्रेजों के इस कानून की जरूरत?
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सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह के प्रावधानों के इस्तेमाल को निरंतर जारी रखने पर गुरुवार को सवाल खड़े किए और कहा कि आजादी के 74 साल बाद भी इस तरह के प्रावधान को बनाए रखना दुर्भाग्यपूर्ण है। सीजेआई ने कहा कि राजद्रोह का इस्तेमाल बढ़ई को लकड़ी का टुकड़ा काटने के लिए आरी देने जैसा है, जिसका इस्तेमाल वो पूरे जंगल को काटने के लिए करता है। 