80 साल पहले बापू का दैनिक नवज्योति में लिखा यह लेख राजस्थान की पत्रकारिता की निधि है

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गांधी जयंती विशेष

मुझे डर था कि कहीं जोधपुर का सत्याग्रह गंभीर और विरूप में बन जाय। मैं देखता हूं कि आखिर वहीं हुआ। मेरे पास ढेरों पत्र आये है। जिनमें मालूम होता है कि गिरफ्तारियां बढ़ रही है और लाठीचार्ज रोजमर्रा की चीज बन गया है। सरकारी तौर पर यह हुक्म जारी किया गया है कि कोई सत्याग्रहियों को अपने घरों में न रहने दे। ब्रिटिश भारत में सत्याग्रह  आन्दोलन के समय जो बुरी से बुरी कार्रवाइयां हुई थी, वे सब आज जोधपुर में दोहराई जा रही हें। फर्क इतना ही है कि जोधपुर में सर्वसाधारण जनता की नजरों से बहुत दूर, एकान्त में हो रही है। हो सकता है कि वहां जनता के बिना जाने ही कोई अत्यन्त रूग्ण दुर्घटना घट जाय और वह वहीं दबा दी जाय, जिस तरह ऐसी दुर्घटनायें अब तक दबाई गई हैं और आज भी दबाई जा रही है। इन सब मुसीबतों का एक ही कारण है और इलाज भी एक ही। जब तक वह इलाज कामयाबी के साथ नही किया जाता, यह दु:खद नाटक किसी न किसी रूप मे होता ही रहेगा। ऐसी गावों में होने वाली ऐसी हर एक घटना के लिये ब्रिटिश सरकार भी दोषी है। वह अपने इस दोष की जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। आज जोधपुर में शान्ति और सुव्यवस्था के नाम पर जिस तरह की अमानुष कार्रवाइयां हो रही है उनमें देशी राज्यों की  जनता की रक्षा करने के लिए भारत सरकार अपनी संधि की शर्तो के अनुसार बंधी हुई है। सत्याग्रही  कैदियों को जेल के अन्दर भी कोई आराम  नहीं मिल रहा है उन्हें खराब खाना मिलताहै और मामूली सहुलियते भी नहीं दी जाती। उसके विरोध में भी जयनारायण व्यास ने भूख हडताल शुरू की है, यह हडताल या तो  शिकायतें दूर होने पर खुलेगी या मरने पर । अगर इन्हे मरना ही पडा तो इनकी मौत के लिये खास   तौर पर वे लोग जिम्मेदार होंगे, जिनकी दी हुई तकलीफों के कारण कैदियों को आमरण अनशन करने के लिये विवश होना पडा है।

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