करीब 14 साल पहले हुआ था जोधपुर के मेहरानगढ़ में हादसा: 216 लोगों की मौत का सच आज तक नहीं हुआ उजागर
हादसे की जांच के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जस्टिस जसराज चौपड़ा की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया था।
नवरात्र के पहले दिन 30 सितम्बर, 2008 को गढ़ में स्थित चामुंडा माता के मंदिर में मची भगदड़ में 216 लोगों की मौत हुई थी और करीब दोगुने लोग घायल हुए थे।
जयपुर। करीब 14 साल पहले जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में हुए हादसे का सच आज तक उजागर नहीं हुआ। नवरात्र के पहले दिन 30 सितम्बर, 2008 को गढ़ में स्थित चामुंडा माता के मंदिर में मची भगदड़ में 216 लोगों की मौत हुई थी और करीब दोगुने लोग घायल हुए थे। इस हादसे की जांच के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जस्टिस जसराज चौपड़ा की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया था। आयोग ने 5 मई, 2011 को अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी। लेकिन यह रिपोर्ट राजनीति के फेर में फंसने के साथ कानूनी दांवपेचों में भी उलझ गई। जस्टिस चौपड़ा आयोग की रिपोर्ट पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने भी कानून-व्यवस्था का हवाला देकर उजागर करने से इनकार कर दिया। इसके बाद कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई, तो जस्टिस चौपड़ा की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने या नहीं करने को लेकर तत्कालीन ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने तय किया था कि जस्टिस चौपड़ा की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। कमेटी की इस रिपोर्ट पर कैबिनेट ने भी 1 अगस्त, 2019 को मुहर लगा दी थी। कैबिनेट में निर्णय लिया गया कि चौपड़ा की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही यह रिपोर्ट विधानसभा में भी नहीं रखी जाएगी। चौपड़ा रिपोर्ट को सार्वजनिक करने को लेकर उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर हुई। इस पर सुनवाई करने के बाद 31 जुलाई, 2019 को मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र तथा न्यायाधीश डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी ने फैसला सुनाया कि जस्टिस जसराज चौपड़ा की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट के समक्ष पेश करे।
हाईकोर्ट ने अभी जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की क्लीयरनेस नहीं दी है। मैंने तो 2011 में ही अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। रिपोर्ट को सार्वजनिक करना और उसकी सिफारिशों पर अमल करना राज्य सरकार का काम है। मेरा काम सिर्फ रिपोर्ट देना था, जो पूरा कर दिया। -जस्टिस जसराज चौपड़ा, अध्यक्ष, मेहरानगढ़ दुखांतिका जांच आयोग
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