लिज ट्रस ने ली शपथ, मंत्रिमंडल का गठन  

भारतीय मूल की सुएला ब्रेवर्मन को गृह मंत्रालय दिया

लिज ट्रस ने ली शपथ, मंत्रिमंडल का गठन  

शपथ ग्रहण के तुरंत बाद उन्होंने अपने मंत्रिमंडल का गठन भी कर दिया। भारत के लिए खास बात यह रही कि उसमें भारतीय मूल की सुएला ब्रेवर्मन को गृह मंत्रालय दिया गया है।

स्कॉटलैंड के बाल्मोरल एस्टेट में आयोजित एक समारोह में ब्रिटेन की चुनी गई नई प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने अपने पद की शपथ ग्रहण कर ली है। उन्हें ब्रिटेन की साम्राज्ञी एलिजाबेथ द्वितीय ने शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद उन्होंने अपने मंत्रिमंडल का गठन भी कर दिया। भारतीय मूल की सुएला ब्रेवर्मन को गृह मंत्रालय दिया गया है। सीओपी प्रेसिडेंट के रूप में आलोक शर्मा को दायित्व दिया गया है। मंत्रिमंडल में 4 अश्वेतों को शामिल किया गया है। जेम्स क्लेवरली को विदेश, उप प्रधानमंत्री थेरेस कॉफे को स्वास्थ्य तथा बेन वालेस को रक्षा, जेकब रीस को व्यापार मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। शपथ ग्रहण करने और इसके बाद संसद में दिए गए संबोधन में उन्होंने विश्वास दिलाया कि वह ब्रिटेन को तूफान से बाहर निकालेगी। कर में कटौती और आर्थिक सुधार के माध्यम से अर्थव्यवस्था को विकसित करने , बिजली के बिलों को कम करने के लिए एक सप्ताह के भीतर वे एक साहसिक योजना की घोषणा करने वाली हैं। हम ब्रिटेन का पुनर्निर्माण करेंगे। देश को आधुनिक बनाएंगे।

एक तेजतर्रार नेता के रूप में विख्यात नए प्रधानमंत्री के भाषण से जाहिर होता है कि ब्रिटेन इस समय घरेलू और विदेशी मोर्चे पर कई चुनौतियों से जूझ रहा है। इनमें सबसे प्रमुख पार्टी में आंतरिक द्वंद्व की समाप्ति, चुनावी वादों और घोषणाओं की क्रियान्विति के साथ, दो साल बाद होने वाले देश के आम चुनावों में अपने दल को फिर से विजयश्री दिलाने की चुनौतियों से दो-दो हाथ करना होगा। सिर्फ यही नहीं, बदले वैश्विक माहौल में ब्रिटेन की प्रभावशाली छवि और भूमिका को स्थापित करने, देश की आर्थिक स्थिति को मजबूती देने के लिए भी काफी मशक्कत करनी होगी। बढ़ती महंगाई पर काबू पाने, डॉलर के मुकाबले पौंड के गिरते स्तर, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद उपजे ऊर्जा संकट से निपटने के प्रयासों को गति देने की प्रमुख चुनौतियां सामने है। इसके अलावा पिछले एक अर्से से भारत के साथ ब्रिटेन के संबंध नए आयाम ले रहे हैं। ऐेसे में भारत के साथ कारोबारी और रणनीतिक मैत्रीपूर्ण संबंधों को और मजबूती देने के ठोस प्रयासों को अमलीजामा भी पहनाना होगा। कारण पिछले कुछ अर्से से दोनों देशों के संबंध नए सिरे से प्रगाढ़ हो रहे हैं। कारोबारी स्तर पर दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते में तेजी आएगी। उम्मीद है दीपावली तक इस समझौते को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। मौजूदा वीजा पद्धति में बदलाव की भी उम्मीद है।

इस साल मार्च में जब ट्रस बतौर विदेश मंत्री के दौरे पर आई थीं तो उन्होंने बताया था कि ब्रिटेन की सैन्य उपकरण व युद्ध सामग्री बनाने वाली कंपनियां भारत को एक बड़े बाजार के तौर पर देख रही हैं। वो आत्म निर्भर भारत योजना का हिस्सा बनने को तैयार हैं। इस दिशा में शीघ्र शीर्ष स्तरीय वार्ता का प्रस्ताव भी रखा गया था। इस क्रम में उम्मीद है कि ट्रस के प्रधानमंत्री बनने के बाद अब दोनों देशों के बीच टू प्लस टू वार्ता शीघ्र होगी। थोड़ी चुनाव पर चर्चा कर लें। पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के इस्तीफा देने के बाद अपनी कंजरवेटिव पार्टी में हुए चुनाव में ट्रस ने प्रतिद्वंद्वी ऋषि सुनक को करीब इक्कीस हजार मतों से शिकस्त दी थी। इस चुनाव में खास बात तो यह रही कि बियालीस वर्षीय भारतीय मूल के ऋषि सुनक को पार्टी में चालीस फीसदी मतों का मिलना। यह भी एक तरह से प्रभावशाली होने का संकेत है। जो नए ब्रिटेन के राजनीतिक इतिहास में आ रहे नए बदलाव का इशारा कर रहा है। बोरिस के मंत्रिमंडल में सुनक ने बतौर वित्त मंत्री कोरोना महामारी के दौर में भी ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को प्रभावशाली तरीके से संतुलित बनाए रखने में सफलता अर्जित की थी। यह तथ्य उनके उज्जवल भविष्य का संकेत दे रहा है। 

दूसरी ओर लिज ट्रस, बोरिस मंत्रिमंडल में पहले व्यापार फिर विदेश मंत्री के पद पर कार्य कर चुकी हैं। उनका कार्यकाल भी प्रभावशाली रहा। ब्रिटेन और भारत के बीच रणनीतिक और कारोबारी संबंधों को नए आयाम और मजबूती देने का श्रेय भी उनके खाते में जाता है। ट्रस की छवि एक फायर ब्रांड, अनुभवी और उदारवादी नेता के रूप में मानी जाती है। उनकी जीत के प्रमुख कारकों में बोरिस जॉनसन खेमे का समर्थन मिलना रहा। कारण सुनक ने तो बोरिस के शासन के खिलाफ बगावत की थी। लगभग 2 माह तक चली चुनावी प्रक्रिया में वे, सुनक के खिलाफ  निष्ठा का सवाल करने में भी सफल रही है। (ये लेखक के अपने विचार है)

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