अब हर अस्पताल में एसटीपी होगा तभी मिलेगी मान्यता
100 बैड से अधिक के सभी अस्पतालों में किया अनिवार्य
100 बैड की क्षमता वाले सरकारी अस्पतालों में एसटीपी होने पर ही उन्हें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मान्यता दी जाएगी। इसका मकसद अस्पतालों से निकलने वाले बायो वेस्ट का अब अस्पताल के स्तर पर ही ट्रीेटमेंट हो जाएगा।
कोटा। संभाग मुख्यालय और स्मार्ट सिटी कोटा शहर में जहां पहले गिनती के ही एसटीपी प्लांट होते थे। वह भी शहर से दूर। लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ने वाली है। उसका कारण है शहर में 100 बैड से अधिक की क्षमता वाले सभी सरकारी अस्पतालों में एसटीपी को आवश्यक कर दिया गया है। एसटीपी होने पर ही अस्पतालों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मान्यता मिलेगी। शहर में पहले धाकड़ खेडी में ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट हुआ करता था। जहां पाइप लाइनों के जरिये शहर की गंदगी उसमें जाकर गिरती थी। वहां से उसका ट्रीटमेंट होता था। शहर की आबादी बढ़ने के साथ ही गंदगी तो बढ़ गई लेकिन ट्रीटमेंट प्लांटों की संख्या में अपेक्षाकृत बढ़ोतरी नहीं हुई। जिससे समस्या अधिक हो गई। लेकिन आरयूआईडीपी ने शहर में ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के साथ ही सीवरेज लाइनें डालने व उन्हें घरों से जोड़ने का काम भी किया है। अधिकतर काम अभी भी चल रहा है। हालांकि नगर विकास न्यास ने भी चम्बल रिवर फ्रंट में गिरने वाले नालों के पानी को ट्रीटमेंट करने के लिए बालिता में नया एसटीपी बनाया जा रहा है। लेकिन अब एसटीपी को उन सभी सरकारी अस्पतालों के लिए आवश्यक कर दिया गया है। जिनकी बैड क्षमता कम से कम 100 है।
रामपुरा जिला अस्पताल में किया टीम ने निरीक्षण
सरकारी अस्पतालों में एसटीपी बनाने का काम आरयूआईडीपी द्वारा किया जाएगा। विभाग की जयपुर व कोटा की टीम ने सोमवार को रामपुरा स्थित जिला अस्पताल का निरेीक्षण किया। जहां उन्होंने अस्पताल में एसटीपी बनाने की जगह देखी व उसे चिन्हित किया गया। यहां अस्पताल परिसर में शौचालय के पास की जगह पर एसटीपी बनाया जाएगा। जिसका काम शीघ्र ही शुरू हो जाएगा।
एमबीएस व जे.के. लोन में चल रहा काम
सभाग के सबसे बड़े एमबीएस व जे.के. लोन अस्पताल में भी एसटीपी बनाने का काम किया जा रहा है। दोनों अस्पतालों में करीब 8 करोड़ रुपए की लागत से ये प्लांट बनाए जा रहे हैं। वहीं मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी इसका निर्माण किया जाएगा।
एसटीपी होने पर ही मिलेगी मान्यता
100 बैड की क्षमता वाले सरकारी अस्पतालों में एसटीपी होने पर ही उन्हें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मान्यता दी जाएगी। इसका मकसद अस्पतालों से निकलने वाले बायो वेस्ट का अब अस्पताल के स्तर पर ही ट्रीेटमेंट हो जाएगा। जिससे शहर में गंदगी भी नहीं फेलेगी और एक ही एसटीपी पर दबाव भी नहीं पड़ेगा। ऐसा करने वाले अस्पतालों को ही प्रदूशण नियंत्रण बोर्ड से मान्यता मिलेगी।
इनका कहना है
रामपुरा जिला अस्पताल में एसटीपी बनाने के लिए आरयूआईडीपी की जयपुर व कोटा की टीम सोमवार को अस्पताल आई थी। उन्होंने जगह का निरीक्षण किया। उसके बाद शौचालय के पास की जगह को एसटीपी के लिए चिन्हित किया है। एसटीपी का निर्माण से लेकर दस साल तक उसकी मरम्मत व संचालन का काम भी संबंधित विभाग ही करेगा। अब 100 बैड की क्षमता वाले अस्पतालों में इसे अनिवार्य कर दिया गया है। उसके बाद ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मान्यता मिलेगी।
- डॉ. आर.के. सिंह अधीक्षक, रामपुरा जिला अस्पताल
एमसीआई ने एसटीपी को अस्पतालों के लिए आवश्यक किया गया है। जिससे अस्पतालों में एकत्र होने वाले बायो वेस्ट का वहीं ट्रीटमेंट हो सके। एमबीएस व जे के लोन में 8 करोड़ से काम चल रहा है। एसटीपी बनने की अंडर टेकिंग देने पर ही मान्यता तो मिल जाती है। अब रामपुरा व मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी एसटीपी बनाए जाएंगे।
- डॉ. विजय सरदाना, प्राचार्य मेडिकल कॉलेज कोटा
जहां भी सीवरेज नेटवर्क डाला जा रहा है वहां पूरा पलांट डलता है। मुख्यमंत्री बजट घोषणा के तहत अस्पतालों में एसटीपी बनाए जा रहे हैं। एमबीएस में काम चल रहा है लेकिन जगह की कमी के कारण कुछ समय से काम रूका हुआ है। उसे जल्दी ही शुरु कर दिया जाएगा। रामपुरा व मेडिकल कॉलेज में भी एसटीपी बनाए जाएंगे।
- राकेश गर्ग, अधीक्षण अभियंता आरयूआईडीपी कोटा
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