कोटा में 2 लाख से अधिक लोग खा रहे थे गरीबों का निवाला
जन-आधार और राशन कार्ड के मिलान में हुआ खुलासा
कोटा जिले में 2,13,445 लोगों द्वारा गलत तरीके से सरकारी गेहूं उठाया जा रहा है। जांच करने पर पता चला कि कई लोगों की मृत्यु के बाद भी उनके नाम सरकारी गेहूं उठाया जा रहा था।
कोटा। रसद विभाग में ऑनलाइन सिस्टम होने के बाद अब कई तरह की गड़बड़ी की परतें खुलने लगी है। ताजा मामला खाद्य सुरक्षा योजना में पात्र नहीं होने के बावजूद गेहूं उठाने का सामने आया है। खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग ने चयनित परिवारों के राशनकार्ड को जनाधार से मिलान (सीडिंग) किया तो कोटा जिले में हर महीने लाखों मीट्रिक टन गेहूं का गोलमाल सामने आया है। जानकारी के अनुसार जिले में चयनित व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी उसके नाम से गेहूं उठाया जा रहा था। इसके अलावा कई लोगों के जिले से पलायन कर जाने के बाद भी उनके नाम सरकारी गेहूं लिया जा रहा था। रसद विभाग में आॅनलाइन सिस्टम शुरू होने के बाद प्रत्येक कार्य की मॉनिटरिंग होने लगी है। ऐसे में खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग ने चयनित परिवारों के राशनकार्ड को जनाधार से मिलान (सीडिंग) किया। इस दौरान सामने आया कि कोटा जिले में 2,13,445 लोगों द्वारा गलत तरीके से सरकारी गेहूं उठाया जा रहा है। जांच करने पर पता चला कि कई लोगों की मृत्यु के बाद भी उनके नाम सरकारी गेहूं उठाया जा रहा था। वहीं पुत्री का विवाह होने, गांव या शहर से पलायन होने जैसे मामले में भी गेहूं लिया जा रहा था। इसके बाद विभाग ने सख्ती बरतते हुए इन लोगों को राशनकार्ड और खाद्य सुरक्षा योजना से बाहर कर दिया।
ऐसे सामने आए संदिग्ध नाम
सरकार ने वन नेशन वन राशनकार्ड स्कीम के तहत राशन कार्डों को जन आधार से सीडिंग (मिलान) करना शुरू किया था। सीडिंग में पता चला कि चयनित परिवार के सदस्य का नाम राशनकार्ड में तो है लेकिन जन आधार कार्ड में नहीं है। इस तरह संदिग्ध नामों की सूची बढ़ती कई तो विभाग सक्रिय हुआ और फिर घर घर जाकर सत्यापन किया गया। इसके बाद ये सभी संदिग्ध नाम राशन कार्ड से हटाए गए और फिर खाद्य सुरक्षा योजना से भी इनको वंचित कर दिया गया।
फर्जीवाड़े में कोटा जिला अव्वल
कोटा संभाग के चारों जिलों में से कोटा जिले में फर्जीवाड़ा कर राशन का गेहूं उठाने के मामले ज्यादा सामने आए हैं। कोटा जिले में 2 लाख 13 हजार 445 लोगों ने फर्जीवाड़ा कर लाखों क्विंटल सरकारी गेहूं हजम कर लिया। इसके बाद संभाग में सबसे ज्यादा मामले झालावाड़ जिले के निकले हैं। यहां पर 1 लाख 88 हजार 957 लोगों ने सरकारी गेहूं को हड़प कर लिया। बारां जिले में 1 लाख 68 हजार 468 और बूंदी जिले में 1 लाख 42 हजार 613 लोगों ने सरकारी गेहूं खा लिया।
यह मिलता है लाभ
खाद्य सुरक्षा योजना के तहत लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति प्रति महीना दो रुपए किलो के अनुसार 5 किलो गेहूं मिलता रहेगा। वहीं गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले (बीपीएल) को एक रुपए किलो गेहूं दिया जाता है। राशन की दुकान पर अब केवल गेहूं ही मिलता है। चीनी और केरोसीन बंद हो चुका है।
इनका कहना है
सरकार ने वन नेशन वन राशनकार्ड स्कीम के तहत राशन कार्डों को जन आधार से सीडिंग (मिलान) किया था। सीडिंग में पता चला कि चयनित परिवार के सदस्य का नाम राशनकार्ड में तो है लेकिन जन आधार कार्ड में नहीं है। इसके बाद सत्यापन करने पर पता चला कि मृतकों व पलायन करने वालों के नाम से गेहूं उठाया जा रहा है। इसके बाद इन लोगों के नाम योजना से हटाए गए।
- प्रवीण कुमार, प्रवर्तन निरीक्षक रसद विभाग
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