मायके का दखल बिगाड़ रहा पति-पत्नी के रिश्ते
महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र पर दस माह में 415 केस में समझाइश
पति-पत्नी के बीच छोटी-छोटी बातों पर कलह शुरू होती है। फिर माता-पिता, सास-ससुर और दूसरे लोगों का हस्तक्षेप मामले को और बिगाड़ देता है। काउंसिलिंग में आने वाले प्रकरणों में देखा जाता है कि समझौते की गुंजाइश कितनी है। कई मामलों में पति या पत्नी पहले से अलग होने का निर्णय कर लेते हैं। ऐसे प्रकरणों को न्यायालय में भेज दिया जाता है।
कोटा। कोटा में कोरोना काल के दौरान हुई विवाह में अब दरार आने लगी है। महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र में पिछले दस माह में करीब 416 केस आए जिसमें से अधिकांश केस में छोटी छोटी बातों से बढ़ी गलतफहमी के थे। युवा जोड़ो में पति पत्नी और वो के कनेक्शन के केस भी विवाह विच्छेद के लिए आए लेकिन केंद्र सलाहकारों ने अपनी सूझबुझ और आपसी समझाइश से इन टूटे घरों को एक बार फिर से रोशन कर दिया है। केंद्र पर आने वाले केस में पति-पत्नी के दरकते रिश्तों में वो (कभी सास-ससुर तो कभी माता-पिता) विलेन के रूप में सामने आ रहे हैं। कभी पत्नी को पति का पहनावा पसंद नहीं आता तो कभी पति की कम कमाई रिश्तों में कड़वाहट घोल रही है। नशे में पत्नी से मारपीट के साथ 'वो के रूप में शक की गुंजाइश भी रिश्तों में दूरी बढ़ा रही है। महिला सुरक्षा एंव सलाह केंद्र में आने वाले अधिकतर प्रकरणों में ऐसी ही छोटी-छोटी बातें पति-पत्नी के बीच अलगाव का कारण बन रही हैं। महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र के काउंसिलिंग प्रभारी उमा सिंह ने बताया 1जनवरी 2022 से 31 दिसंबर तक तक 416 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। जिसमें से 415 केस में समझाइश कर टूटे घर को फिर से जोड़ दिया। उमा सिंह ने बताया कि पति-पत्नी के बीच छोटी-छोटी बातों पर कलह शुरू होती है। फिर माता-पिता, सास-ससुर और दूसरे लोगों का हस्तक्षेप मामले को और बिगाड़ देता है। काउंसिलिंग में आने वाले प्रकरणों में देखा जाता है कि समझौते की गुंजाइश कितनी है। कई मामलों में पति या पत्नी पहले से अलग होने का निर्णय कर लेते हैं। ऐसे प्रकरणों को न्यायालय में भेज दिया जाता है।
पति पत्नी और वो के केस सबसे ज्यादा
घरेलू हिंसा के मुकदमों में सुलह-समझौते के प्रयास में झगड़ों के छोटे-छोटे कारण सामने आ रहे हैं। मायके वाले अपनी बेटी के लगातार संपर्क में रहते हैं। दिनभर बेटी का फोन मायके वालों की कॉल से घनघनाता रहता है। परामर्शदाता मोनिका कुमारी ने बताया कि मायके वाले बेटी से ससुराल की छोटी-छोटी बातों पर डिसकस करते रहते हैं। सलाह देते रहते हैं कि ये करो, ऐसे मत दबना, अपना अधिकार बनाए रखना। वहां घूमने चली जाओ, ये सामान खरीद लो। यही सब डिमांड नव विवाहिताएं अपने पति और ससुरालियों से करने लगती हैं। हर पति का आय के हिसाब से ही बजट होता है। अनाप-शनाप डिमांड से घर का बजट बिगड़ता है और लड़ाई-झगड़े शुरू हो जाते हैं। घरेलू हिंसा के मुकदमे से शुरू हुई बात तलाक तक पहुंचने लगती है। पति पत्नी और वो केस सबसे ज्यादा आते है।
1500 परिवाद में 1300 का हुआ निस्तारण
महिला थाना अधिकारी घनश्याम मीणा ने बताया महिला थाने में पिछले एक साल में घरेलु हिंसा, महिला उत्पीड़न, स्त्री धन के लिए परेशान करने के 1500 अधिक परिवाद आए जिसमें 1300 में समझौता कराकर फिर से घरों को जोड़ा गया। जनवरी अब तक 427 एफआईआई दर्ज हुई है। वहीं 2021 में 384 घरेलु हिंसा और अन्य मामले दर्ज हुए।
केस- एक - विधवा मां ने खर्च मांगा तो बेटा बहु ने तोड़ लिया रिश्ता
महिला सुरक्षा केंद्र पर एक 60 साल विधवा मां ने अपने बेटे बहु द्वारा साथ नहीं रखने और घर खर्च नहीं उठाने की शिकायत की। जिस पर बेटे बहु से काउंसलिंग की और वृद्ध मां का खर्च उठाने और सेवा करने के लिए समझाइश की बेटा बहु नहीं माने तो काउंसलर ने मां के गहने लौटाने के लिए बेटा बहु को कहा। इस पर बेटे बहु ने जेवरात तो लौटा दिए लेकिन स्टाप लिखवाया अब हमारा कोई रिश्ता नहीं है और मां से रिश्ता ही तोड़ लिया।
केस- दो-कोरोना काल हुई शादियों में स्त्री धन बन रहा कलह की वजह
दो साल कोरोना काल में बिना बैडबाजा और बारात और बिना स्त्री धन के हुई शादियां अब टूटन के कगार पर पहुंच रही है। केंद्र पर पिछले एक साल में कई केस कोरोना काल के दौरान हुई शादियों के आए जिसमें स्त्री धन की डिमांड ज्यादा थी। केंद्र पर कोरोना काल में हुई शादी का एक जोड़ा अपनी शादी इसलिए तोड़ने आया उसके ससूर ने शादी में कोई भी दहेज और धन नहीं दिया। जिससे नाराज होकर लड़के परिवार के लोग लड़की पर दबाव बना रहे थे। इससे पति पत्नी में रोज कलह हो रहा था। केंद्र पर समझाइश करके दोनों के टूटते घर फिर से जोड़ा।
केस- तीन - कोटा निवासी युवती की शादी बूंदी में हुई है। उसका पति प्राइवेट नौकरी करता है। पत्नी को मायके में बेटा हुआ। छुट्टी नहीं मिलने से पति बेटे को देखने ससुराल नहीं पहुंचा। इससे रिश्तों में ऐसी कड़वाहट आई कि मामला महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र पहुंच गया। काउंसिलिंग में पिता ने हस्तक्षेप का प्रयास किया। काउंसलर ने पति-पत्नी को थोड़ी देर के लिए अलग किया तो बात बन गई। दोनों खुशी-खुशी अपने घर रवाना हुए।
केस- चार- कोटा निवासी युवक की शादी दो साल पहले कोरोना काल में एक युवती से हुई थी। महिला छह महीने से मायके में है। उसकी शिकायत है पति शराब पीता है। पूरी कमाई मां को दे देता है। उसके लिए एक जेवर तक नहीं बनवाया। महिला की मां व पिता ने काउंसिलिंग के दौरान शर्त रखी कि दामाद शराब छोड़ दे और पूरी कमाई बेटी के हाथ में दे। दोनों को काफी कांउसलिंग उसके बाद दोनों साथ रहने को राजी हुए और पति से शराब नहीं पीने का शपथ पत्र लिया।
केस- पांच - कोटा निवासी एक युवती हाई एजुकेशन है। पति कम पढ़ा-लिखा है। पत्नी को पति का लो प्रोफाइल पंसद नहीं है। कई बार उसने अपनी सहेलियों के सामने पति का मजाक उड़ाया। दोनों के रिश्तों में इतनी कड़वाहट आ गई कि पत्नी शहर में अलग से कमरा लेकर रहने लगी। उसने केंद्र में काउंसिलिंग के करके समझाइश की और फिर से घर बसाया।
महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र में आने वाले केस को आपसी समझाइश से ही केंद्र पर ही सुलह कराकर फिर से घर बसाने का प्रयास रहता है। कोरोना काल में हुई शादियों में दरार आने लगी है। कई पति स्त्रीधन व बहू सास ससूर के दखल से संबंध विच्छेद की करने की शिकायतें लेकर आ रहे हैं। उन्हें काउंसलिंग करके उनके घरों को जोड़ने का केंद्र की ओर से प्रयास किया जा रहा है। जनवरी से अक्टूबर तक 415 केस में समझौता कराया गया।
- उमा सिंह, परामर्शदाता, महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र कोटा
महिला थाने में आने वाले परिवाद को पहले महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र पर भेजा जाता है। वहां दस दिन तक परामर्श से समझाइश की जाती है। उसके बाद भी मामला नहीं सुलझने पर मुकदमा दर्ज कर किया जाता है। उसके बाद फिर एक बार और समझाइश की जाती है। उसके बाद कोर्ट में पेश किया जाता है।
-घनश्याम मीणा, महिला थानाधिकारी कोटा
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