RUHS में फिर मानवता शर्मसार, बैड दिलाने के नाम पर कर्मचारी और दलाल 10 हजार रुपए लेते गिरफ्तार
प्रदेश का सबसे बड़ा कोविड हॉस्पिटल आरयूएचएस दलाल और घूसखोरों का अड्डा बन चुका है। इसका खुलासा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से शनिवार शाम को आरयूएचएस में की गई दूसरी कार्रवाई में हुआ है। एसीबी ने आईसीयू में बैड दिलाने समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के नाम पर 10 हजार रुपए लेने वाले दलाल व इलेक्ट्रीशियन को गिरफ्तार किया है।
जयपुर। प्रदेश का सबसे बड़ा कोविड हॉस्पिटल आरयूएचएस दलाल और घूसखोरों का अड्डा बन चुका है। इसका खुलासा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से शनिवार शाम को आरयूएचएस में की गई दूसरी कार्रवाई में हुआ है। एसीबी ने आईसीयू में बैड दिलाने समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के नाम पर 10 हजार रुपए लेने वाले दलाल व इलेक्ट्रीशियन को गिरफ्तार किया है। टीम देर रात तक इनसे पूछताछ कर रही थी। एसीबी के महानिदेशक बीएल सोनी ने बताया कि टीम को सूचना मिली की आरयूएचएस में रुपए लेकर आईसीयू में बैड समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इस सूचना पर एसीबी ने डिकॉय का आयोजन किया और एसीबी के कांस्टेबल पन्नालाल को कोरोना मरीज के परिजन के रूप में बोगस ग्राहक बनाकर भेजा। इस टीम का नेतृत्व एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बजरंग सिंह शेखावत ने किया।
बोगस ग्राहक बनकर गए कांस्टेबल से आरयूएचएस में कार्यरत संविदाकर्मी पवन डागुर निवासी करौली और ओमवीर निवासी करौली को 10 हजार रुपए की घूस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। एसीबी की टीम पिछले शनिवार को मेल नर्स अशोक कुमार गुर्जर को घूस लेते हुए आरयूएचएस में गिरफ्तार कर चुकी है। उसने भी आईसीयू में बैड दिलाने के नाम पर घूस की रकम मांगी थी। एसीबी एसपी शेखावत ने बताया इन दोनों आरोपियों ने आईसीयू में बैड दिलाने के नाम पर एक लाख की मांग की थी, सौदा 30 हजार में तय किया था। जनरल बैड दिलाने के नाम पर 30 हजार रुपए की अलग से मांग की गई और ऑक्सीजन के लिए प्रतिदिन दो हजार अलग से लेना तय किया था।
पेटीएम और फोन पे से भी लेते थे घूस
एसीबी की जांच में सामने आया है कि यह घूसखोर पवन और ओमवीर कोरोना पीड़ित मरीज के परिजनों से घूस के रुपए पेटीएम और फोन पे के माध्यम से भी लेते थे। इनके फोनों में घुस के रुपए लेने का ट्रांजेक्शन मिला है। एसीबी की टीम अब उन सभी ट्रांजेक्शन की तस्दीक कर रही है।
मुर्गे से 20 हजार लेने हैं
एसीबी ने जब सत्यापन किया तो पवन और ओमवीर आपस में कोड वर्ड में बात करते थे। यह कोरोना पीड़ित मरीज के परिजनों को मुर्गा कहकर बुलाते थे। पवन ने ओमवीर से कहा था कि मुर्गे से 20 हजार रुपए लेने हैं। इसके बाद वह भी 20 हजार रुपए की मांग करता है। जब परिवादी ने रुपए कम करने को कहा तो ओमवीर ने कहा कि साहब से बात करूंगा। वह कम कर देंगे तो मैं रुपए कम कर सकता हूं। अब एसीबी की टीम उस साहब को तलाश रही है, जिसके कहने पर ओमवीर और पवन रुपए कम करने वाले थे। ओमवीर 12 साल से इलेक्ट्रीशियन है। इसकी ड्यूटी आरयूएचएस में लगी हुई थी, पवन हाल ही कुछ दिनों पहले आरयूएचएस पहुंचा है।
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