सरकारी सुविधाओं और संसाधनों के बिना भी बॉडी बिल्डिंग में दबदबा है कोटा का

विशेषज्ञों ने कहा मिले सरकारी प्रोत्साहन तो इंटरनेशनल लेवल पर फहरा सकते हैं परचम

सरकारी सुविधाओं और संसाधनों के बिना भी बॉडी बिल्डिंग में दबदबा है कोटा का

बॉडी बिल्डिंग का अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों को ऐसी कोई भी सुविधा नहीं है जैसी जयपुर आदि शहरों के खिलाड़ियों को मिली हुई हैं।

कोटा। ना कोई सरकारी सुविधाएं और पर्याप्त संसाधन इसके बावजूद कोटा के बॉडी बिल्डिंग करने वाले खिलाड़ियों ने नेशनल लेवल पर सबसे ज्यादा मिस्टर राजस्थान दिए हैं। जो इस बात प्रमाण है कि यदि यहां के लड़कों को उचित सरकारी संरक्षण, प्रोत्साहन और सुविधाएं मिले तो ये लड़के राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपने शहर, अपने देश का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा सकते हैं। विशेषज्ञ और इन खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने वाले तो यहां तक की गारन्टी देते हैं कि यदि सरकारी सुविधाएं मिले तो कोटा के लड़कों में वो जज्बा है कि वो बॉडी बिल्डिंग में हर स्तर पर अपना दमखम दिखा सकते हैं। बताया जाता है कि साल 1992 के आसपास से ही कोटा में बॉडी बिल्डिंग की शुरूआत हुई थी या यहां के लड़कों का रूझान इस ओर हुआ। इस खेल में सबसे पहले कोटा को मेडल दिलाया अशोक औदिच्य ने जिन्होंने साल 1996 में 52 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड मेडल हांसिल कर कोटा का नाम रोशन किया था। उसके बाद उनसे प्रेरणा लेकर कई लड़कों में बॉडी बिल्डिंग का शौक पैदा हुआ और तब से अब तक कोटा के खिलाड़ियों ने राष्टÑीय और राज्य लेवल पर कोटा और अपने नाम की पहचान बनाई। जानकारी के अनुसार कोटा के खिलाड़ियों ने कोटा को बॉडी बिल्डिंग में अब तक लगभग 15-17 स्वर्ण पदक, 18 से 20 रजत पदक और करीब 15-20 कांस्य पदक दिलवाए हैं। यहां के 10 खिलाड़ी राष्टÑीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं और इनमें से दो ने प्रेमराज अरोड़ा और शोएब खान ने साल 2015 में गोल्ड मेडल हांसिल किया था। इनके अलावा करीब 60 खिलाड़ी स्टेट लेवल पर इस खेल में अपना श्रैष्ठ प्रदर्शन कर मेडल जीत चुके हैं।  

विशेषज्ञों का कहना हैं कि बॉडी बिल्डिंग का अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों को ऐसी कोई भी सुविधा नहीं है जैसी जयपुर आदि शहरों के खिलाड़ियों को मिली हुई हैं। इनका कहना है कि स्टेडियम पर ही उपकरणों का अभाव हैं। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को सारा खर्चा स्वंय वहन करना होता है। ये बताते हैं कि कोटा के लड़कों में वो जज्बा है जिससे वो अपने शहर की पहचान अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बना सकते हैं। संबंधितों का कहना है कि मो. अफरोज, जितेन्द्र शर्मा, प्रेमराज अरोड़ा, शोएब खान, अंसार अहमद, खुशवंत सिंह, वसीम और दीपक ये वो खिलाड़ी रहे हैं जिन्हे मिस्टर राजस्थान के खिताब से नवाजा जा चुका हैं। ये वो खिलाड़ी है जिन्होंने बिना किसी प्रोटीन या दवा के प्रदर्शन किया हैं। ये बताते हैं कि आजकल गलत दवाओं का खूब सेवन हो रहा है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। इससे खिलाड़ी के लीवर और किडनी पर जोर पड़ता है। युवाओं को सिर्फ अपनी डाइट पर ही ध्यान देना चाहिए। 

कोटा के खिलाड़ियों में जोश और जज्बे की कोई कमी नहीं है। कमी है तो केवल सरकारी सुविधाओं और उचित संरक्षण की। जब यहां के खिलाड़ी बिना संसाधनों के ही इतना कुछ कर सकते हैं तो सुविधाएं मिलने पर तो और बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं। 
- अशोक औदिच्य, सचिव, राजस्थान बॉडी बिल्डिंग 

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