खतरा:जर्जर भवन में चल रहा पाटनपोल स्कूल
1935 से रियासतकालीन भवन में चल रहा सरकारी विद्यालय
क्लासरूम के नाम पर एक भी कक्ष नहीं हैं, स्कूल तिबारियों में ही चलता है।
कोटा। शहर का राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पाटनपोल 88 साल से जर्जर रियासतकालीन भवन में संचालित हो रहा है। भवन इतना जर्जर हो चुका कि पीडब्ल्यूडी ने इसे गत वर्ष असुरक्षित घोषित कर दिया था। साथ ही सुरक्षित भवन में स्कूल शिफ्ट करने की हिदायत दी थी। फिर भी विद्यालय को इसी जर्जर भवन में संचालित किया जा रहा है। हालात यह हैं, स्कूल की दूसरी मंजिल को बंद कर दिया गया है। क्योंकि, छतों की पट्टियां टूटकर गिर चुकी हैं। दीवारें जगह-जगह से दरक चुकी हंै। हर पल हादसे का खतरा बना रहता है। इसके बावजूद दूसरी मंजिल के क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत कराए बिना पहली मंजिल की तिबारियों की दीवारों का प्लास्टर करवाया जा रहा है। समग्र शिक्षा से स्वीकृत हुए 14 लाख रुपए के बजट से प्लास्टर, फर्श व बिजली से संबंधित काम करवाए जाने हैं। जबकि, विशेषज्ञों का मानना है, ऊपर के जर्जर भवनों की मरम्मत कराए बिना नीचे 14 लाख से काम करवाना उचित नहीं है।
पीडब्ल्यूडी ने माना था असुरक्षित
जानकारी के अनुसार गत वर्ष जुलाई माह में पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने पाटनपोल स्कूल का सर्वे किया था। बिल्डिंग के एक-एक हिस्से की फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी करवाई थी। जिसकी सर्वे रिपोर्ट तत्कालीन शाला प्रधान को सौंप भवन को असुरक्षित घोषित किया था। अधिकारियों ने रिपोर्ट में बताया कि यह भवन स्कूल चलाने लायक नहीं है। रियासतकालीन भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। छतों की पट्टियां टूटी हुई हैं। दीवारों में गहरे गड्ढ़े हो रहे हैं। बरसात में कभी भी हादसा हो सकता है।
7 तिबारियों में स्कूल, एक साथ लगती है पांच क्लास
पाटनपोल स्कूल में कक्षा-कक्ष नाम की कोई जगह नहीं है। यहां छोटी-छोटी 7 तिबारियां है, जिनमें कक्षा 1 से 12वीं तक की क्लासें चलती हैं। स्कूल में करीब 125 बच्चों का नामांकन है। वहीं, 16 फीट लंबी और 8 फीट चौड़ी तिबारी में 1 से 5वीं तक की कक्षाएं एक साथ लगती हैं। तिबारियां क्षतिग्रस्त हैं, हालांकि, दीवारों पर प्लास्टर करवाकर खानापूर्ति की जा रही है।
ऊपरी मंजिल पर दो आंगनबाड़ी, सांप का खतरा
स्कूल की दूसरी मंजिल पर बांए तरफ क्षतिग्रस्त तिबारियां हैं। जिनमें दो आंगनबाड़ी चलती हैं। ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां है, जिसके पत्थर हिल रहे हैं। बारिश में दीवारें ढहने का खतरा है। तिबारियों में एक फीट तक पानी भर जाता है। आंगनबाड़ी कार्यकताओं ने बताया कि यहां कई बार सांप आ चुके हैं। जिन्हें भगाने पर वे दीवारों में हो रहे गडढ़ों में छिप जाते हैं। यहां हर पल जान का जोखिम रहता है।
तिबारियों में एग्जास्ट नहीं, सीलन की बदबू से परेशान
क्लासरूम के नाम पर एक भी कक्ष नहीं हैं। स्कूल तिबारियों में ही चलता है। वर्तमान में कुछ तिबारियों में मरम्मत कार्य किया जा रहा है। इनमें एग्जास नहीं होने से सीलन की बदबू से विद्यार्थी परेशान रहते हैं। स्कूल में करीब 125 विद्यार्थियों का नामांकन है। जबकि, पर्याप्त जगह नहीं होने से विद्यार्थी ठीक से बैठ भी नहीं पाते। 10 फीट लंबी और 8 फीट चौड़ी तिबारी में कक्षा 10वीं-11वीं को एक साथ बिठाया जाता है।
इनका कहना है
स्कूल भवन असुरक्षित नहीं है। स्कूल भवन की रिपेयरिंग के लिए समग्र शिक्षा से 14 लाख रुपए की राशि स्वीकृत हुई है। जिससे प्रथम तल पर बनी तिबारियों की मरम्मत करवा रहे हैं। वहीं, बाहर विद्यालय की बड़ी जगह है, जहां 4 नए कक्षा-कक्ष बनवाने के लिए यूआईटी को प्रस्ताव भेजे थे। तीन-चार दिन पहले ही यूआईटी के जेईएन मौका मुआयना करके गए हैं। यहां नए कक्षा-कक्ष बनने पर राहत मिल सकेगी।
- रेणुका सजनानी, प्रिंसिपल, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पाटनपोल
गत वर्ष पाटनपोल स्कूल की तत्कालीन हैडमास्टर मंदाकिनी शर्मा ने यूसीईईओ बैठक में बताया था कि पीडब्ल्यूडी ने स्कूल भवन को असुरक्षित घोषित कर दिया है। मामला संज्ञान में आते ही मैंने उन्हें उस स्कूल के क्षतिग्रस्त कमरों में कक्षाएं संचालित न करने की हिदायत दी थी। वहीं, उच्चाधिकारियों को अवगत करवाकर सुरक्षित भवन में कक्षाएं संचालित करवाने को निर्देशित किया था।
-आभा शर्मा, यूसीईईओ प्रभारी एवं प्राचार्य राज. श्रीपुरा बा.उ.मा.वि.
पीडब्ल्यूडी द्वारा अगर स्कूल भवन को असुरक्षित घोषित किया गया है तो वहां बच्चों को नहीं बिठाया जाएगा। बच्चों की सुरक्षा जरूरी है। इसके लिए मामले की जांच करवाएंगे। यदि, भवन की स्थिति खराब हुई तो स्कूल को अन्य भवन में शिफ्ट करने की वैकल्पिक व्यवस्था करेंगे। ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो।
- प्रदीप चौधरी, मुख्य जिला शिक्षाधिकारी कोटा
पीडब्ल्यूडी द्वारा गत वर्ष राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पाटनपोल का सर्वे किया गया था। जिसकी रिपोर्ट स्कूल को सौंपी। रिपोर्ट में स्कूल भवन को असुरक्षित माना था। इस पर हमने यूसीईईओ, बीसीईईओ, डीईओ व ज्वाइंट डायरेक्टर को लिखित में सूचना देकर मार्गदर्शन मांगा था।
- मंदाकिनी शर्मा, तत्कालीन प्रधानाचार्य उमावि पाटनपोल
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