चुनाव परिणाम प्रदेश के बड़े नेताओं के लिए बन गए सियासी नुकसान का कारण
परिणामों का असर प्रदेश की राजनीति पर भी पड़े बिना नहीं रहेगा
उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे आ चुके हैं। पंजाब के अलावा चार प्रदेशों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भाजपा को जीत मिली है।
जयपुर। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे आ चुके हैं। पंजाब के अलावा चार प्रदेशों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भाजपा को जीत मिली है। पंजाब में आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की है। इन पांचों राज्यों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। चुनावी परिणामों का असर प्रदेश की राजनीति पर भी पड़े बिना नहीं रहेगा। राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले गुजरात में चुनाव होंगे, जहां कांग्रेस के प्रभारी डॉ .रघु शर्मा है, जो राजस्थान में कद्दावर नेताओं में शामिल है। उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड के चुनाव परिणाम राजस्थान के कई बड़े नेताओं के लिए भी सियासी नुकसान का कारण बन गए है।
पश्चिमी यूपी में नहीं चला पायलट का जादू
इन नतीजों ने राजस्थान की राजनीति में गर्माहट पैदा कर दी है। रुझानों के बाद कांग्रेस में हलचल दिखाई दे रही है। पूर्व उप मुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट उत्तरप्रदेश के चुनावों में स्टार प्रचारक थे। पायलट ने उत्तरप्रदेश में प्रचार भी किया और चार दर्जन से अधिक सभाएं भी की। इसके बावजूद पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। पायलट ने गाजियाबाद से प्रचार अभियान शुरू किया था। पायलट उत्तरप्रदेश समेत पंजाब और उत्तराखंड में अंत समय तक चुनाव प्रचार करते रहे, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवारों को जीत दिलाने में विफल रहे है। पश्चिमी उत्तरप्रदेश में पायलट गुर्जर वोट बैंक को साधने में पूरी तरह से विफल रहे। चुनावी नतीजे भाजपा के पक्ष में होने से साफ है कि सचिन पायलट का जादू नहीं चला है। हालांकि कांग्रेस आलाकमान को प्रियंका गांधी को यूपी की जिम्मेदारी सौंपने के बाद पार्टी की स्थिति में सुधार होने की उम्मीद बंधी थी, लेकिन परिणामों से कांग्रेस की स्थिति खराब रही। लखनऊ में सचिन पायलट ने प्रियंका गांधी के साथ बड़ा रोड शो निकालकर पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी। उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत में राजस्थान के नेताओं की बड़ी भागीदारी रही है।
उत्तराखण्ड में एक दर्जन नेता असफल
उत्तराखंड में भी राजस्थान के एक दर्जन से अधिक नेताओं मंत्री राजेन्द्र सिंह यादव, भजन लाल जाटव, जयपुर की पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल, विधायक प्रशांत बैरवा, इन्द्राज गुर्जर, इन्द्रा मीणा, कृष्णा पूनियां, रफीक खान और रोहित बोहरा को प्रभारी बनाकर भेजा गया था। कांग्रेस को इन नेताओं से काफी उम्मीद थी, लेकिन चुनावी नतीजों ने इन सभी को असफल कर दिया।
पंजाब में कांग्रेस-भाजपा को झटका
पंजाब में आम आदमी पार्टी की एक तरफा जीत के बाद राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा दोनों को बड़ा झटका लगा है। पंजाब में कांग्रेस और भाजपा दोनों के प्रदेश प्रभारी राजस्थान से हैं और इन चुनावों में दोनों ही असफल सिद्ध हुए हैं। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी और भाजपा प्रभारी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत दोनों ही पंजाब में कोई कमाल नहीं दिखा पाए। पंजाब में हार के बाद हरीश चौधरी विरोधियों के निशाने पर आ गए हैं। हरीश चौधरी राजस्थान में राजस्व मंत्री का पद छोड़कर कांग्रेस संगठन में गए और पंजाब के प्रभारी बनाए गए। पंजाब के मुख्यमंत्री पद से अमरिंदर सिंह को हटाने से लेकर पूरे चुनावी मैनेजमेंट का कार्य लिया था। चौधरी पिछले चुनावों में एआईसीसी सचिव रहते हुए पंजाब कांग्रेस के प्रभारी थे, तब पार्टी सत्ता में आई थी, लेकिन इस बार कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बनाने के बावजूद कांग्रेस को कोई लाभ नहीं हुआ।।
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