50 पार की उम्र के चालक चला रहे बसें, कई चालक बीपी, शुगर और हार्ट बीमारियों से ग्रसित
रोडवेज चालकों को लंबे समय से नहीं हुआ स्वास्थ्य परीक्षण
प्रतिदिन हजारों यात्री रोडवेज से यात्रा करते हैं उन सभी की जान-माल की जिम्मेदारी वास्तव में ड्राइवरों की है।
कोटा। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बसों के चालकों को लंबे समय से स्वास्थ्य परीक्षण नहीं हुआ है। ऐसे में यात्रियों की जान हमेंशा जोखिम में रहती है। रोडवेज में लंबे समय से चालकों की भर्ती नहीं होने से अधिकांश बसे 50 से 55 साल की उम्र वाले चालक चला रहे है। अधेड उम्र के इन चालकों पर काम का भार अधिक होने से यह अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बिना वाहन चला रहे है। अधिक कार्य और थकान से इनका स्वास्थ्य निरंतर गिर रहा है उसके बाद भी रोडवेज की ओर से ना तो नई भर्ती की गई ना ही इनका नियमित स्वास्थ जांचा जा रहा है। ऐसे में रोडवेज में यात्रा करने वाले यात्रियों की जान को हर समय खतरा रहता है। उल्लेखनीय है कि इनका स्वास्थ्य परीक्षण नहीं होने से यात्रियों की जान सामत में रहती है। पांच छह माह पूर्व दो ड्राइवर बस चलाते हुए अटेक आने से अपनी जान गंवा चुके है। उसके बाद रोडवेज ने आनन फानन में शिविर लगाकर जांच कराई थी लेकिन उसके बाद कोई जांच शिविर नहीं लगा है। कई चालकों को आंखो की समस्या तो किसी को मोटा चश्मा लगा हुआ है। ऐसे में कभी दुर्घटना का अंदेशा रहता है।
नियमित जांच जरूरी
डॉ. ओपी मीणा ने बताया कि 40 वर्ष से अधिक उम्र के चालकों की नियमित स्वास्थ्य जांच करनी चाहिए। खासकर वाहन चालकों की आंखों की समय-समय पर जांच कराना जरुरी है। ड्राइवर को शहर के ट्रैफिक व सिग्नल के बीच से बस चलानी होती है। इसलिए आंखों की जांच जरुरी है। इसके अलावा उम्र दराज चालकों को अपने स्वास्थ की हर माह जांच करानी चाहिए।
हजारों के जान माल की जिम्मेदारी
रोडवेज स्वतंत्रता संग्राम के सैनिकों, वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग लोगों, महिलाओं, केंसर पीडित, थैलिसिमिया पीडितसहित समाज के कई वर्गों के लिए रियायती दरों पर यात्रा करता है। विशेष रूप से यह गांवों में रहने वाले विद्यार्थियों को बहुत ही रियायती दरों पर शिक्षा के लिए स्कूलों और कॉलेजों तक ले जाता है और उन्हें गांवों में वापस लाता है। हाल ही में रोडवेज बस में यात्री भार काफी बढ़ गया है। प्रतिदिन हजारों यात्री रोडवेज से यात्रा करते हैं उन सभी की जान-माल की जिम्मेदारी वास्तव में ड्राइवरों की है। इसलिए उन्हें मजबूत और स्वस्थ रहना जरूरी है। लेकिन इन्हीं के स्वास्थ्य के साथ खिलावाड़ हो रहा है।
126 चालकों के भरोसे कोटा डिपो
कोटा डिपो में वर्तमान में 126 चालक कार्यरत है। जिसमें नियमित चालकों की संख्या 104 है। वहीं 22 चालक एजेंसी के द्वारा अपनी सेवाएं दे रहे है। नियमित 104 चालक 50 साल से ज्यादा की उम्र के इनको कोई ना कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है। लेकिन पर्याप्त नया स्टॉफ नहीं होने से रिटार्यडमेंट के करीब होने के बावजूद लंबी दूरी की बसे चला रहे है। ऐसे में चालक के साथ यात्रियों की जान को भी खतरा रहता है।
सात माह पहले दो चालक गंवा चुके जान
कोटा डिपो की बसो की पिछले एक साल में दो दर्जन से अधिक छोटी बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी है। नियमित स्वास्थ की जांच नहीं होने से 6 जुलाई को कोटा से उदयपुर मांग पर वाहन चालक राजेंद्र गोचर को अचानक दिल का दौरा पड़ा और वो बस चलाने के दौरान ही बेहोश हो गए और बाद उनकी मौत हो गई। वहीं सितंबर में भी एक और चालक की हार्ट अटेक आने से मौत हो गई।
75 शिड्यूल पर बसें हो रही संचालित
रोडवेज में वर्तमान में 75 शिड्युल पर बसों का संचालन हो रहा है। चालक कम है वहीं दूसरी और बसों की मरम्मत करने वाले मैकेनिक कम है। 8 मैकेनिक के भरोसे 76 बसों का भार है। बीएस -4 बसों मॉडल के बसों के प्रशिक्षित मैकेनिक नहीं है। ऐसे में हमेंशा दुर्घटनाओं का खतरा रहता है।
रोडवेज बेड में 35 पुरानी गाड़ियां
आगार प्रबंधक संचालन सुचिता गुप्ता ने बताया कि रोडवेज आगार में करीब 35 बसे 2012-2013 मॉडल की है। जो काफी पुरानी हो चुकी है। कई बार उनकी मरम्मत की जा चुकी है। जिनकी फर्श से लेकर अब बाडी कमजोर हो चुकी है। इनकी अवधि खत्म हो गई है।
चालको की कमी से ओवर टाइम करना पड़ता है
रोडवेज में नहीं भर्ती नहीं होने से पुराने चालकों को यात्री भार बढने पर ओवर टाइम करना पड़ता है। उनकी नियमित जांच नहीं होने से हर समय थकान में रहते है। स्वास्थ्य शिविर लगाकर हर माह जांच होनी चाहिए। सात माह पूर्व शिविर लगाकर सभी जांच हुई उसके बाद कोई जांच नहीं हुई
- महावीर, बस चालक
इनका कहना है
रोडवेज में नई बसो, नई चालक, परिचालक और मैकेनिक की भर्ती के अलावा नियमित स्वास्थ जांच के लिए लगातार रोडवेज के विभिन्न संगठनों को की ओर से आंदोलन किए जा रहे है। नियमित स्वास्थ जांच नहीं होने और चालकों को पर्याप्त आराम नहीं मिलने के चलते दो चालक आॅन ड्यूटी जान गंवा चुके है। उसके बावजूद रोडवेज प्रशासन की ओर से नियमित स्वास्थ्य जांच के कैंप नहीं लगाए जा रहे है। कई चालक लंबे समय कई बीमारियों से ग्रसित है। उसके बावजूद बसों का संचालन कर रहे है। चालकों की आंखो और शुगर, हार्ट, बीपी की नियमित जांच होनी चाहिए।
- राजूलाल सिंधी, प्रदेश सचिव एटक कोटा
दो चालकों की ड्यूटी के दौरान हुई मौत के बाद रोडवेज की ओर से शिविर लगाकर चालकों की स्वास्थ्य की जांच की जाती है। सात माह पूर्व रोडवेज की ओर से शिविर लगाकर सभी स्टाफ की जांच की थी।
- सुचिता गुप्ता, आगार प्रबंधक संचालन कोटा
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