सतरंगी सियासत

सतरंगी सियासत

पीएम मोदी का बीते शनिवार को 17वीं लोकसभा में आखरी संबोधन रहा। मौका विदाई का था। हालांकि बजट सत्र के दौरान वह राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुए धन्यवाद प्रस्ताव पर दोनों सदनों में बोले।

आखरी संबोधन
पीएम मोदी का बीते शनिवार को 17वीं लोकसभा में आखरी संबोधन रहा। मौका विदाई का था। हालांकि बजट सत्र के दौरान वह राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुए धन्यवाद प्रस्ताव पर दोनों सदनों में बोले। लेकिन आम चुनाव से ठीक पहले संसद में बोलने का अपना महत्व। उन्होंने कांग्रेस को उसको इतिहास चुन चुनकर याद दिलाया। साथ में बीते दस सालों में अपनी सरकार की उपलब्धियां भी गिनवाईं। मोदी ने यह भी बता दिया। अगले पांच साल में वह क्या-क्या करने वाले। राहुल गांधी पर ऐसा हमला बोला। कांग्रेस को न निगलते बना, न उगलते। उन्हें पीएम मोदी ने कांग्रेस का र्स्टाटअप कहा। फिर पं. नेहरू एवं इंदिरा काल से लेकर संप्रग तक लिए गए निर्णयों कोयाद दिलाकर बची खुची कमी भी पूरी कर दी। मतलब पीएम पूरी तरीके से चुनावी मोड़ में नजर आए। हों भी क्यों नहीं? फिर अंतिम दिन राम मंदिर पर चर्चा।   

भारत रत्न आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी को यह शिष्य द्वारा अपने गुरु को दिया गया सम्मान बताया जा रहा। राजनीतिक शुचिता के मामले में आडवाणी उदाहरण। जब जैन डायरी के जरिए भ्रष्टाचार के आरोप लगे। तो उन्होंने न केवल सांसदी छोड़ी। बल्कि आरोप मुक्त होने तक संसदीय जीवन को भी विराम दे दिया। भाजपा में उन्होंने दूसरी पीढ़ी के नेताओं की पूरी फौज खड़ी कर दी। लेकिन भाषण कला में वह वाजपेयी से 19 ही रहे। जिसे उन्होंने स्वीकारने में झिझक नहीं दिखाई। बंटवारे के समय पाकिस्तान में सब कुछ लुटाकर भारत आए। और जिस मुकाम तक आडवाणी पहुंचे। वह बहुत बड़ा पुरुषार्थ। उनकी रथ यात्राएं आम जनता से संपर्क एवं संवाद का नया जरिया बनीं। जिसे बाद में कई नेताओं ने भी अपनाया। राम मंदिर आंदोलन को जनता के बीच आडवाणी ही रथ यात्रा के जरिए लेकर गए। संघ का स्वयंसेवक होना। उनके लिए एक विशिष्ट जीवन शैली।

पछता रहे होंगे!
पीएम मोदी और अमित शाह से पंगा लेकर उद्धव ठाकरे और शरद पवार अब पछता रहे होंगे। आज इन दोनों ही नेताओं की राजनीतिक हालत देखने लायक। फिर टीडीपी मुखिया चंद्रबाबू नायडू आज किस हालत में पहुंच गए? वैसे अमित शाह ने कहा था। वह सब कुछ सहन कर लेंगे। लेकिन पीठ में छुरा भौंकने वाले को माफ नहीं कर सकते। सो, सही समय का इंतजार किया। देखिए, शिवसेना एवं एनसीपी में दो फाड़ हो गए। अब सवाल यह भी कि अगली बारी किसकी? वैसे अरविंद केजरीवाल पर लगातार गिरफ्तारी की तलवार लटक रही। यदि उन्हें जेल जाना पड़ा। तो पार्टी और दिल्ली सरकार का क्या होगा? ऐसे कयास। पंजाब सरकार को केन्द्र मदद करेगा। क्योंकि यह एक संवेदनशील सीमावर्ती राज्य। वैसे भी भविष्य में सीएम मान की पटरी केजरीवाल से बैठेगी। इसमें संदेह जताया जा रहा! फिर आम चुनाव सामने। फिर कौन किधर होगा?

अब मैदान में....
संसद सत्र समाप्त होग या। अब राजनीतिक दल एवं नेता चुनावी मैदान में कूदने जा रहे। सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा विपक्षी कांग्रेस की दांव पर। तो साख की परीक्षा पीएम नरेन्द्र मोदी की भी। इस बार कई क्षेत्रीय दलों के अस्तित्व पर सवाल। हालात तो यही बयां कर रहे। कई क्षत्रपों पर भ्रष्टाचार के आरोप। तो कई दूसरी पीढ़ी के फेर में फंसे हुए। कई क्षत्रप भाजपा और कांग्रेस में से किसे चुनें। इसी उलझन में। तो कई का मन इधर-उधर डोल रहा। लेकिन इसके आसार ज्यादा कि अगली बार क्षत्रपों को एक लाइन लेनी पड़ेगी। बीच का रास्ता मुश्किल। वायएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल, बीआरएस एवं एआईएडीएमके जैसे दलों का एक रास्ता चुनने की नौबत। तो आप, राजद, जदयू, एनसीपी शरद पवार एवं उद्धव ठाकरे एवं अकाली दल बादल जैसे दलों का क्या होगा? यह समय बताएगा। वैसे इस लाइन में पीडीपी एवं एनसी भी।

Read More Budget के बाद बोले पीएम मोदी- बजट मीडिल क्लास, पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों को नई ताकत देने वाला

तीर निशाने पर ...
एक ही साल में पांच विभूतियों को मोदी सरकार द्वारा भारत रत्न की घोषणा। इसके भी मायने। आखिर निर्णय सरकार का। फिर भाजपा एक राजनीतिक दल। सो, किसी भी निर्णय में राजनीतिक दिशा न हो। ऐसा संभव नहीं। कर्पूरी ठाकुर और लालकृष्ण आडवाणी के जरिए मंडल और कमंडल को साधने की कवायद बताई जा रही। तो नरसिंह राव के जरिए मोदी ने मानो कांग्रेस को असहज कर दिया। क्योंकि गांधी परिवार से पीएम रहने के दौरान राव के संबंध ठीक नहीं रहे। खुद राव के परिवार को उनका दाह संस्कार राजधानी दिल्ली में नहीं करने देने के लिए आज भी मलाल। फिर चौधरी चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन को कृषि जगत में कौन नहीं जानता? सो, किसान, गांव एवं गरीब वर्ग को संदेश। ऐसे में, कोई भी विपक्षी सवाल नहीं उठा पा रहा। लेकिन इशारों ही इशारों में इसे राजनीति से प्रेरित बताया जा रहा।

Read More सतरंगी सियासत

तौल रही भाजपा!
दक्षिण में भाजपा का अभियान जारी। हाल ही में तमिलनाडु के एक दर्जन से ज्यादा पूर्व विधायक एवं एक पूर्व सांसद भाजपा में शामिल हुए। अधिकांश एआईएडीएमके से। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई अपना राजनीतिक हुनर दिखा रहे। वहीं, भाजपा आंध्रप्रदेश में सीएम जगन रेड्डी एवं टीडीपी चीफ चंद्रबाबू को भी तौल रही। केरल में हाल ही में एक क्षेत्रीय दल ने अपना विलय भाजपा में किया। उसके नेता का क्षेत्र में अच्छा खासा राजनीतिक प्रभाव। इससे माना जा रहा। भाजपा ने प्रदेश की 20 में से पांच सीटों पर मुकाबले की पृष्ठभूमि तैयार कर ली। ऐसे में थोड़ा जोर और लगाया तो मुकाबला त्रिकोणिय भी संभव। दो अन्य वाम और कांग्रेसनीत गठबंधन। अब तेलंगाना बचा। जहां नरसिंह राव को भारत रत्न दिए जाने से भाजपा लाभ की स्थिति में। भले वहां कांग्रेस सरकार। लेकिन तेलंगाना में मुकाबला त्रिकोणिय होने के आसार। जहां तीसरा दल बीआरएस। 

-दिल्ली डेस्क
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Post Comment

Comment List

Latest News

रोडवेज में लापरवाही बरतने 10 मुख्य प्रबंधकों को नोटिस जारी रोडवेज में लापरवाही बरतने 10 मुख्य प्रबंधकों को नोटिस जारी
रोडवेज चेयरमैन श्रेया गुहा ने कार्यकारी प्रबंधक (प्रशासन) और कार्यकारी प्रबंधक (यातायात) को नियमित मॉनिटरिंग और कार्रवाई के निर्देश दिए...
कांग्रेस विधायक राजेंद्र पारीक बोले- सफाई भर्ती पर केवल वाल्मीकि समाज का पहला हक, दूसरे समाजों का कोई हक नहीं
सीएमएचओ कार्यालय की कटी बिजली, आवश्यक सेवाएं बाधित
आयुष्मान खुराना ने Paris Olympics में टीम इंडिया के लिए समर्थन की अपील की!
खड़गे-राहुल ने करगिल शहीदों को श्रद्धांजलि की अर्पित
जयपुर रत्न व रत्नाभूषण उद्योग की वर्तमान स्थिति पर विचार-विमर्श
Women Asia Cup : भारत, बंगलादेश को 10 विकेट से रौंद कर फाइनल में