तीन दशक से निर्दलीय और तीसरे मोर्चे के सदस्य नहीं पहुंचे उच्च सदन
आजादी के बाद पूर्व राजपरिवार के सदस्य निर्दलीय ही राज्यसभा पहुंच जाते थे, धनकुबेर भी रहे राज्यसभा में
संघ के प्रचारक सुन्दर सिंह भण्डारी जनसंघ और भाजपा के दिग्गज नेता रहे हैं। वे 1966 में भारतीय जनसंघ के टिकट पर राज्यसभा गए थे।
ब्यूरो/ नवज्योति, जयपुर। कहा जाता है कि राजस्थान की मिट्टी तीसरे मोर्चे के दलों के लिए उपयोगी नहीं हैं। वर्ष 1990 से प्रदेश से कोई निर्दलीय या तीसरे मोर्चे का सदस्य राज्य सभा नहीं पहुंच पाया। हालांकि, आजादी के बाद राजपरिवारों से जुड़े लोग राज्यसभा पहुंचते रहे, लेकिन लोकतंत्र के धीरे-धीरे मजबूत होने के बाद राजपरिवार के सदस्यों का निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में राज्यसभा पहुंचना कठिन से कठिनतर हो गया। कुछ अर्से पहले शेखावाटी के एक उद्योगपति ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए एक निर्दलीय विधायक को आगे रखकर नामांकन दाखिल किया था, लेकिन तमाम कवायद के बाद भी परिणाम सिफर ही रहे। राजस्थान से पहली बार वर्ष 1952 में राज्यसभा सदस्य निर्दलीय महेन्द्र सिंह राणावत चुने गए थे। उसी साल हरीशचन्द माथुर, राजधिराज सरदार सिंह खेतड़ी और महारावल लक्ष्मण सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उच्च सदन पहुंचे थे।
पूर्व राज्यपाल भंडारी, जसवंत सिंह जनसंघ से राज्यसभा गए
संघ के प्रचारक सुन्दर सिंह भण्डारी जनसंघ और भाजपा के दिग्गज नेता रहे हैं। वे 1966 में भारतीय जनसंघ के टिकट पर राज्यसभा गए थे। केन्द्र में वित्त, रक्षा और विदेश मंत्री रहे जसवंत सिंह ने भी वर्ष 1980 में जनता पार्टी के टिकट पर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया था। हाल ही में स्वर्गवासी हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरिशंकर भाभड़ा ने भी जनता पार्टी के टिकट पर वर्ष 1978 में प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया था। भारतीय जनतसंघ के दिग्गज नेता जेपी माथुर ने भी वर्ष 1970 में भारतीय जनसंघ के टिकट पर राज्यसभा में रहे।
पूर्व राजपरिवार के सदस्य 1962 तक निर्दलीय जीते
पूर्व राजपरिवार के सदस्य निर्दलीय के रूप में 1962 तक ही राज्य सभा पहुंच पाए। वर्ष 1956 में कुंवर जसवंत सिंह और सवाई मानसिंह 1962 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में राज्यसभा पहुंचे थे। इसके बाद पार्टियों के टिकट पर ही राज परिवार के लोग उच्च सदन पहुंच पाते थे। हालांकि, पूर्व महाराजा गजसिंह ने 1990 में निर्दलीय प्रत्याशी और भाजपा के समर्थित प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर जीत दर्ज की थी।
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