न मवेशी पकड़े जा रहे न खूंखार कुत्ते, जनता हो रही हलकान
नगर निगम कोटा दक्षिण में बंदर पकड़ने का ठेका खत्म : श्वानों के बधियाकरण करने वाली फर्म को किया डीबार
मवेशी ही नहीं श्वानों की समस्या भी काफी गम्भीर होती जा रही है।
कोटा। शहर में एक ओर जहां यातायात को सुगम बनाने के लिए अंडरपास व फ्लाई ओवरों का निर्माण किया गया। साथ ही सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ सड़कों पर मवेशियों व श्वानों का जमघट लगा हुआ है। नगर निगम कोटा दक्षिण क्षेत्र में पिछले काफी समय से न तो मवेशी पकड़े जा रहे हैं और न ही श्वान। जिससे जनता हो रही है परेशान। शहर में बड़ी संख्या में मवेशी लावारिस हालत में सड़कों पर घूम रहे हैं। मेन रोड पर ही मवेशियों का इतना अधिक जमघट लगा हुआ है कि किसी भी सड़क से सुरक्षित निकल पाना मुश्किल हो रहा है। कोटड़ी चौराहे पर ग्रेड सेपरेटर के पास हो या छावनी फ्लाई ओवर के ऊपर, डीसीएम रोड पर नई धानमंडी के सामने हो या सीएडी चौराहे पर। चम्बल गार्डन रोड हो या दादाबाड़ी का क्षेत्र। हर जगह पर मवेशी ही मवेशी नजर आ रहे हैं। जबकि सब्जीमंडी और गली मौहल्लों की हालत तो इससे कहीं अधिक बदतर है।
श्वानों का बधियाकरण बंद, फर्म डीबार
मवेशी ही नहीं श्वानों की समस्या भी काफी गम्भीर होती जा रही है। नगर निगम कोटा दक्षिण क्षेत्र में बड़ी संख्या में श्वान सड़कों पर झुंड के रूप में घूमते हुए देखे जा सकते हैं। आए दिन लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। लेकिन हालत यह है कि कोटा दक्षिण निगम क्षेत्र में करीब एक महीने 12 फरवरी से ही श्वानों का बधियाकरण व वैक्सीनेशन बंद है। जनता व जनप्रतिनिधि निगम अधिकारियों से श्वानों की समस्या का समाधान करने की गुहार लगा रहे हैं। लेकिन अधिकारियों को जनता की परवाह ही नहीं है। निगम सूत्रों के अनुसार कुछ दिन तक तो संवेदक द्वारा कर्मचारियों का भुगतान नहीं करने से कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया था। वहीं अब निगम अधिकारियों ने श्वानों का बधियाकरण करने वाली फर्म को ही डीबार कर दिया है। जिससे अभी तक जो काम हो रहा था वह पूरी तरह से ठप हो गया है। हालांकि कोटा उत्तर निगम क्षेत्र में अभी भी श्वानों का बधियाकरण हो रहा है। सूत्रों के अनुसार दोनों निगमों में एक ही फर्म काम कर रहीे है। दक्षिण में डीबार करने से वह कोटा उत्तर में भी काम बंद कर सकती है।
काफी समय से नहीं पकड़े जा रहे मवेशी
नगर निगम कोटा दक्षिण क्षेत्र में लावारिस मवेशियों को पकड़ने का काम काफी समय से बंद किया हुआ है। जिससे मवेशियों की संख्या अधिक होती जा रही है। लोगों का कहना है कि निगम अधिकारियों को जनता की परवाह ही नहीं है। सड़कों पर मवेशी अधिक होने से यातायात में बाधा उत्पन्न होने के साथ ही हादसों का खतरा भी बना हुआ है।
बंदर पकड़ने का ठेका समाप्त, नया नहीं हुआ
शहर में बंदरों की समस्या भी किसी से छिपी नहीं है। बड़ी संख्या में बंदरों को घरों व सड़कों पर उत्पात मचाते हुए देखा जा सकता है। लेकिन नगर निगम अधिकारियों की हालत यह है कि बंदर पकड़ने का ठेका करीब दो महीने पहले ही खत्म हो गया है। अभी तक निगम अधिकायिों ने नया ठेका नहीं किया है। जिससे कोटा दक्षिण क्षेत्र में बंदरों की समस्या भी गम्भीर होती जा रही है।
श्वानों के लिए काफी प्रयास किए थे
श्वानों की समस्या काफी गम्भीर है। उसे देखते हुए नगर निगम में कांग्रेस का बोर्ड बनने के बाद प्रयास कर श्वान शाला बनाई। श्वानों के बधियाकरण व वैक्सीनेशन के लिए टेंडर कर ठेका किया। पुणे की फर्म काम कर रही थी। जिससे कुछ राहत थी लेकिन अब उसी फर्म को अधिकारियों ने डबार कर दिया है। जिससे काम पूरी तरह से ठप हो गया है। अब नया टेंडर होने में समय लगने से लोगों की परेशानी अधिक होने वाली है। साथ ही नई फर्म का आना बहुत मुश्किल है। शहर की समस्याओं से संबंधित लोगों की शिकायतें आने पर उनके समाधान के लिए आयुक्त को फोन करते हैं लेकिन वे फोन ही रिसीव नहीं करती। अपनी जिम्मेदारी से बच रही हैं। जिससे लोग परेशान हो रहे हैं।
- पवन मीना, उप महापौर, नगर निगम कोटा दक्षिण
गौशाला में जगह ही नहीं
शहर में हजारों की संख्या में लावारिस मवेशी हैं। निगम की गौशाला में मवेशियों को रखने की जगह ही नहीं है। मवेशी अधिक होने से गौवंश की मृत्युदर अधिक हो रही थी। गौशाला विस्तार के लिए जमीन के बारे में अधिकारी कोई प्रयास ही नहीं कर रहे हैं। नगर निगम कोटा दक्षिण क्षेत्र में शिकायत पर ही मवेशी व सांड पकड़े जा रहे हैं। उसके अलावा अन्य मवेशी नहीं पकड़े जा रहे।
- जितेन्द्र सिंह, अध्यक्ष, गौशाला समिति, नगर निगम
जवाब देने से बचती रही आयुक्त
शहर में जनता की समस्याओं से जुड़े मामले मामलों के बारे में जब नगर निगम कोटा दक्षिण की आयुक्त सरिता सिंह से बात करने का प्रयास किया तो वे किसी भी मामले में जवाब देने से बचती रही।
- मवेशी, श्वान व बंदर जनता से जुड़ी समस्या
शहर में लावारिस मवेशी, श्वान और बंदरों से हर य्यक्ति पीड़ित है। नगर निगम द्वारा ही लावारिस मवेशियों को पकड़ने, बंदरों को पकड़ने और श्वानों के बधियाकरण व वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी है। लेकिन अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए समय पर टेंडर ही नहीं कर रहे हैं। अभी लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने वाली है। ऐसे में नया टेंडर होना संभव नहीं है। जनता की परेशानी का अधिकारियों को अंदाजा ही नहीं है।
- विवेक राजवंशी, नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम कोटा दक्षिण
Comment List