Jhalawar-Baran : चार दशक से जीत की तलाश में हैं कांग्रेस इस सीट पर, फिर से भाया परिवार से ही उम्मीद

1989 से राजे परिवार का गढ़ रहा हैं यह लोकसभा क्षेत्र

Jhalawar-Baran : चार दशक से जीत की तलाश में हैं कांग्रेस इस सीट पर, फिर से भाया परिवार से ही उम्मीद

राजस्थान में झालावाड़-बारां संसदीय सीट पर कांग्रेस की प्रत्याशी की तलाश एक बार फिर से बारां के भाया परिवार पर जाकर समाप्त हुई है।

कोटा। राजस्थान में झालावाड़-बारां संसदीय सीट पर कांग्रेस की प्रत्याशी की तलाश एक बार फिर से बारां के भाया परिवार पर जाकर समाप्त हुई है।

कांग्रेस ने अगले महीने होने वाले लोकसभा चुनाव में बारां की जिला प्रमुख उर्मिला जैन भाया को अपना प्रत्याशी घोषित किया है जिनके पति प्रमोद जैन भाया नवम्बर में हुए विधानसभा चुनाव में मंत्री रहते बारां जिले की अंता सीट से हार चुके हैं। जैन इस संसदीय सीट से दूसरी बार चुनाव लड़ रही है।

कांग्रेस एक ओर जहां इस संसदीय सीट से वर्ष 1984 के बाद के बीते करीब चार दशकों में यहां से जीत को तरसती रही है वहीं साल 1989 से इस सीट पर राजे परिवार का ही एक पक्षीय दबदबा कायम रहा है और इस बार भी इसी परिवार का सदस्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी के रूप में लगातार दसवीं जीत दर्ज करने के लिए फिर से चुनाव मैदान में है।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद बनी सहानुभूति लहर के बीच वर्ष 1984 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ कर अब तक अंतिम बार जीते जुझार सिंह के बाद पार्टी यहां से हार के रिकॉर्ड गढ़ती रही है।

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पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी के रूप में  दुष्यंत सिंह ने झालावाड़-बारां संसदीय सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया को दो लाख 81 हजार 546 मतों के अंतर से हराया था। इस तरह से उन्होंने इस संसदीय सीट पर सबसे अधिक मतों से चुनाव जीतने के अपनी माता वसुंधरा राजे के कीर्तमान को तोड़ा था और पांच साल बाद वर्ष 2019 में पिछला चुनाव चार लाख 53 हजार 928 मतों के विशाल अंतर से दुष्यंत सिंह ने ही जीता था और इस बार कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद शर्मा को हरा कर नया रिकॉर्ड बनाया।

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राजे झालावाड़-बारां संसदीय सीट से 1989 में पहली बार चुनाव जीती थी और उसके बाद से लगातार वर्ष 1991, 1996, 1998 और 1999 भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतती रही। बाद में वर्ष 2004 में विरासत के रूप में राजे ने इस सीट को अपने पुत्र दुष्यंत सिंह के लिए छोड़ा और तब से वे यहां से चुनाव जीतते आ रहे हैं। वर्ष 2004 में इस संसदीय क्षेत्र से दुष्यंत सिंह ने पहला संसदीय चुनाव लड़ा था और विजय रहे थे। उसके बाद से 2009, 2014 और 2019 के चुनाव वही जीतते आ रहे हैं। इस बार भी वे ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हैं। 

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सामान्य वर्ग की झालावाड़-बारां सीट में दोनों जिलों की आठ विधानसभा क्षेत्र बारां जिले के अंता, किशनगंज, बारां-अटरू, छबड़ा और झालावाड़ जिले के झालरापाटन, डग, मनोहर थाना और खानपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों के अनुसार आंकलन किया जाए तो यहां भाजपा काफी मजबूत स्थिति में है क्योंकि आठ विधानसभा क्षेत्रों में से कांग्रेस केवल झालावाड जिले की खानपुर सीट ही 8425 मतों के साधारण अन्तर से जीत दर्ज कर पाई है वरना तो पूरे बारां जिले में कांग्रेस का सफाया हुआ है।

विधानसभा चुनाव में दोनों जिलों के आठ विधानसभा क्षेत्रों में कुल मतदाताओं में से भाजपा के प्रत्याशियों पर 7 लाख 71 हजार 783 मतदाताओं ने विश्वास जताया था जबकि कांग्रेस उम्मीदवारों को इनकी तुलना में एक लाख 44 हजार 898 कम छह लाख 26 हजार 885 मत मिले थे। झालावाड जिले में भाजपा को कुल 4 लाख 16 हजार 006 मत मिले और बारां जिले में 3 लाख 55 हजार 777 मत मिले जबकि कांग्रेस को झालावाड़ जिले में 3 लाख 24 हजार 112 और बारां जिले में 3 लाख 2 हजार 773 मत मिल पाए।

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