दवाएं मिल नहीं रही, एनओसी लेना भी आसान नहीं
एनओसी बनाने में ही लग जाते हैं 1 से 2 घंटे, दवा में 3 घंटे तक
संभाग के सबसे बड़े अस्पतालों में मरीज दवाईयों के लिए ईधर उधर भटकने को मजबूर हैं।
कोटा। शहर के अस्पतालों में लोगों को दवाईयों के लिए ईधर से उधर चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। साथ ही कई दवाइयों से भी वंचित रहना पड़ रहा है। अस्पतालों में नहीं मिलने वाली दवाइयों की एनओसी बनाने के लिए लोगों को अस्पताल में ही यहां से वहां दौड़ना पड़ रहा है। जहां हर जगह सिर्फ लंबी कतारें ही मरीजों का इंतजार कर रही हैं। एमबीएस अस्पताल से लेकर मेडिकल कॉलेज असपताल तक में मरीजों को सिर्फ कतारों में लगा पड़ रहा है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल और एमबीएस में मरीजों को जो दवाइयां दवा काउंटर पर नहीं मिलती हैं उनके लिए एनओसी जारी करने की सुविधा है। लेकिन उस एनओसी को बनाने के लिए मरीजों और तीमारदारों को तीन तीन जगह लाइन पर लगना पड़ता है। जिसमें एक दवाई लेने में ही 1 से 2 घंटे का समय लग जाता है।
मेडिकल कॉलेज में एक गेट से दूसरे गेट तक चक्कर
इसी तरह मेडिकल कॉलेज में पर्ची कटाने के लिए पहले 2 नंबर गेट पर जाना होता है फिर डॉक्टर को दिखाने के बाद गेट नंबर 2 के बाहर वापस दवाई लेने आना होता है वहां कोई दवाई नहीं मिलती है तो फिर 4 नंबर गेट पर जाना होता है वहां भी नहीं मिलती है जो गेट नंबर दो पर जन औषधि काउंटर चैक करना होता है। अगर इन सभी जगहों पर दवाई नहीं मिलती है तो उसके लिए गेट नंबर 4 से एनओसी बनाकर उसे युनिट हेड या उप अधिक्षक से वेरीफाई कराने के बाद ही आपको दवाई मिल सकती है।
एनओसी नहीं बनाने पर बाहर से खरीदनी पड़ती है दवा
अस्पतालों में एनोसी की सुविधा इस उद्देश्य के साथ शुरू की गई थी कि अस्पताल में किसी दवा के नहीं मिलने पर मरीज उसे बाहर से बिना किसी खर्चे के ले सके लेकिन लाइनों और बार बार यहां घुमने से परेशान होकर मरीज मेडिकल स्टोर से लेने को मजबूर हो जाता है।
एमबीएस और सुपर स्पेश्यिलिटी में भी कतारें
इसी तरह एमबीएस अस्पताल में भी किसी दवाई की एनओसी बनाने के लिए ओपीडी ब्लॉक में उपर नीचे होना पड़ता है। जहां डॉक्टर को दिखाने के बाद दवा लेने के लिए नीचे आना होता है जहां अगर कोई दवाई नहीं मिलती है तो उसकी एनओसी बनाने के लिए फिर उपर जाना होता है उसके बाद ही एनओसी बन पाती है। वहीं सुपर स्पेशियलिस्ट अस्पताल में भी एनोसी बनाने के बाद दवा के लिए घंटों इंतजार करना पड़ जाता है। जहां डॉक्टर की पर्ची व आधार कार्ड की जैरोक्स देने के बाद 2 से 3 घंटे बाद आने के लिए कहा जाता है। इस तरह संभाग के सबसे बड़े अस्पतालों में मरीज दवाईयों के लिए ईधर उधर भटकने को मजबूर हैं।
लाइन ही लाइन
मेडिकल कॉलेज अस्पताल और एमबीएस अस्पताल में पर्ची बनाने के लिए मरीजों को पहले पर्ची काउंटर पर फिर दिखाने के बाद दवा काउंटर पर तो लगना ही होता है। लेकिन आपको को कोई दवाई अस्पतालों के दवा काउंटरों पर नहीं मिली तो आपको तीन तीन जगह लाइन में लगना पड़ सकता है। क्योंकि इन अस्पतालों में एनोसी जारी करने के लिए पहले आप को सभी दवा काउंटर पर पहले दवाई को खोजना होगा नहीं मिलने के बाद भी आपकी एनओसी जारी की जाएगी।
लोगों का कहना है
अस्पतालों में हर जगह लाइनों में लगना पड़ता है पहले पर्ची फिर दवा काउंटर अगर जांच लिख दी तो वहां भी लंबी लाइनों में लगना पड़ता है। जिससे आधा समय तो लाइनोें में ही निकल जाता है। इसका समाधान करना चाहिए और काउंटर आसपास ही रहने चाहिए।
- अशोक कुमार, रंगबाड़ी
डॉक्टर ने मुझे चार दवाईयां लिखी थी तीन तो काउंटर पर मिल गई लेकिन एक दवाई नहीं मिली जिसके लिए ईधर उधर दौड़ लगानी पड़ी। अगर एनओसी के लिए काउंटर एक ही जगह होते तो यहां वहां जाने के बजाए एक ही जगह पर काम हो जाता।
- रविंद्र पारेता, अनंतपुरा
इनका कहना है
राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही एनओसी की प्रक्रिया की जा रही है, वहीं एनोसी जारी करने के लिए गेट नंबर चार पर स्थाई काउंटर बनाया हुआ है। काउंटरों को एक ही स्थान पर लाने की योजना बनाई जा रही है।
- आरपी मीणा, अधीक्षक, मेडिकल कॉलेज अस्पताल
एनओसी तब ही दी जाती है जब अस्पताल के पास दवाई मौजूद न हो इसके लिए सभी काउंटरों पर देखना जरूरी है जो राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार है। इसमें मौजूद समस्या को दूर करने के लिए सरकार को सुझाव भेजेंगे।
- धर्मराज मीणा, अधीक्षक, एमबीएस अस्पताल
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