17 महीने से ताले में बंद कर रखी थी सोनोग्राफी मशीन
सुल्तानपुर अस्पताल का मामला
सोनोग्राफी के अभाव में मजबूरी में मरीज 40 किलोमीटर दूर जा रहे।
सुल्तानपुर। सुल्तानपुर नगर के अस्पताल में करीब 2 वर्ष पूर्व सोनोग्राफी मशीन लगवा दी गई थी, लेकिन कुछ दिनों तक ही व्यवस्था सुचारू चल पाई उसके बाद पूर्व में भी सोनोलॉजिस्ट का स्थानांतरण हो जाने के कारण रोगियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा था। वर्तमान में भी करीब 17 माह से सोनोग्राफी का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि सोनोलॉजिस्ट उपलब्ध नहीं होने के कारण महिलाओं को उपचार कराने के लिए 40 किलोमीटर दूर कोटा शहर जाना पड़ रहा है। ब्लॉक क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल मेडिकल कॉलेज कोटा के अधीन आने वाली सीएचसी सोनोग्राफी मशीन को लगाए हुए करीब 2 वर्ष का समय हो गया है, लेकिन आम जनता को कुछ समय ही सोनोग्राफी मशीन का लाभ मिल सका, उसके बाद वापस सोनोग्राफी की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। सोनोलॉजिस्ट के अभाव में सोनोग्राफी सेंटर पर ताला लगा हुआ है। अस्पताल में प्रतिदिन करीब दो दर्जन मरीज ऐसे आते हैं, जिन्हें सोनोग्राफी की आवश्यकता होती है उन्हें कोटा या फिर निजी अस्पतालों में जाकर के अपना उपचार कराना पड़ता है। चिकित्सालय प्रशासन द्वारा इस मामले में कई बार उच्चाधिकारियों को सोनोलॉजिस्ट लगवाने के लिए अवगत करा दिया गया है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। अक्सर सुनने में मिलता है कि सरकारी विभागों में काम देरी से होते हैं लेकिन नगर में स्थित क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल में चिकित्सा विभाग की कार्यशैली पर यह बात सटीक बैठती नजर आ रही है। सोनोलॉजिस्ट के अभाव में करीब 17 माह से सोनोग्राफी सेंटर पर ताला लगा हुआ है। जिससे रोगियों को मोटी रकम चुका करके अपना उपचार कराने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। गंभीर हालत में प्रसव के लिए भर्ती होने वाली महिलाओं को भी बिना सोनोग्राफी जांच के ही 40 किलोमीटर दूर कोटा जाना मजबूरी बन गया है।
संघर्ष के बाद मिली थी सोनोग्राफी मशीन
सोनोग्राफी मशीन की सुविधा को लेकर के युवा शक्ति द्वारा आंदोलन चलाया गया था। जिसमें युवाओं के साथ ही नगर वासियों एवं महिलाओं ने भी आंदोलन को सफल बनाने के लिए योगदान दिया था, लेकिन 17 माह बाद भी इसे नियमित रूप से शुरू नहीं कराया जा सका है। स्थिति यह है कि 1600000 से अधिक राशि की मशीन धूल खा रही है। इस मामले में संबंधित अधिकारियों का कहना है कि विभाग के पास सोनोलॉजिस्ट नहीं है, लेकिन सोनोलॉजिस्ट लगाने के लिए जनप्रतिनिधियों का भी कोई ध्यान नहीं है, जबकि सीएचसी मेडिकल कॉलेज कोटा के अधीन आता है, जहां प्रशासन और जनप्रतिनिधि चाहे तो प्रतिनियुक्ति पर ही सोनोलॉजिस्ट लगाकर के नगर वासियों एवं ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को राहत पहुंचा सकते हैं लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। दीगोद तहसील क्षेत्र की सबसे बड़ी सीएचसी में स्थानीय चिकित्सकों द्वारा मरीजों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, यहां कार्यरत चिकित्सा प्रभारी डॉ श्याम मालव, डॉ दीपक बैरवा आदि के द्वारा चिकित्सालय में बेहतरीन उपचार भी दिया जा रहा है।
इनक कहना है
सोनोग्राफी मशीन की सुविधा नहीं मिलने के कारण रोगियों को 40 किलोमीटर दूर कोटा जाना पड़ता है। सोनोग्राफी मशीन की सुविधा सुल्तानपुर नगर के अस्पताल में होने के बावजूद भी आपातकालीन स्थिति में भी सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती है, जिसके कारण रोगियों को परेशानी होती है।
- रवि शर्मा, वार्ड पार्षद
सोनोग्राफी मशीन लगा दी गई थी लेकिन उसका संचालन सुचारु रूप से नहीं होने के कारण मरीज को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उन्होंने सोनोलॉजिस्ट लगाने की मांग की।
- संदीप शर्मा, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष
सोनोग्राफी मशीन होने के बावजूद सुल्तानपुर ब्लॉक के रोगियों को या तो निजी अस्पतालों में आर्थिक खर्चा करके सोनोग्राफी करनी पड़ रही है, अन्यथा उन्हें इलाज के लिए कोटा जाना पड़ता है।
- अजहरुद्दीन खान, कांग्रेस नेता
सुल्तानपुर चिकित्सालय में मरीजों को हरसंभव चिकित्सा सुविधा दी जा रही है। साथ ही मरीजों को नि:शुल्क दवाइयां देकर के उपचार किया जा रहा है। सोनोलॉजिस्ट के लिए उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया हुआ है। सोनोलॉजिस्ट का स्थानांतरण हो जाने से समस्या उत्पन्न हुई है। इस मामले में उच्च अधिकारियों को लिखित में अवगत कराया जा रहा है।
- डॉ. श्याम मालव, सीएचसी प्रभारी
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