पेयजल संकट से जूझ रहे खेड़लीबंधा वासी करेंगे मतदान का बहिष्कार

पेयजल संकट के समाधान को लेकर मतदाताओं ने जताया विरोध

पेयजल संकट से जूझ रहे खेड़लीबंधा वासी करेंगे मतदान का बहिष्कार

ग्रामीणो ने मतदान दिवस से पहले पेयजल समस्या का समाधान करने की मांग की है।

कापरेन। आजन्दा ग्राम पंचायत से जुड़े और चम्बल नदी से एक किमी की दूरी पर स्थित खेडलीबंधा गांव के ग्रामीणों को बरसों से पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। पानी की समस्या को लेकर ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है। चम्बल नदी से बहुत कम  दूरी होने के बावजूद गांव में कही भी पीने योग्य पानी नही है। ऐसे में ग्रामीणों को पीने योग्य पानी लाने के लिए करीब तीन किमी दूर कोडक्या गांव में आना पड़ता है और एक किमी दूर जंगल के रास्ते से चम्बल नदी तक पैदल जाना पड़ता है। पेयजल संकट के समाधान को लेकर ग्रामीणों ने कई बार आवाज भी उठाई और विरोध भी जताया। वही स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को भी अपनी पीड़ा बताई। जलदाय विभाग द्वारा गांव में पेयजल संकट दूर करने के लिए करीब सात साल पहले पेयजल टंकी का निर्माण करवाया और कोडक्या गांव से पाइप लाइन डालकर पेयजल आपूर्ति भी नहीं शुरू करवाने का प्रयास किया गया लेकिन कुछ समय बाद ही तीन किमी लम्बी पेयजल पाइप लाइन जगह जगह से क्षति ग्रस्त होने से ग्रामीणों को राहत नही मिल पाई। जिससे ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। पेयजल संकट से परेशान ग्रामीणों ने हालात देखते हुए ग्रामीणों ने इस बार लोकसभा चुनावों में मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि करीब दस बारह सालों से गांव में पेयजल संकट बना हुआ है। पिछले वर्ष यहां एक ट्यूबवेल लगाया गया लेकिन उसमें भी पीने योग्य पानी नही मिला। एक हैंडपंप लगाया गया है जिसमे फ्लोराइड व कड़वा पानी आता है जो पीने योग्य नही होने से ग्रामीण नहाने धोने के काम लेते थे। 

पानी नहीं तो वोट नहीं
पानी नही तो वोट नही ग्राम पंचायत के उपसरपंच कृष्ण मुरारी गोचर, वार्डपंच सत्यनारायण केवट ग्रामीण रामप्रसाद, घनश्याम, पप्पू लाल,मुकेश पटेल, धन्नलाल प्रहलाद आदि ने बताया कि गांव में पेयजल समस्या को लेकर ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। करीब सात साल पहले बनी पेयजल टंकी में पेयजल आपूर्ति नही हो रही है। महिलाएं एक किमी दूर नदी से पानी लेकर आती है और वह भी गंदगी के चलते पीने योग्य नही रहता है। गर्मी के दिनों में बेवरिया बनाकर महिलाएं पानी लेकर आती है। संकट को देखते हुए इस बार ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है और समाधान नही होने पर इस गांव के मतदाता चुनाव में मतदान का बहिष्कार करेंगे। ग्रामीणो ने मतदान दिवस से पहले पेयजल समस्या का समाधान करने की मांग की है। 

चार सौ मतदाता हैं खेड़ली गांव के 
गांव के हालात उप सरपंच कृष्ण मुरारी गोचर के अनुसार खेड़ली बंधा गांव में करीब सौ घरो की बस्ती में एक हजार की आबादी है और करीब चार सौ मतदाता है। अधिकतर केवट समाज के घर है। 

ठीमली वार्ड में भी एक साल से पेयजल की आपूर्ति बंद पड़ी
समय से पहले ही गर्मी ने दस्तक दे दी है, ऐसे में ठीमली के ग्रामीणों के सामने संकट खड़ा हो गया है। महिलाएं गांव के बाहर लगे हैंडपंप से पानी भरने को मजबूर हैं। रोटेदा रोड पर हांडिया भैरूजी मंदिर के पास लगे ट्यूबवेल से जलदाय विभाग द्वारा पाइप लाइन डालकर ठीमली में मीठे पानी की सप्लाई शुरू की गई थी, जिसके तहत 3 स्थानों पर नल लगाए गए थे, लेकिन अब तो यह सप्लाई एक साल से भी ज्यादा वक्त से बंद पड़ी है। ठीमली में पानी की आपूर्ति के लिए तीन हैंडपंप लगे हुए हैं, लेकिन एक ही हैंडपंप में मीठा पानी है। ग्रामीणों ने बताया कि पानी की समस्या को लेकर कई बार जलदाय विभाग के अधिकारियों को अवगत करवाया गया है, लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। 

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इनका कहना है
खेड़ली बंधा गांव के ग्रामीणों की समस्या की जानकारी मिलने के बाद गांव में जाकर लोगों की समस्या सुनी गई है। कोडक्या गांव से खेड़ली बंधा गांव में  आने वाली पेयजल पाइप लाइन में जलापूर्ति का समय बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। खेड़ली बंधा गांव नोनेरा डेम से सप्लाई योजना में स्वीकृत है। हर घर नल योजना के तहत गांव में सभी घरों में नल कनेक्शन देकर जलापूर्ति होगी। कापरेन में इसका कार्य शीघ्र शुरू होने वाला है। जिससे गांव में पेयजल संकट नही रहेगा। ग्रामीणों को।समझाने का प्रयास किया गया है।
- सुरेश कुमार बैरवा , जलदाय विभाग के सहायक अभियंता 

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ठिमली गांव नगर पालिका में शामिल होने के बावजूद विकास के लिए तरस रहा है, सबसे ज्यादा समस्या पिने के पानी कि हैं, नलों में पानी एक साल से नहीं आया है, गांव में तीन हैडपंप है पर पिने का मिठा पानी एक हेडपंप में ही आता है जिससे पिने के पानी के लिए ग्रामीणों को इधर-उधर भटकना पड़ता है।     
- मुकुट मीणा ग्रामीण

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 गांव के लोगों को पिने के पानी के लिए भी इधर-उधर भटकना पड़ता है, नल के पाइप सोफिस बनकर रह गए हैं, उच्चधिकारियों को अवगत करवाने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
- मुकुट गुजर ग्रामीण 

गांव में कई महिनों से नलों में पानी नहीं आया है, ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए भी तरसना पड़ता है, गांव में एक ही हेडपंप है जिसमें पीने के पानी के लिए घंटों तक लाइन में लगना पड़ता है।
- रामचरण मीणा ग्रामीण। 

गांव नगरपालिका में होने के बावजूद ग्रामीणों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है, अधिकारियों को कहि बार अवगत करवाने के बावजूद ग्रामीणों की समस्या का समाधान नहीं हुआ है। ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए भी इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।
- महावीर मीणा ग्रामीण

बीच के गांव हांडिया खेड़ा में अवैध रूप से कनेक्शन से समस्या और बढ़ गई है। उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे और हमारा पूरा प्रयास है कि आचार संहिता के बाद ठिमली गांव में सप्लाई सुचारू हो जाएगी।
- नरगिस खान, जेईएन पीएचईडी 

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